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उप मुख्यमंत्री दिनेश शर्मा के बयान पर जमकर बवाल

औरैया। भाजपा सहकारिता प्रकोष्ठ के पूर्व जिलाध्यक्ष डा विनोद त्रिपाठी ने कहा कि उप मुख्यमंत्री दिनेश शर्मा ने माँ सीता को टेस्ट ट्यूब बेबी बताने वाला बयान देकर  हिंदुओं का अपमान किया है । इसका विरोध करते हुए कहा कि दिनेश शर्मा को अपना डी एन ए टेस्ट कराना चाहिए वह स्वयं हिंदू  होकर हिंदुओं का अपमान करते है इसलिए उन्हें हिंदू समाज से माफी मांगनी चाहिये । प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ से मंत्रिमंडल से हटाकर कार्यवाही की मांग की है। कार्यकर्ताओं की उपेक्षा आगामी चुनाव में भाजपा को भारी पड़ेगी ।कार्यकर्ता अपनी ही पार्टी भाजपा की सरकारऔर नेताओं की उपेक्षा से आहत दिखायीं दे रहे है ।  आगामी लोकसभा चुनाव के पहले हो रह विधानसभा एवं लोकसभा केे उपचुनाव राजनैतिक भविष्य एवं चुनावी माहौल को बनाने बिगाड़नेे वाले माने जा रहे थे  इसीलिए पक्ष और विपक्ष दोनों इन्हें जीतने के लिए ऐड़ी चोटी की ताकत लगा रहा था  गत दिनों कर्नाटक विधानसभा चुनाव के बाद सरकार बनाने के मुद्दे पर शुरू हुयी विपक्षी एकता ने अभी  सम्पन्न हुये लोकसभा और विधानसभा के उपचुनाव परिणामों की दिशा और दशा बदल दी है और सत्तादल को मुंहकी खानी पड़ी है। उत्तर प्रदेश के कैराना लोकसभा एवं नूरपुर विधानसभा उपचुनाव राजनैतिक दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण माने जा रहे थे। इन दोनों जगहों पर सत्तारूढ़ दल भाजपा को करारी शिकस्त का सामना करना पड़ा है। इन दोनों जगहों पर भाजपा को हराने के नाम पर सभी विपक्षी दलों में एकता बन गयी थी और पिछले लोकसभा चुनाव की तरह मतदाताओं का ध्रुवीकरण भाजपा नहीं कर सकी जबकि विपक्षी दल अपने अपने मूल मतदाताओं के साथ एकजुट हो गये थे।जिससे मुस्लिम मतदाताओं में बिखराव नही हुआ और हिन्दू मतदाताओं में पिछले लोकसभा चुनाव की तरह एकता नहीं हो सकी। इन दोनों उपचुनावों में कैराना से रालोद तो नूरपुर में समाजवादी प्रत्याशी विजयी घोषित किए गए हैं।इन दोनों चुनाव परिणाम पक्ष और विपक्ष दोनों के लियेे फाइनल मैच के पहले टेस्ट मैच एवं नसीहत देने की तरह माने जा रहे हैं। यहीं कारण है कि इन दोनों चुनाव परिणामों के आने के बाद विपक्ष का उत्साह आसमान पर पहुंच गया है तो भाजपा भी इन परिणामों से हक्का बक्का हो गयी है। इन दोनों चुनाव परिणामों से सत्तारूढ़ भाजपा को जहाँ भविष्य सुधारने का तो विपक्ष को सब कुछ भुलाकर एक होने की चेतावनी दिया है। हमने तीन दिन पहले कैराना लोकसभा और नूरपुर विधानसभा उप चुनाव पर चर्चा की थी कि  चुनाव परिणाम चौकानें वाले आ सकते हैं भाजपा मतदाताओं में बिखराव है और कार्यकर्ताओं की उपेक्षा जबकि मुस्लिम मतदाता और विपक्ष एकजुट है।  दोनों उपचुनाव परिणामों को भावी लोकसभा चुनाव के परिदृश्य में जितना महत्वपूर्ण माना जा रहा है उतना महत्वपूर्ण लगते नहीं हैं। देश के अन्य राज्यों में इसी के साथ हुये विधानसभा उपचुनावों के परिणाम भी भाजपा या सत्तादल के कोई पक्ष में नहीं हैं। जहाँ पर विपक्षी दलों की सरकारें थी वहां उनके प्रत्याशी जीत गये लेकिन जहाँ पर भाजपा सरकारें थी वहाँ पर उसके प्रत्याशी चुनाव हार गये हैं। यह भाजपा के लिए शुभसंकेत नही लगते हैं जिसका मुख्य कारण कार्यकर्ताओं की अपनी ही सरकार और नेताओं से नाराजगी नजर आता है । और अगर समय रहते इस तरफ ध्यान न दिया गया तो इसका विपरीत प्रभाव आगामी लोकसभा चुनाव में पड़ सकता है। विपक्ष अगर इसी तरह एकजुटता बनाये रहा तो उसके दिल्ली दूर नहीं बल्कि नजदीक हो सकती है। बीजेपी के नेता कार्यकर्ताओं को भाव नहीं दे रहे।आपस में ही एक दूसरे को नीचा दिखाने की होड़ लगी है।परिणाम आपके सामने आता जा रहा है।बड़े नेताओं को चाहिए कि बड़ा दिल करें अपने वोट बैंक को एकजुट करें, अन्यथा की स्थिति में राम ही मालिक होगा । दबे मन से भाजपा कार्यकर्ता अपने ही नेताओं से काम न करनें और नेताओं अधिकरियों की घुड़की से अपनी बेइज्जती महसूस कर रहे है । भाजपा सरकार को चाहिये की भ्रष्ट अधिकरियों को हटाकर काम करने वाले अधिकरियों को पदासीन करें । और कार्यकर्ताओ की बात को  नेता और अधिकारी तवज्जो दे तभी कार्यकर्ताओं में विगत चुनाव की तरह उमंग आ सकती है अन्यथा आगामी चुनाव में कार्यकताओं की उपेक्षा भाजपा को भारी पड़ सकती है।