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स्वच्छता एवं पर्यावरण संरक्षण में युवावर्ग की भूमिकापर संगोश्ठी सम्पन्न

बलिया(ब्यूरो)। अमरनाथ मिश्र स्नातकोत्तर महविद्यालय दूबेछपरा, बलिया में 5 जून "पर्यावरण दिवस" की पूर्व सन्ध्या पर " स्वच्छता एवं पर्यावरण संरक्षण में युवावर्ग की भूमिका" नामक विषय पर एक संगोष्ठी का आयोजन किया गया , जिसकी अध्यक्षता महाविद्यालय के प्राचार्य डा० गणेशकुमार पाठक ने किया। संगोष्ठी में सर्वप्रथम दीप प्रज्वलित कर मां सरस्वती के चित्र पर माल्यार्पण किया गया। संगोष्ठी को संबोधित करते हुए डा० शिवेश प्रसाद राय ने कहा कि स्वच्छता एवं पर्यावरण संरक्षण आज के सबसे अहम् मुद्दों में से है।यदि सवच्छता को नहीं अपनाया गया तो इससे न केवल हम रोगग्रस्त होंगे, बल्कि इससे पर्यावरण भी दूषित होगा।किन्तु कष्ट इस बात का है कि ऐसे अहम् मुद्दों पर भी न केवल अपने देशमें बल्कि अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर भी राजनीति हो रही है।डा० श्यामबिहारी श्रीवास्तव ने कहा कि यदि हम स्वचछता पर ध्यान नहीं दिए एवं पर्यावरण को सुरक्षित तथा संरक्षित नहीं किए तो आने वाला समय बेहद कष्टकारक होगा। डा० सुनील कुमार ओझा ने कहा कि हमारी तो संस्कृति ही स्वचछता पर आधारित पर्यावरण संरक्षण की रही है, किन्तु विकास की अंधी दौड़ एवं पश्चिमीकरण की अंधाधुंध नकल ने इतनी विकृतियां पैदा कर दी हैं कि आज हमारा देश कुड़ा- कचरा का ढेर बन गया है एवं पर्यावरण  प्रदूषण तथा पारिस्थितिकी असंतुलन के चलते हमारे अस्तित्व पर ही संकट मंडराने लगा है। संजय कुमार मिश्र ने कहा कि यदि देश को स्वच्छ बनाना है एवं प्रदूषणमुक्त भारत का निर्माण करना है तो युवावर्ग को आगे आना होगा और एक मिशन के तहत काम कर पर्यावरण का संरक्षण करना होगा। बतौर अध्यक्ष महाविद्यालय के प्राचार्य एवं पर्यावरणविद् डा० गणेश कुमार पाठक ने संगोष्ठी को संबोधित करते हुए कहा कि युवावर्ग ही किसी भी देश के कर्णधार होते हैं, कारण कि उनमें ऊर्जा एवं उत्साह की अपार क्षमता होती है। उनमें अपार श्रम शक्ति निहित होता है। उनमें नेतृत्व की भी क्षमता होती है एवं सफलता प्राप्त करने की भी ललक होती है। इस तरह यदि यह युवावर्ग अपने ऊर्जा , उत्साह, श्रमशक्ति, नेतृत्व एवं सफलता प्राप्त करने की दृढ़ इच्छाशक्ति को लेकर एक साथ समन्वित प्रयास करें एवं एक मिशन लेकर स्वच्छता तथा पर्यावरण संरक्षण में जूट जाएं तो निश्चित ही न केवल स्वच्छ भारत मिशन कामयाब  होगा, बल्कि निश्चित तौर पर पर्यावरण संरक्षण में भी कामयाबी हासिल होगी। डा० पाठक ने कहा कि स्वच्छता एवं पर्यावरण संरक्षण हेतु छात्र- छात्राएं अकेले भी कार्य कर सकते हैं  एवं समूह बनाकर भी कार्य कर सकते हैं। सबसे पहले उन्हें अपने स्तर से, फिर अपने परिवार के स्तर से, उसके बाद मुहल्ले, गांव एवं समाज स्तर पर कार्य करना होगा और फिर राज्य तथा देश स्तर पर उसका कार्य आगे बढ़ता जायेगा और वह अपने मिशन में सफल होता जायेगा। डा० पाठक ने कहा कि चाहें स्वच्छता हो या पर्यावरण प्रदूषण तथा पारिस्थितिकी असंतुलन के संकट से छुटकारा दिलाना हो, हमें छोटी- छोटी बातों पर ध्यान देना होगा, क्यों कि छोटी - छोटी समस्याएं ही बड़ी समस्याएं बन जाती हैं। जैसे कूड़ा- कचरा हमें नियत स्थान पर ही डालना चाहिए, विद्युत का अनावश्यक प्रयोग नहीं करना चाहिए, जल के नल को खुला नहीं छोड़ना चाहिए, वाहन बंदकर ही बात- चीत करनी चाहिए, अनावश्यक रूप से हरे पेड़ों को न तो काटना चाहिए और न ही काटने देना चाहिए, नदियों में गंदगी नहीं डालनी चाहिए , नालियों को हमेशा साफ रखना चाहिए आदि बातों पर प्रतिदिन ध्यान देते हुए इन्हें दैनिक क्रिया- कलाप में शामिल कर लेना चाहिए। डा० पाठक ने छात्र- छात्राओं को आवाहन करते हुए कहा कि आज हम शपथ लें कि हम अपने जीवन में एक वृक्ष अवश्य लगायेंगे और उसकी देख- भाल करते हुए उसकी रक्षा करेंगे। साथ ही साथ वृक्ष लगाने के लिए हम दूसरों को भी प्रेरित करेंगे। हमारे आस - पास जो भी पेड़ - पौधे होंगें  उनकी सुरक्षा करेंगे। कारण कि स्वच्छ भारत मिशन की सफलता एवं पर्यावरण संरक्षण तथा पारिस्थितिकी असंतुलन को मात्र वृक्षों का संरक्षण कर एवं वृक्षारोपण कर ही किया जा सकता है। हमारी तो संस्कृति ही अरण्य संस्कृति अर्थात् वन संस्कृति रही है , जिसके तहत वृक्ष काटना पाप माना जाता है और वृक्षों को देवता मानकर उसकी पूजा की जाती है । कहा भी गया है- " वृक्ष देवो भव"।अतः हमें अरण्य संस्कृति को पुनः पनर्जीवित कर  एवं उसे अपनाकर पर्यावरण एवं पारिस्थितिकी असंतुलन को बचाना होगा, तभी हमारा जीवन भी बच पायेगा, अन्यथा हमारा विनाश भी निश्चित है। हमें पुनः प्रकृति पूजक बनना होगा एवं भगवान- भ से भूमि, ग से गगन, व से वायु, अ से अग्नि एवं न से नभ की अवधारणा को समझते हुए इन सभी प्राकृतिक तत्वों की रक्षा करनी होगी तभी हम पर्यावरण संरक्षण कर पायेंगे। उक्त अवसर पर गोष्ठी को रोशन दूबे, अतिशय सिंह, रेखा , रविरंजन सिंह, आनन्द सिंह, राधेश्याम यादव, राहुल मिश्र , धर्मेन्द्र यादव, अभिषेक सिंह, मुकेश राय, यीशु सिंह, रविशंकर ओझा, चन्चल, सौरभ , मनीषा , रीना , नीलम ,रानी,धीरज सिंह, शेखर दूबे एवं संदीप कुमार त्यागी, संतोष कुमार मिश्र, कृपाशंकर पाण्डेय, ओमप्रकाश सिंह, अक्षयलाल ठाकुर, प्रभाशंकर, रविन्द्र ठाकुर, सुबास सिंह ,  धनजी एवं जगलाल राम आदि छात्र - छात्राएं एवं महाविद्यालय के कर्मचारी उपस्थित रहे।