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पर्यावरण दिवस पर ए०एन०एम०पी०जी०कालेज दुबेछपरा में लगाए गये वृक्ष

दुबेछपरा (बलिया)। पर्यावरण दिवस पर अमरनाथ मिश्र स्नातकोत्तर महाविद्यालय दूबेछपरा, बलिया में महाविद्यालय के शिक्षकों, कर्मचारियों एवं छात्र- छात्राओं द्वारा अनेक वृक्ष लगाए, जिनमें सागौन, मयूरपंख, नीम, अशोक, कामिनी, मौलश्री, महोगनी आदि वृक्ष लगाए गये। वृक्षारोपण से पूर्व महाविद्यालय के शिक्षकों, कर्मचारियों एवं छात्र- छात्राओं द्वारा महाविद्यालय में लगातार चार घण्टे तक श्रमदान कर महाविद्यालय परिसर की साफ - सफाई की गयी ।





        उक्त अवसर पर छात्र - छात्राओं को संबोधित करते हुए महाविद्यालय के प्राचार्य डा० गणेशकुमार पाठक ने पर्यावरण दिवस के महत्व एवं सार्थकता को स्पष्ट करते हुए वृक्षों , उनके संरक्षण एवं उनके महत्व के बारे में बताते हुए कहा कि वृक्ष हमारे जीवन के आधार है। वृक्षों के बिना हम जीवन की कल्पना कर ही नहीं सकते। कारण कि केवल वनों के कटने से ही  पत्येक तरक के पर्यावरण प्रदूषण में वृद्धि होने लगती है एवं पारिस्थितिकी असंतुलन बढ़ जाता है , जिससे प्राकृतिक आपदाओं जैसे- बाढ़, सूखा, भूस्खलन, भूक्षरण, आंधी, तूफान, चक्रवात , भूकम्प एवं ज्वालामुखी की उत्पत्ति होती है, जिससे अपार क्षति होती है और सम्पूर्ण जीव जगत का जीवन संकट में पड़ जाता है। 
        डा० पाठक ने बताया कि हमारी भारतीय संस्कृति अरण्य( वन) संस्कृति रही है, जिसमें प्रकृति के साथ साहचर्य बनाकर रहा ताता था। वृक्ष देवो भव की संकल्पना के साथ हम वृक्षों की पूजा करते हैं । वृक्षों के काटने पर दण्ड का विधान बनाया गया था। वैदों, पुराणों, मनुस्मृतियोंआदि सभी ग्रंथों में वृक्षों के महत्व को बताया गया है और कहा गया है कि" दस कुंआ खुदवाने का फल एक तालाब खुदवाने के बराबर, दस तालाब खुदवाए का फल एक  झील खुदवाने , दस झील खुदवाने का फल एक पुत्र प्रा प्राप्त करने एवं दस पुत्र प्राप्त करने का फल एक वृक्ष लगाने के बराबर होता है। इस प्रकार हमें हमें वृक्षों के महत्व को समझते हुए अधिक से अधिक से अधिक वृक्ष लगाना चाहिये, अन्यथा हमारा विनाश अवश्यमभावी है।इस अवसर पर छात्र छात्राओं के साथ ही साथ डॉ सुनील कुमार ओझा ,डॉ श्याम विहारी श्रीवास्तव,संजय मिश्र, ओमप्रकाश सिंह,संतोष मिश्रा ,अक्षय लाल,प्रभा  संकर और धनजी।उपस्थित रहे।