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सुशील मोदी बोले :- जीएसटी में लाने के बाद भी पेट्रोलियम उत्पादों की कीमत में नही आएगी ज्यादे कमी

पेट्रोलियम उत्पादों को GST के दायरे में लाने से कीमत पर नहीं होगा ज्यादा असर: सुशील मोदी

    पटना 27 जून 2018 ।।

बिहार के उप-मुख्यमंत्री सुशील मोदी ने  कहा है कि पेट्रोलियम उत्पादों को वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) के दायरे में लाने से इनके दाम कम करने के मामले में कोई ज्यादा असर नहीं होगा. इसके अलावा उन्होंने ये भी कहा है कि वित्त मंत्री अरूण जेटली पेट्रोलियम उत्पादों को कंस्टीटूशन अमेंडमेंट बिल में रखने में कामयाब रहे जबकि पूर्व वित्तमंत्री पी. चिदंबरम इस मोर्चे पर फेल रहे ।
जीएसटी नेटवर्क समिति के प्रमुख की जिम्मेदारी संभाल रहे सुशील मोदी ने कहा, ''ये लोगों में गलत धारणा है कि पेट्रोलियम उत्पादों को जीएसटी के दायरे में लाने से उसकी कीमत में काफी कमी आएगी. इस कदम से पेट्रोलियम उत्पादों की कीमतों में कमी लाने के संदर्भ में मामूली प्रभाव ही पड़ेगा.'' ।मोदी ने कहा, ''जीएसटी व्यवस्था के तहत दुनिया भर में ऐसी व्यवस्था है कि राज्य सबसे ऊंची जीएसटी दर के ऊपर भी कर लगाते हैं. जहां भी जीएसटी लागू हुआ है, वहां यही व्यवस्था अपनाई जाती है.''सुशील मोदी राज्य स्तरीय बैंकरों की समिति (एसएलबीसी) की 64वीं तिमाही बैठक की समीक्षा के बाद संवाददाताओं से बातचीत कर रहे थे. उनसे पूछा गया था कि क्या सरकार पेट्रोलियम उत्पादों को जीएसटी के दायरे में लाने पर विचार कर रही है ।बिहार के वित्त मंत्री की भी जिम्मेदारी संभाल रहे सुशील मोदी ने कहा कि पेट्रोलियम उत्पादों को जीएसटी के दायरे में लाने के बारे में जीएसटी परिषद विचार करे ।वस्तु एवं सेवा कर (GST) को लेकर बीजेपी और कांग्रेस के बीच आरोप-प्रत्यारोप का दौर लगातार जारी है. सोमवार को पूर्व वित्तमंत्री पी. चिदंबरम ने कहा था कि अगर जीएसटी 'ईमानदारी की जीत' है तो बीजेपी ने इसका विरोध क्यों किया था और क्यों इसे पांच साल तक रोका गया था? पी. चिदंबरम के इस बयान पर अब बिहार के उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी ने जवाब देते हुए कहा है कि जीएसटी आने से पहले पी. चिदंबरम ने सेन्ट्रल सेल्स टैक्स (CST) न देकर राज्यों के साथ धोखा किया ।सुशील मोदी ने ट्वीट करते हुए लिखा है, ''पी. चिदंबरम ने राज्यों को सीएसटी मुआवजा देने से इंकार कर जीएसटी को रोक दिया. राज्यों का यूपीए सरकार से विश्वास उठ गया. एनडीए सरकार ने बकाया राशि को मंजूरी दे दी और 5 साल के लिए 14% की ग्रोथ का आश्वासन दिया.''। मोदी के मुताबिक सीएसटी 2007 और 2008 के दौरान 4 प्रतिशत से 2 प्रतिशत कम हो गया था. इसी के अनुसार सीएसटी मुआवजे का पैकेज तैयार किया गया था. इसके आधार पर, राज्यों ने मुआवजे के रूप में 19,6060 करोड़ की मांग की, लेकिन सिर्फ 6,393 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया. 2010-11 में, तत्कालीन राजस्व सचिव आरएस गुजराल ने राज्यों को लिखा था कि कोई सीएसटी मुआवजा नहीं दिया जाएगा. इससे राज्य नाराज हो गया और जीएसटी को लागू करने में देरी की ।प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रविवार को 'मन की बात' में जीएसटी के एक साल पूरा होने का उल्लेख करते हुए कहा था इससे लोगों का 'एक देश एक कर' का सपना पूरा हो गया. उन्होंने जीएसटी को ईमानदारी की जीत और ईमानदारी का उत्सव बताया था, जिसने देश से इंसपेक्टर राज को खत्म कर दिया ।इसके जवाब में पूर्व वित्तमंत्री ने टि्वटर के जरिए सोमवार को मोदी पर निशाना साधा और कहा था अगर जीएसटी 'ईमानदारी की जीत' और 'ईमानदारी का उत्सव' है, तो बीजेपी ने इसका विरोध क्यों किया और क्यों इसे पांच साल तक रोका. उन्होंने कहा प्रधानमंत्री, वित्तमंत्री और कार्यवाहक वित्तमंत्री जीएसटी के कार्यान्वयन में अनगिनत खामियों पर बोलने से क्यों कतरा रहे हैं?