दोस्त ने दोस्त की मैयत में दोस्ती का साथ निभाया
संतोष कुमार द्विवेदी की रिपोर्ट
नगरा(बलिया)। छोड़ेंगे न हम तेरा साथ ए साथी जनम जनम तक..........किसी फिल्म के इस मशहूर गाने को दो दोस्तों की मौत ने चरितार्थ कर दिया। एक बुजुर्ग साथी की अंतिम संस्कार में शामिल होंने गया बुजुर्ग साथी मुखाग्नि के बाद स्वयं भी दम तोड़ दिया।इस दोस्ती को देख वहाँ मौजूद लोग दंग रह गए। रसड़ा थाना क्षेत्र के छिब्बी निवासी रघुनाथ राम व लोचन राम बचपन से ही जिगरी दोस्त थे।गांवो में इनकी दोस्ती की चर्चा होती रहती थी।दोनो दोस्त 70 बसन्त देख चुके थे।पिछले दिनों अचानक रघुनाथ राम की स्वभाविक मौत हो गई।परिजन व गांव के लोग अंतिम संस्कार हेतु शव को लेकर बलिया गंगा किनारे लेकर जाते है।चिता तैयार हो जाती है।परिजन शव को ज्यो ही मुखाग्नि देते है, लोचन राम वही खड़ा होकर अपने दोस्त को एक टक निहारते है तो शव के साथ अंतिम संस्कार में शामिल होने गए ग्रामीण लोचन राम से चुटकी लेते है "आप के मित्र गए, आप कब जाएंगे।"तभी अपने दोस्त के शव को निहार रहे लोचन राम जमीन पर गिर पड़ते है और उनके प्राण पखेरू उड़ जाते है।वहाँ मौजूद लोग लोचन को उठाने पहुचते है तो देखते है कि लोचन राम दम तोड़ चुके है।फिर ग्रामीणों ने राय मशवरा करके दोस्त के शव के पास ही इस दोस्त के शव का भी अंतिम संस्कार कर दिया।दोनो दोस्तो की मौत की चर्चा क्षेत्र में जारी है और ग्रामीण जन इस गाने "छोड़ेंगे न हम तेरा साथ ए साथी जनम जनम तक को गुनगुना रहे है।