सोज के देशद्रोही बोल :- कश्मीरियों की आजादी पहली प्राथमिकता
कांग्रेस नेता सैफुद्दीन सोज़ बोले- कश्मीरियों की पहली प्राथमिकता आज़ादी है
ग़ुलाम नबी आज़ाद के बाद जम्मू कश्मीर से आने वाले कांग्रेस के एक और नेता का कश्मीर पर विवाद बयान सामने आया है. इस बार कांग्रेस नेता सैफ़ुद्दीन सोज़ ने कश्मीर को लेकर विवादित बयान दिया है. सैफ़ुद्दीन सोज़ के मुताबिक, कश्मीर की पहली प्राथमिकता आज़ादी है. ऐसे में जब सीमाएं नहीं बदल सकतीं हैं तो कम से कम कश्मीर के दोनों हिस्सों में लोगों को शांति से जीने देना चाहिए.
सैफ़ुद्दीन सोज़ का दावा है कि पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी और पूर्व पीएम मनमोहन सिंह भी इस बात को अच्छे से समझते थे, लेकिन वो भी इसे हल नहीं कर पाए. सैफ़ुद्दीन सोज़ ने कहा कि कश्मीरी भारत और पाकिस्तान दोनों ही मुल्कों से अलग होना चाहते हैं. वो आजाद होना चाहते हैं. हालांकि ऐसा होना मुमकिन नहीं है ।
सैफ़ुद्दीन सोज़ ने कहा-
मैंने जो लिखा वो तब भी सही था अब भी सही है लेकिन आज़ादी मिल नहीं सकती है. हमको कश्मीर के दोनों हिस्से जो इधर है और उधर दोनों को मिलकर कश्मीर होना चाहिए.
कश्मीरी पाक के साथ नहीं जाना चाहते है उनकी पहली प्राथमिकता आज़ादी है. सीमायें नहीं बदल सकती है हमको स्वतंत्रता मिलनी चाहिए. इसको अटल जी ने समझा और लाहौर वार्ता की
सैफुद्दीन सोज़ के बयान पर बीजेपी नेता सुब्रह्मण्यम स्वामी ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि कश्मीर समस्या कांग्रेस की देन है. नेहरू कैबिनेट की मर्जी के बिना कश्मीर मसले को यूएन ले गए थे ।कश्मीरी पाक के साथ नहीं जाना चाहते है उनकी पहली प्राथमिकता आज़ादी है. सीमायें नहीं बदल सकती है हमको स्वतंत्रता मिलनी चाहिए. इसको अटल जी ने समझा और लाहौर वार्ता की
मीडिया से बातचीत करते हुए सैफुद्दीन सोज़ ने अपने बयान पर सफाई देते हुए कहा कि मेरा बयान कांग्रेस पार्टी का बयान नहीं समझा जाए. ये मेरा निजी बयान है. एक कश्मीरी नागरिक होने के नाते मैंने ये बयान दिया है. मेरा मानना है कि भारत और पाकिस्तान हमसाया मुल्क है. और दोनों तरफ अमन लाने की कोशिश करनी चाहिए.
इससे पहले कश्मीर को लेकर सीनियर कांग्रेस लीडर गुलाम नबी आजाद के बयान को लेकर भी विवाद हुआ था. उन्होंने कहा था कि कश्मीर में चार आतंकियों को मारने के लिए 20 सिविलियंस को मार दिया जाता है. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार की दमनकारी नीति का सबसे अधिक नुकसान आम जनता को भुगतना पड़ता है.
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