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दिव्यांग तीन बच्चों संग फांकाकशी को मजबूर बेवा , नही मिलीं कोई सरकारी सहायता

गरीबो के लिये हज़ारो सरकारी योजनाएं पर इस बेवा के लिये कुछ नही
दूसरों के दिये टुकड़ो पर कट रही है जिंदगी

   बलिया। क्या तीन
विकलांग बच्चों को लेकर फांकाकशी की जीवन काट रही बेवा बृंदा देवी पत्नी जलेश्वर राजभर के लिए भी कोई सरकारी योजना है। जो अपने विकलांग बच्चों को बेहतर इलाज करा सके और स्वयं सहित अपने बच्चों का पेट पाल सके। क्या जिला अधिकारी महोदय की नजरें इनायत कागज में मर चुके दुबहर थाना क्षेत्र के बड़की सेरिया निवासी रघुनाथ राम की तरह मनियर ब्लाक अंतर्गत अजउर निवासी बेवा वृंदा देवी के ऊपर भी होगी। जो अपने दो बच्चियों को लेकर मनियर थाना क्षेत्र अंतर्गत बिशुनपुरा गांव में स्थित शिव नंदन ब्रम्ह के स्थान पर दो माह से रह रही है तथा अपने विकलांग बच्चों का झाड़ फूंक करा रही है। विधवा बृंदा के पति मर चुके हैं। इसके पांच बच्चे हैं जिनमें तीन विकलांग है। दो लड़के सत्येन्द्र (14) वर्ष व शैलेंद्र (12) वर्ष ठीक हैं। वह मजदूरी करके अपना जीवन यापन करते हैं। अमरजीत 11 वर्ष लकवा से ग्रसित है। दो जुड़वा बेटियां करिश्मा व प्रीति लगभग 11 वर्ष दोनों विकलांग है।दो बार विधवा बीएच यू  वाराणसी ले जाकर उनका इलाज कराई लेकिन आर्थिक तंगी के चलते वह आगे का इलाज कराने के लिए  सक्षम नहीं है।
 बिशनपुरा गांव में लोगों के रहमों करम पर वह अपना तथा दोनों बच्चियों को किसी तरह से पेट भर रही है। बिशुनपुरा गांव में सरोवर में स्थित मां दुर्गा के मंदिर में पूजा करने जा रहे इस गांव के पूर्व प्रधान व प्रधान संघ के पूर्व जिलाध्यक्ष श्रीनिवास मिश्रा की नजर इस बेवा पर पड़ी ।उन्होंने मीडिया कर्मियों को सूचना दिया ।साथ ही साथ प्राथमिक





 स्वास्थ्य केंद्र मनियर के प्रभारी डॉक्टर सहाबुद्दीन को भी फोन से सूचित किया लेकिन वह किसी विशेष कार्य से मीटिंग में होने के कारण शुक्रवार के दिन दोनों के इलाज करने का आश्वासन दिए है। इस बेवा को अपने गांव अजउर में लाल कार्ड मिला है।विधवा पेंशन योजना के लाभ एवं आयुष्मान भारत योजना के कार्ड से उक्त बेवा वंचित है।