भाजपा समर्थक का सांसद पर गंभीर आरोप , अपनी जमीन पर अवैध कब्जा करने वालो का साथ देने का आरोप
भाजपा समर्थक का सांसद पर भूमि पर कब्जा करने वालो की तरफदारी का आरोप
बोले सांसद मै इस घटना से अनभिज्ञ
बलिया फोटो अजित मिश्र
बलिया शहर के वार्ड नं 7 हरपुर मुहल्ला निवासी भाजपा समर्थक अजित मिश्र ने बलिया के सांसद भरत सिंह पर अपनी नॉन जेडए भूमि पर गैरकानूनी रूप से कब्जा करने वाले उमेश मिश्र आदि का सहयोग करने का आरोप लगाते हुए इनसे अपने जानमाल का खतरा बताते हुए मुख्यमंत्री से मदद की गुहार लगाई है । बतादे कि अभी 11 जून 2018 को ही इस भू खंड को पोखरी के नाम दर्ज करने का आदेश जिलाधिकारी बलिया द्वारा दिया गया । 12 जून से पूरे जनपद के कार्यालयों में हड़ताल है । इस आदेश में जिलाधिकारी ने इस भूखंड को तालाब के रूप में विकसित करने का आदेश अधिशाषी अधिकारी बलिया को दिया है और इसको पिछले तीन दिनों से विकसित करने का काम उमेश मिश्र 5 ट्रेक्टरों के माध्यम से कर रहे है जो कानूनन दूसरा अतिक्रमण है । किसी भी फैसले के खिलाफ अपील करने का कम से कम तीस दिन का समय मिलता है लेकिन इस केस में तो अजित मिश्र को तीन दिन का भी समय नही मिला है । श्री मिश्र के अनुसार कार्य बंद कराने के लिये मौके पर गया तो उमेश मिश्र आदि लोगो द्वारा भगा दिया गया । पुलिस में दरखास्त देने के वावजूद काम चल रहा है । आदेश नगर पालिका के लिये हुआ है और कब्जा उमेश मिश्र कर रहे है । श्री मिश्र ने कहा कि कब्जा करने वाले लोगो द्वारा ही मेरे बड़े पिता जी की हत्या की गयी थी , इस लिये अब मुझे अपने जान को भी खतरा है । ये लोग सांसद जी के करीबी है इसलिये मेरी प्रशासन में कोई सुनवाई नही हो रही है । इस लिये मैं प्रदेश सरकार के मुखिया योगी जी से जानमाल की सुरक्षा और इस अवैध कब्जे को तत्काल रोकने की मांग करता हूँ ।
न मै इस प्रकरण को जानता हूँ न किसी का सहयोग कर रहा हूँ :- भरत सिंह
जबकि इस संबंध में सांसद भरत सिंह से बात की गयी तो उनका कहना था कि मै इस प्रकरण को जानता तक नही हूँ , तो सहयोग कैसे कर रहा हूँ । रही बात मुझसे जान के खतरे की तो मुझे लोग वर्षो से जानते है कि मै कैसा नेता हूं , मुझसे आदमी को छोड़िए जानवरो तक को खतरा नही है । भाई अजित मिश्र जी किस कारण मुझपर आरोप लगा रहे है , वही जाने ।
क्या है यह पूरा प्रकरण
दरअसल यह पूरा प्रकरण 3 एकड़ 50 डिसमिल के नॉन जेडए भू खंड पर मालिकाना हक का है । यह भू खंड जमींदार की मिल्कियत है और यह वर्षो पहले एक पोखरी थी । बाद में जमींदार से इकरारनामा/पट्टा के माध्यम से दहारी तिवारी (स्वर्गीय) के नाम इस पोखरी के भूखंड पर 1 एकड़50 डिसमिल , योगेंद्र मिश्र आदि के नाम 1 एकड़60 डिसमिल और संजय सिंह के नाम 28 डिसमिल पर खेसरा खतौनी पर दर्ज हो गया है । इसका विरोध लाल बच्चन मिश्र उमेश कुमार मिश्र आदि अध्यक्ष/मंत्री पौहारी बाबा शिव मंदिर समिति हरपुर बलिया ने जिलाधिकारी बलिया , उप जिलाधिकारी बलिया लगायत आयुक्त आजमगढ तक अपील कर इनके नाम माननीय उच्च न्यायालय द्वारा पारित हीच लाल तिवारी बनाम राज्य सरकार में पारित आदेश के क्रम में इन लोगो के नाम को खारिज कर इनके जगह पर पोखरी फिर से कायम किया जाय की मांग की थी । इन न्यायालयों से असफलता हाथ लगने पर उमेश मिश्र द्वारा माननीय उच्च न्यायालय इलाहाबाद में एक जनहित याचिका दायर कर पोखरी का इंद्राज दर्ज करने की अपील की गयी । माननीय उच्च न्यायालय ने याचिका संख्या 51211/2010 उमेश मिश्र बनाम स्टेट आफ यूपी में आदेश पारित करके जिलाधिकारी बलिया को इसकी पूरी मिल्कियत की जांच कर आदेश निर्गत करने का निर्देश दिया था । जिसके क्रम में तत्कालीन डीएम बलिया सी पांडियन सी ने जांचोपरान्त प्रस्तुत रिपोर्टों के आधार पर पाया कि प्रश्नगत भू खंड नॉन जेडए है और जमींदार की मिल्कियत है । वर्षो पहले जब यह पोखरी सुख गयी तो काश्तकारों के नाम से पट्टा कर दिया । चूंकि हीच लाल तिवारी बनाम राज्य सरकार में पारित आदेश उत्तर प्रदेश भू ज विनाश एवम भूमि सुधार अधिनियम के अंतर्गत नगरीय क्षेत्र होने के नाते यह भू खंड आच्छादित नही है और यहां जमींदारी विनाश एवम भूमि सुधार अधिनियम 1950 के प्राविधान लागू नही है और यह नॉन जेडए भूमि है । इस लिये याची उमेश मिश्र आदि की याचिका दिनांक 7 फरवरी 2011 को खारिज की जाती है । यही नही उमेश मिश्र माननीय राजस्व परिषद लखनऊ में भी अपील किये । जहां माननीय न्यायालय में कृष्णानन्द मिश्र आदि ने विरोध करते हुए आपत्ति की कि जब प्रश्नगत भू खंड का किसी भी किस्म का स्वामित्व उमेश मिश्र नही रखने के कारण अपील करने के अधिकारी ही नही है । यहां भी 30 नवम्बर 2015 को उमेश मिश्र को हार का सामना करना पड़ा । पुनः उमेश मिश्र ने अपनी माननीय उच्च न्ययालय में दाखिल याचिका संख्या 37727/2011 उमेश मिश्र बनाम स्टेट आफ यूपी में जिलाधिकारी बलिया के लिये 12 जुलाई 2017 का एक आदेश पारित कराये जिसमे पुनः इसकी सुनवाई करनी थी । इसी आदेश के क्रम में जिलाधिकारी बलिया भवानी सिंह खगारौत द्वारा जांचोपरांत आदेश निर्गत किया गया है जिसमे पुराने नामो को खारिज करके पोखरी इंद्राज कायम करने का आदेश है । इस भू खंड को डीएम ने नॉन जेडए होते हुए भी जलाशय की आवश्यकता बताते हुए अधिशाषी अधिकारी नगर पालिका को आदेशित किया कि उप जिलाधिकारी और तहसीलदार की मदद से अतिक्रमण हटाने के बाद तालाब के सुन्दरीकरण का कार्य कराये ।जिलाधिकारी बलिया ने यह आदेश 11 जून 2018 को दिया है ।
बोले सांसद मै इस घटना से अनभिज्ञ
बलिया फोटो अजित मिश्र
बलिया शहर के वार्ड नं 7 हरपुर मुहल्ला निवासी भाजपा समर्थक अजित मिश्र ने बलिया के सांसद भरत सिंह पर अपनी नॉन जेडए भूमि पर गैरकानूनी रूप से कब्जा करने वाले उमेश मिश्र आदि का सहयोग करने का आरोप लगाते हुए इनसे अपने जानमाल का खतरा बताते हुए मुख्यमंत्री से मदद की गुहार लगाई है । बतादे कि अभी 11 जून 2018 को ही इस भू खंड को पोखरी के नाम दर्ज करने का आदेश जिलाधिकारी बलिया द्वारा दिया गया । 12 जून से पूरे जनपद के कार्यालयों में हड़ताल है । इस आदेश में जिलाधिकारी ने इस भूखंड को तालाब के रूप में विकसित करने का आदेश अधिशाषी अधिकारी बलिया को दिया है और इसको पिछले तीन दिनों से विकसित करने का काम उमेश मिश्र 5 ट्रेक्टरों के माध्यम से कर रहे है जो कानूनन दूसरा अतिक्रमण है । किसी भी फैसले के खिलाफ अपील करने का कम से कम तीस दिन का समय मिलता है लेकिन इस केस में तो अजित मिश्र को तीन दिन का भी समय नही मिला है । श्री मिश्र के अनुसार कार्य बंद कराने के लिये मौके पर गया तो उमेश मिश्र आदि लोगो द्वारा भगा दिया गया । पुलिस में दरखास्त देने के वावजूद काम चल रहा है । आदेश नगर पालिका के लिये हुआ है और कब्जा उमेश मिश्र कर रहे है । श्री मिश्र ने कहा कि कब्जा करने वाले लोगो द्वारा ही मेरे बड़े पिता जी की हत्या की गयी थी , इस लिये अब मुझे अपने जान को भी खतरा है । ये लोग सांसद जी के करीबी है इसलिये मेरी प्रशासन में कोई सुनवाई नही हो रही है । इस लिये मैं प्रदेश सरकार के मुखिया योगी जी से जानमाल की सुरक्षा और इस अवैध कब्जे को तत्काल रोकने की मांग करता हूँ ।
न मै इस प्रकरण को जानता हूँ न किसी का सहयोग कर रहा हूँ :- भरत सिंह
जबकि इस संबंध में सांसद भरत सिंह से बात की गयी तो उनका कहना था कि मै इस प्रकरण को जानता तक नही हूँ , तो सहयोग कैसे कर रहा हूँ । रही बात मुझसे जान के खतरे की तो मुझे लोग वर्षो से जानते है कि मै कैसा नेता हूं , मुझसे आदमी को छोड़िए जानवरो तक को खतरा नही है । भाई अजित मिश्र जी किस कारण मुझपर आरोप लगा रहे है , वही जाने ।
क्या है यह पूरा प्रकरण
दरअसल यह पूरा प्रकरण 3 एकड़ 50 डिसमिल के नॉन जेडए भू खंड पर मालिकाना हक का है । यह भू खंड जमींदार की मिल्कियत है और यह वर्षो पहले एक पोखरी थी । बाद में जमींदार से इकरारनामा/पट्टा के माध्यम से दहारी तिवारी (स्वर्गीय) के नाम इस पोखरी के भूखंड पर 1 एकड़50 डिसमिल , योगेंद्र मिश्र आदि के नाम 1 एकड़60 डिसमिल और संजय सिंह के नाम 28 डिसमिल पर खेसरा खतौनी पर दर्ज हो गया है । इसका विरोध लाल बच्चन मिश्र उमेश कुमार मिश्र आदि अध्यक्ष/मंत्री पौहारी बाबा शिव मंदिर समिति हरपुर बलिया ने जिलाधिकारी बलिया , उप जिलाधिकारी बलिया लगायत आयुक्त आजमगढ तक अपील कर इनके नाम माननीय उच्च न्यायालय द्वारा पारित हीच लाल तिवारी बनाम राज्य सरकार में पारित आदेश के क्रम में इन लोगो के नाम को खारिज कर इनके जगह पर पोखरी फिर से कायम किया जाय की मांग की थी । इन न्यायालयों से असफलता हाथ लगने पर उमेश मिश्र द्वारा माननीय उच्च न्यायालय इलाहाबाद में एक जनहित याचिका दायर कर पोखरी का इंद्राज दर्ज करने की अपील की गयी । माननीय उच्च न्यायालय ने याचिका संख्या 51211/2010 उमेश मिश्र बनाम स्टेट आफ यूपी में आदेश पारित करके जिलाधिकारी बलिया को इसकी पूरी मिल्कियत की जांच कर आदेश निर्गत करने का निर्देश दिया था । जिसके क्रम में तत्कालीन डीएम बलिया सी पांडियन सी ने जांचोपरान्त प्रस्तुत रिपोर्टों के आधार पर पाया कि प्रश्नगत भू खंड नॉन जेडए है और जमींदार की मिल्कियत है । वर्षो पहले जब यह पोखरी सुख गयी तो काश्तकारों के नाम से पट्टा कर दिया । चूंकि हीच लाल तिवारी बनाम राज्य सरकार में पारित आदेश उत्तर प्रदेश भू ज विनाश एवम भूमि सुधार अधिनियम के अंतर्गत नगरीय क्षेत्र होने के नाते यह भू खंड आच्छादित नही है और यहां जमींदारी विनाश एवम भूमि सुधार अधिनियम 1950 के प्राविधान लागू नही है और यह नॉन जेडए भूमि है । इस लिये याची उमेश मिश्र आदि की याचिका दिनांक 7 फरवरी 2011 को खारिज की जाती है । यही नही उमेश मिश्र माननीय राजस्व परिषद लखनऊ में भी अपील किये । जहां माननीय न्यायालय में कृष्णानन्द मिश्र आदि ने विरोध करते हुए आपत्ति की कि जब प्रश्नगत भू खंड का किसी भी किस्म का स्वामित्व उमेश मिश्र नही रखने के कारण अपील करने के अधिकारी ही नही है । यहां भी 30 नवम्बर 2015 को उमेश मिश्र को हार का सामना करना पड़ा । पुनः उमेश मिश्र ने अपनी माननीय उच्च न्ययालय में दाखिल याचिका संख्या 37727/2011 उमेश मिश्र बनाम स्टेट आफ यूपी में जिलाधिकारी बलिया के लिये 12 जुलाई 2017 का एक आदेश पारित कराये जिसमे पुनः इसकी सुनवाई करनी थी । इसी आदेश के क्रम में जिलाधिकारी बलिया भवानी सिंह खगारौत द्वारा जांचोपरांत आदेश निर्गत किया गया है जिसमे पुराने नामो को खारिज करके पोखरी इंद्राज कायम करने का आदेश है । इस भू खंड को डीएम ने नॉन जेडए होते हुए भी जलाशय की आवश्यकता बताते हुए अधिशाषी अधिकारी नगर पालिका को आदेशित किया कि उप जिलाधिकारी और तहसीलदार की मदद से अतिक्रमण हटाने के बाद तालाब के सुन्दरीकरण का कार्य कराये ।जिलाधिकारी बलिया ने यह आदेश 11 जून 2018 को दिया है ।