Breaking News

J&K: आतंकियों के खिलाफ फिर से शुरू होगी कार्रवाई, ये है सरकार की मंशा


नई दिल्ली 18 जून 2018 ।।
    भारत सरकार ने कश्मीर में एक दूरगामी रणनीति के तहत सस्पेंशन ऑपरेशन की घोषणा की थी. मकसद था कश्मीर के लोगों का भरोसा जीता जा सके और लोग शांति से घाटी में रमजान के पवित्र महीने में समय गुजार सकें. लेकिन लगातार हालात ऐसे होते गए कि आखिरकार सरकार ने इस फैसले को नहीं बढ़ाया. बावजूद इसके सरकार अब भी यह मान रही है आतंकवादियों ने घाटी में चाहे जो कुछ किया लेकिन आम लोगों के बीच सरकार अपनी नियत और प्रयास से छाप जरूर छोड़ने में सफल रही.

    आतंकियों की लगातार जारी घटनाएं
    दरअसल जैसे ही घाटी में सस्पेंशन ऑपरेशन की घोषणा हुई, आतंकी वारदातों में भी बढ़ोतरी होने लगी. ग्रेनेड हमला, आईईडी धमाका, सुरक्षाबलों की हत्या और जम्मू अंतरराष्ट्रीय सीमा पर लगातार पाकिस्तान की ओर से गोलीबारी का जारी रहना जैसी घटनाएं शामिल हैं. रमजान के ही महीने में सात बीएसएफ जवान पाकिस्तानी गोलीबारी की वजह से शहीद हो गए. तीन बार पाकिस्तान ने अंतरराष्ट्रीय संवाद का उल्लंघन किया. जहां तक लाइन आफ कंट्रोल से घुसपैठ का सवाल है तो इस महीने के दौरान जम्मू कश्मीर में दस से ज्यादा घुसपैठियों को मार गिराया गया. यानी एक ओर भारतीय सीमा के भीतर आतंकियों ने कोहराम मचाया था तो दूसरी ओर सीमापार पाकिस्तान अशांति फैलाने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ रहा था.

    अलगाववादियों का वार्ता के लिए सामने न आनाअलगाववादियों का वार्ता में हिस्सा न लेना. सरकार यह मान रही थी कि जब तक कश्मीर में कोई नया ऑपरेशन नहीं चलेगा, तब तक अलगाववादी वार्ता के लिए सामने नहीं आएंगे. गृहमंत्री कश्मीर गए वहां उन्होने एक रात गुजारी, उससे पहले भारत सरकार के प्रमुख वार्ताकार दिनेश्वर शर्मा ने भी कई बार कश्मीर का दौरा किया लेकिन एक बार भी हुरियत की तरफ से कोई बातचीत के लिए सामने नहीं आया. भारत सरकार ये मान रही है कि वार्ता का एक बेहतरीन मौका हुरियत और अलगाववादियों ने गंवा दिया है.

    जब सरकार ने सस्पेंशन ऑफ ऑपरेशन के फैसले की घोषणा की तो घाटी में कुछ लोगों ने इस बात को भी फैलाने की कोशिश की सरकार आतंकवादियों के प्रति नरमी बरत रही है. लेकिन ऐसा नहीं था. आतंकवादी सुरक्षाबलों के रुख में नरमी चाहते थे पर सुरक्षाबल पुख्ता तरीके से अपनी आत्मरक्षा तो कर ही रहे थे, साथ ही वो कश्मीर के लोगों का दिल भी जीतने की कोशिश कर रहे थे.

    फैसले पर कश्मीर के लोगों की सोचसरकारी सूत्रों के मुताबिक, कश्मीर में आम लोगों और सिविल सोसाइटी से सरकार को बहुत अच्छी प्रतिक्रिया मिली है. सिविल सोसाइटी ने जहां फैसले का स्वागत किया तो वही आम लोगों की जिन्दगी में भी पत्थरबाजी कम होने की वजह से बेहद आसान बन गई थी. यही वजह थी कि इस फैसले की घोषणा होने के शुरुआती दौर में सरकार यह विचार भी कर रही थी कि इस फैसले को आगे बढ़ाया जाए.

    सस्पेंशन ऑफ ऑपरेशन को खत्म करेन की वजहइस फैसले की घोषणा के साथ ही लगातार आतंकवादी घटनाएं होती रही, लेकिन रमजान की अंतिम दौर यानी 4 दिनों में जो घटनाक्रम हुए उसने सरकार का नजरिया पूरी तरीके से बदल दिया. वरिष्ठ पत्रकार हत्याकांड, बीएसएफ के चार जवानों का शहीद होना, शहीद सैनिक औरंजेब प्रकरण, ग्रेनेड हमला प्रमुख वारदातें थी जिस वजह से सरकार ने संस्पेंशन ऑफ ऑपरेशन को न बढ़ाने का फैसला किया.

    क्या होगा सरकार के नए फैसले का असरपिछले 1 महीने में चाहे वह सेना हो, अर्धसैनिक बल हो या फिर जम्मू कश्मीर पुलिस तीनों को नया ऑपरेशन ना चलाने की वजह से बहुत ज्यादा नुकसान हुआ है. आतंकवादी लगातार उन पर हमला करते रहे और उनकी जड़ खत्म करने का सुरक्षाबलों को कोई मौका नहीं मिला. सुरक्षाबलों को ऑपरेशन की छूट देने के बाद अब आतंकवादियों के ठिकानों पर छापेमारी तेज हो जाएगी.

    आतंकियों ने जिस-जिस जगह पर अपने आप को संगठित करने की कोशिश की है सुरक्षा बल उसे मिटाने के लिए तैयारी में जुट जाएगा. अब सुरक्षाबल का ऑपरेशन ज्यादा योजनाबद्ध और आक्रमक भी होगा. इसकी बहुत बड़ी वजह यह भी है पिछले 1 महीनों के दौरान घाटी की व्यवस्था ने ये देख लिया है की नरमी का जवाब आतंकवादी किस अंदाज में देते हैं. लेकिन दूसरी ओर सरकार ने साफ कर दिया कि विकास की परियोजनाएं और विकास कार्य लगातार जारी रहे ।(साभार अमित पांडेय)