बुराड़ी डेथ मिस्ट्री में खुलासा - नोटबुक में लिखा है क्यो बंधे थे 10 शवो के हाथ
बुराड़ी डेथ मिस्ट्री: क्यों बंधे थे 10 शवों के हाथ? घर से मिली नोटबुक से हुआ खुलासा
- नई दिल्ली 2 जुलाई 2018 ।।
(रौनक कुमार गुंजन)
दिल्ली स्थित बुराड़ी में सीलिंग से लटके 10 शवों के आस-पास हिन्दू आराध्यों की तस्वीरें लगी थीं. एक वृद्ध महिला का गला कटा था और वह मृत पड़ी थी. वहीं एक नोटबुक पड़ी थी जिसमें कुछ तांत्रिक दिशा-निर्देश दिए गए थे. रविवार को हुई पुलिस जांच में घटनास्थल पर हाथ से लिखे नोट्स बरामद हुए हैं, जिसमें उनके अच्छे भविष्य का वादा किया गया था. सभी मृतकों की आंखों पर पट्टी थी और उनके हाथ बंधे थे. परिवार के आधे से ज्यादा सदस्यों का चेहरा झुका हुआ था, वहीं बाकी का चेहरा ऊपर की ओर था. सभी शव, लोहे की ग्रिल से लटके हुए पाए गए. रविवार सुबह जब तक पुलिस ने इलाके को अपने कब्जे में लिया तब तक दिल्ली स्थित संतनगर बुराड़ी में भाटिया हाउस डरावना हो चुका था. पुलिस ने कहा कि घर में ही बनाए गए मंदिर के पास ही धार्मिक दिशा-निर्देश लिखी हुई एक नोटबुक बरामद हुई. इस नोटबुक में साल 2017 से ही दिशा-निर्देश लिखे हुए थे ।इस नोटबुक में मुंह और आंख को कपड़ों से ढंककर, हाथ बांधकर दर्द और डर से निपटने की बात लिखी थी. नोटबुक में 25 जून को आखिरी बार लिखा गया था. इसे मृतकों में से एक ललित भाटिया ने लिखा था. इसमें लिखा था कि किस तरह से लोग उसके आदेश पर स्टूल से कूद जाएंगे ।
दिल्ली स्थित बुराड़ी में सीलिंग से लटके 10 शवों के आस-पास हिन्दू आराध्यों की तस्वीरें लगी थीं. एक वृद्ध महिला का गला कटा था और वह मृत पड़ी थी. वहीं एक नोटबुक पड़ी थी जिसमें कुछ तांत्रिक दिशा-निर्देश दिए गए थे. रविवार को हुई पुलिस जांच में घटनास्थल पर हाथ से लिखे नोट्स बरामद हुए हैं, जिसमें उनके अच्छे भविष्य का वादा किया गया था. सभी मृतकों की आंखों पर पट्टी थी और उनके हाथ बंधे थे. परिवार के आधे से ज्यादा सदस्यों का चेहरा झुका हुआ था, वहीं बाकी का चेहरा ऊपर की ओर था. सभी शव, लोहे की ग्रिल से लटके हुए पाए गए. रविवार सुबह जब तक पुलिस ने इलाके को अपने कब्जे में लिया तब तक दिल्ली स्थित संतनगर बुराड़ी में भाटिया हाउस डरावना हो चुका था. पुलिस ने कहा कि घर में ही बनाए गए मंदिर के पास ही धार्मिक दिशा-निर्देश लिखी हुई एक नोटबुक बरामद हुई. इस नोटबुक में साल 2017 से ही दिशा-निर्देश लिखे हुए थे ।इस नोटबुक में मुंह और आंख को कपड़ों से ढंककर, हाथ बांधकर दर्द और डर से निपटने की बात लिखी थी. नोटबुक में 25 जून को आखिरी बार लिखा गया था. इसे मृतकों में से एक ललित भाटिया ने लिखा था. इसमें लिखा था कि किस तरह से लोग उसके आदेश पर स्टूल से कूद जाएंगे ।
संवाददाता ने उस मेड से बात की जो भाटिया परिवार में 6 साल पहले काम करती थी, हालांकि निजी कारणों से उसने काम छोड़ दिया. हालांकि उसने कुछ ज्यादा नहीं कहा लेकिन परिवार के अजीब-ओ-ग़रीब रवैये की ओर इशारा किया. मेड ने कहा, "सारे परिजन बहुत ज्यादा धार्मिक थे. घर के मालिक भूपी भाटिया, अक्सर कुछ धार्मिक कार्यक्रमों के दौरान आपा खो बैठते थे. वह समझ से बाहर आने वाली बाते कहते थें और अजीब व्यवहार करते थे."।
परिवार की सबसे बड़ी सदस्य 77 वर्षीय नारायण भाटिया, फर्श पर मृत पाई गईं. उसी से जुड़े कमरे में सभी 10 लोगों के शव लटके हुए थे. पुलिस की जांच में यह बात सामने आई है कि परिवार के सदस्यों में से किसी एक ने रात के खाने में दर्द दूर करने वाली दवा मिला दी थी ।
वरिष्ठ मनोवैज्ञानिक डॉक्टर, रूपा मुर्गई ने कहा, "धार्मिक समूहों में बीमार मनोदशा वाले लोग होते हैं जिन्हें उपचार की आवश्यकता होती है. वे इससे कोई व्यक्तिगत या शारीरिक लाभ नहीं लेते हैं. वे कमजोर दिमागी लोगों को निशाना बनाते हैं और ब्रेन वॉश करते हैं. वह उन्हें इस बात का यकीन दिलाते हैं कि अच्छे जीवन के लिए उनका मरना जरूरी है. धर्म की आड़ में ऐसे समूह लोगों को सम्मोहित करते हैं और उनसे ऐसा कराते हैं."।
पुलिस के सूत्रों का कहना है कि परिवार के 11 सदस्यों में से 7 महिला और 4 पुरुष सदस्यों की हत्या, घर के ही 3 लोगों ने मारा और फिर खुद की हत्या कर ली. दिल्ली विश्वविद्यालय में मनोवैज्ञानिक नलिनी डेका ने कहा, "मैंने ऐसे धार्मिक समूहों को देखा है जो अपने लोगों को नशीली दवाओं से धीमा कर देते हैं और फिर उनसे जो चाहे वह करा सकते हैं. हम उन सांप्रदायिक समूहों का जिक्र नहीं कर सकते. उन्होंने इन सबके पीछे किसी ड्रग समूह का हाथ होने से इनकार किया."।
भाटिया परिवार की एक परचून की और प्लाईवुड की दुकान थी. उन्होंने हाल ही में इसका एक तिहाई हिस्सा बेच दिया था जिसके चलते इस बात की संभावना को खारिज हो गई कि इन मौतों के पीछे कोई आर्थिक समस्या था. मूल रूप से राजस्थान की रहने वाले परिवार के लिए यह खुशियों का मौसम था. घर की बेटी, प्रियंका भाटिया की शादी होने वाली थी और 15 दिन पहले ही उसकी सगाई हुई थी. प्लाईवुड की दुकान पर हेल्पर ने कहा, "भाटिया स्वभाव से बहुत ही हंसमुख थे. हालांकि, बीते एक हफ्ते से वह कुछ दिक्कत में दिख रहे थे. हेल्पर का बीते एक दशक से भाटिया हाउस आना जाना था."।
कई वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों ने कहा कि हत्या, बलात्कार सरीखे अपराधों के लिए सजा का प्रावधान तो है लेकिन तंत्र मंत्र के अभ्यासों के चलते हुई मौतों के लिए कोई कानून नहीं है. मामले को जो पेचीदा बनाता है वो यह है कि पीड़ित अपनी इच्छा से तांत्रिकों के पास जाते हैं. अमूमन कोई चश्मदीद नहीं होता. ऐसे अपराधों में शामिल अधिकतर पुलिस पर यह आरोप लगाते हुए बच निकलने में कामयाब रहते हैं कि उनके समुदाय के खिलाफ कार्रवाई की जा रही है.
कई पड़ोसियों से भी बात की जिन्होंने धर्म की ओर परिवार के झुकाव के बारे में पुष्टि की.
एक पड़ोसी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया, "वे लगातार और भव्य कार्यक्रम करते थे. वे कई पुजारियों को आमंत्रित करते थे और जो भी उन्हें बताया जाता था, वही करते थे."
मृतकों की पहचान नारायण भाटिया (75), उनकी बेटी प्रतिभा (60), प्रतिभा की बेटी प्रियंका (30), नारायण के बड़े बेटे भूपति भाटिया (46), उनकी पत्नी सविता (42), उनके बच्चे नीतू 24), मीनू ( 22) और धीरू (12), नारायण के छोटे बेटे ललित भाटिया (42) और उनकी पत्नी टीना (38) के तौर पर हुई है ।
(साभार)
बुराड़ी डेथ मिस्ट्री में खुलासा - नोटबुक में लिखा है क्यो बंधे थे 10 शवो के हाथ
Reviewed by बलिया एक्सप्रेस
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July 02, 2018
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