Breaking News

रेलवे विभाग ने बनाया कीर्तिमान , साढ़े तीन साल में 1400 किमी दूरी पर पहुँचाया सामान



    बस्ती 27 जुलाई 2018 ।।
    भारत के प्रधान मंत्री देश मे बुलेट ट्रेन चलाने का सपना देख रहे है । जिस रेल विभाग के सहारे मोदी जी अपने सपने को साकार करना चाहते है , वह रेल विभाग कितना तेज और सतर्क है उसका नजारा आज उत्तर प्रदेश के बस्ती रेलवे स्टेशन पर देखने को मिला , जिसको देखने के बाद लोगो के मुंह से अनायास निकल रहा था क्या यही लोग बुलेट चलाएंगे ?
    उत्तर प्रदेश के बस्ती जिले में रेलवे विभाग का एक अजीबोगरीब मामला सामने आया है । मालगाड़ी के एक वैगन को विशाखापटनम से बस्ती तक की 1400 किलोमीटर की दूरी तय करने में साढ़े तीन साल लग गए । नवंबर 2014 में चला यह वैगन गुरुवार यानी 25 जुलाई को बस्ती रेलवे स्टेशन पहुंचा । जब वैगन को चेक किया गया तो पता चला की 2014 में यह वैगन विशाखापटनम से बुक किया गया था । साढ़े तीन साल बाद वैगन के पहुंचने पर रेल अधिकारी आश्चर्य चकित हो गए ।
    बता दें कि इंडियन पोटास कंपनी ने खाद लदा वैगन नम्बर 107462 विशाखापटनम पोर्ट से मेसर्स रामचन्द्र गुप्ता बस्ती की दुकान के लिए बुक किया था । वैगन बुक करने के बाद जब कई महीना बीत गया और खाद नहीं पहुंचा तो रेलवे को दर्जनों पत्र लिखा गया । बावजूद इसके साढ़े तीन साल में रेलवे लापता वैगन का पता नहीं लगा सका । साढ़े तीन साल से खाद लदा वैगन पूरे देश में इधर से उधर घूमता रहा । सैकड़ों स्टेशनों से गुजरने के वादजूद रेलवे को इसकी भनक तक नहीं लगी । साढ़े तीन साल तक लाखों की खाद वैगन में इधर से उधर घूमती रही. रेलवे के मुताबिक, 8 से 10 लाख रुपए की खाद का नुकसान हुआ है । 

    वैगन में लदा 10 लाख रुपए का खाद बर्बाद हो गया.
    वैगन में लदा 10 लाख रुपए का खाद बर्बाद हो गया.
    फिलहाल खाद को रेलवे स्टेशन के प्लेटफार्म पर उतार दिया गया है ।खाद खराब होने की वजह से दुकानदारों ने उसे लेने से मना कर दिया है । खाद के मालिक मनोज कुमार गुप्ता का कहना है कि रेलवे की बड़ी गलती है । जो रैक 2014 में बुक कराई गई, वह साढ़े तीन साल बाद अब आ रही है । वैगन के मिसिंग होने पर रेलवे को रिमाइंडर दिया गया था , बावजूद इसके रेलवे साढ़े तीन साल तक वैगन का पता नहीं लगा पायी और अब साढ़े तीन साल बाद वैगन विशाखापटनम से चल कर बस्ती पहुंचा है । मनोज का कहना है कि अब एसेस्मेंट बेसिस पर रेलवे से माल लिया जाएगा ।

    उधर इस मामले पर सीपीआरओ पूर्वोत्तर रेलवे संजय यादव का कहना है कि कभी-कभी कोई वैगन सिक हो जाते हैं, तब उसे मालगाड़ी से हटा दिया जाता है । फिट होने पर दुबारा गंतव्य तक भेजा जाता है । शायद वहीं कोई भूल या चूक हो गई । लेकिन इस वैगन में लदे माल को लेकर कोई क्लेम सामने नहीं आने से भी इतना वक्त लग गया ।