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मिशन 2019 :- मोदी को बीस साबित करने के लिये भाजपा ने बनाई 6 रणनीतियां

2019 में फिर '20' साबित होंंगे पीएम मोदी! जीत के लिए BJP ने बनाई ये छह रणनीतियां




    नई दिल्ली 1 जुलाई 2018 ।।
    भारतीय जनता पार्टी को सत्ता में साढ़े चार साल हो गए हैं. 2019 के लोकसभा चुनाव अब ज्यादा दूर नहीं हैं. इसलिए बीजेपी विपक्ष के खिलाफ आक्रामक तेवर में है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनके सबसे भरोसेमंद सिपहसालार अमित शाह ने वोटों की मोर्चेबंदी और अपने संगठन के कील-कांटे बुहारने में ताकत झोंक दी है. अब निशाना 2014 से ज्यादा बड़ा लक्ष्य हासिल करना है. इसके लिए पार्टी ने 'मिशन स्वर्णिम अष्टभुज' तैयार किया है.

    जीत के लिए BJP की 6 रणनीति
    बीजेपी का मिशन जीत के लिए '6 कदम-6 रणनीतियों' को मिलाकर तैयार हुआ है. इन रणनीतियों में कश्मीर से कन्याकुमारी और कच्छ से कामरूप तक वोटों और सीटों का गणित शामिल है. रणभेरी बज चुकी है और बीजेपी अध्यक्ष से लेकर कार्यकर्ता तक मैदान में कूद चुके हैं.
    मिशन 2019 के लिए बीजेपी की रणनीति के केंद्र में जम्मू-कश्मीर, गन्ना किसान,  प्लान 'शहंशाह', पश्चिम बंगाल, हिन्दुत्व, राम-मन्दिर और रूठों को मनाना है ।
    रणनीति नंबर 1: कश्मीर दांव से राष्ट्रवादी छवि निखारी
    यह उस (तस्वीर में) सर्जिकल स्ट्राइक का सबूत जिसे विपक्ष ने 29 सितंबर 2016 को नकार दिया गया था. सेना की ओर जारी सर्जिकल स्ट्राइक के वीडियो से साफ है कि कैसे जाबांज़ जवानों ने LoC पार करके पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में बने आतंक के कैंप तबाह किए थे. यह वीडियो सबूत जारी किए जाने के बाद बीजेपी का वो दावा भी मजबूत हुआ कि आतंकवाद और पाकिस्तान के खिलाफ सेना को खुली छूट है. साथ ही बीजेपी नेता विरोधियों पर हमलावर अंदाज में भी आ गए ।

    सर्जिकल स्ट्राइक की तस्वीर (फाइल फोटो)
    लड़ाई में जीत का फायदा हर जगह सत्ता दल को मिलता है और हार का नुकसान भी उठाना पड़ता है. चाहे कोई दल उसका प्रचार करे या नहीं, सर्जिकल स्ट्राइक भी पाकिस्तान के खिलाफ एक छोटी लड़ाई ही थी. जाहिर है कि अब बीजेपी इसका फायदा पूरे देश में उठाने की कोशिश करेगी.
    2014 के चुनाव प्रचार में बीजेपी के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी आतंकवाद, अलगाववादियों पर नरम रवैए के लिए यूपीए सरकार को कोसते थे. 4 साल में मोदी सरकार ने अलगाववादियों और आतंकवादियों के खिलाफ कड़े कदम उठाए हैं. जम्मू-कश्मीर में बीजेपी ने पहले सरकार से समर्थन वापिस लिया ।
    राज्यपाल शासन लगने के बाद से अलगाववादियों के खिलाफ कड़े कदम उठाए. जेकेएलएफ के अध्यक्ष यासीन मलिक को पुलिस हिरासत में लिया गया. हुर्रियत कॉन्फ्रेंस के मीरवाइज उमर फारूक को नजरबंद किया गया. साथ ही कई अलगाववादियों पर 'टेरर फंडिंग' के केस भी दर्ज किए गए. बीजेपी को उम्मीद है कि कश्मीर की प्रयोगशाला में उठाए गए राजनीतिक और रणनीतिक कदम उसे पूरे देश में फायदा पहुंचाने वाले हैं ।
    रणनीति नंबर 2: गन्ने के गणित से वोटों पर नज़र 
    यूपी चुनाव प्रचार के दौरान बीजेपी का वादा था गन्ना किसानों को 15 दिन में भुगतान देना, लेकिन यह हो नहीं सका और इसके बाद कैराना में बीजेपी की हार का जिम्मेदार गन्ने को मान लिया गया. बीजेपी ने भी इस बात को समझा और शुक्रवार को ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दिल्ली में यूपी, उत्तराखण्ड, पंजाब, कर्नाटक और महाराष्ट्र के गन्ना किसानों से मुलाकात की.
    प्रधानमंत्री ने हर फसल के लागत मूल्य से किसानों को डेढ़ गुना मूल्य देने का वादा दिया. कैराना की हार के बाद चीनी मिलों की मदद के लिए 8,500 करोड़ रुपये का पैकेज मंजूर किया गया था. देश में 9.2 करोड़ किसान परिवार हैं. इसका मतलब करीब 45 करोड़ लोग. सरकार अपने इस कदम से एक बड़े वोट बैंक को बचाना चाहती है.
    प्रधानमंत्री सरकारी योजनाओं के स्तर पर जनता को बीजेपी के साथ जोड़ने में लगे हैं तो बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह अपने संगठन के जरिए जनता को पार्टी से जोड़ने का काम कर रहे हैं.
    रणनीति नंबर 3: शाह का प्लान 'शहंशाह'
    बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह उत्तर प्रदेश में बीजेपी की तैयारियों का टेस्ट लेने के लिए 2 दिन के यूपी दौरे पर जाने वाले हैं. इसी कड़ी में 15-16 जुलाई को 2 दिन के दौरे पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी अपने संसदीय क्षेत्र वाराणसी पहुंच रहे हैं. अमित शाह 4 जुलाई को वाराणसी और मिर्जापुर में पार्टी नेताओं से मिलेंगे. इसके बाद वह 5 जुलाई को आगरा जाकर पश्चिमी यूपी के बीजेपी नेताओं की तैयारी का जायजा लेंगे.

    बीजेपी को 2014 में उत्तर प्रदेश से ही सबसे ज्यादा सीट मिली थीं. पार्टी ने एसपी और बीएसपी के गठबंधन को देखते हुए उत्तर प्रदेश में अपनी रणनीति तेज कर दी है. लेकिन अमित शाह के प्लान में उत्तर प्रदेश के साथ इस बार पश्चिम बंगाल भी शामिल है. भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने गुरुवार को पुरुलिया में रैली की. रैली के बहाने शाह ने मारे गए अपने दो पार्टी कार्यकर्ताओं के मसले पर तृणमूल कांग्रेस को घेरने की कोशिश की.

    फिलहाल, पश्चिम बंगाल में बीजेपी प्रमुख विपक्षी दल सीपीएम और कांग्रेस को पछाड़कर नंबर दो की कुर्सी पर काबिज होने की जद्दोजहद कर रही है. उसे कुछ जगहों पर कामयाबी भी मिली है. इसीलिए अमित शाह ने इस बार पश्चिम बंगाल की 42 में से 22 लोकसभा सीटें जीतने का लक्ष्य रखा है.

    पश्चिम बंगाल में वोटों का गणित
    2009 में लोकसभा चुनाव में BJP को 6.14% वोट मिले थे जबकि 2014 में बीजेपी को वोट प्रतिशत 17.02 हो गया. BJP पंचायत चुनाव में भी दूसरे नंबर की पार्टी बनकर उभरी. इसीलिए अमित शाह को उम्मीद है कि पश्चिम बंगाल से वो 22 सीट निकाल लेंगे, लेकिन यह इतना आसान नहीं होने वाला है.

    BJP की रणनीतियां तैयार की जा रही हैं और अमल में लाई जा रही हैं, लेकिन उसका असल एजेंडा है हिन्दू वोटों का ध्रुवीकरण. इसी के बूते 2014 में बीजेपी ने चुनाव जीता था और 2019 से पहले एक बार फिर एक पुरानी तस्वीर सामने आई जो बीजेपी के हिन्दुत्व एजेंडे को दिखाने वाली साबित हुई.

    रणनीति नंबर 4: हिन्दुत्व विचारधारा का आधार
    2011 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गोल टोपी पहनने से इनकार किया था और बीते हफ्ते योगी आदित्यनाथ जब मगहर में संत कबीर की मजार पर पहुंचे तो उन्होंने भी गोल टोपी पहनने से इनकार कर दिया. ये दोनों ही चेहरे बीजेपी के हिन्दूवादी एजेंडे के पोस्टर बॉय हैं.


    पीएम नरेंद्र मोदी और यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ (फाइल फोटो)
    योगी का यह रुख बिल्कुल प्रधानमंत्री से मिलता जुलता था यानी साफ संदेश कि हिन्दुत्व के एजेंडे से कोई समझौता नहीं. हिन्दुत्व के एजेंडे के साथ-साथ बीजेपी के एजेंडे में 'राम मंदिर' सबसे ऊपर है.

    रणनीति नंबर 5: चुनाव से पहले 'राम-मंदिर' कार्ड
    'राम मंदिर' ही बीजेपी को पहली बार सत्ता तक लाया था और 'राम मंदिर' बनवाने की बीजेपी की मूल प्रतिज्ञा आज भी अधर में है. हाल ही में संत समाज ने भी 'राम मंदिर' बनवाने के मुद्दे को खूब हवा दी है. बीजेपी मान रही है कि इस मसले का हल सुप्रीम कोर्ट जल्द निकालेगी.

    रणनीति नंबर 6: शाह रूठों को मनाने में जुटे
    6 जून को भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष अमित शाह सहयोगी दल शिव सेना से मिलने मुंबई पहुंचे. इसके अलावा अकाली दल के नेता प्रकाश सिंह बादल से भी मिले. बीजेपी के नेतृत्व वाले सत्तारूढ़ एनडीए गठबंधन में शामिल कई सहयोगी पार्टियां नाराज चल रही हैं. NDA में बीजेपी एक ऐसे संकट से गुजर रही है जैसे 2004 का सूरते हाल था. इसकी वजह है 4 साल तक सहयोगियों की उपेक्षा. मार्च में चंद्रबाबू नायडू की तेलुगू देसम पार्टी ने गठबंधन से नाता तोड़ दिया. शिव सेना भी खफा हो गई लेकिन अब अमित शाह ने एनडीए को मजबूत करने के लिए अपने साथियों को मनाने की मुहिम छेड़ दी है.

    ये बीजेपी के वो 6 रणनीतिक कदम हैं, जिनसे 2019 के लिए अपने किले को मजबूत बनाया जा रहा है. विपक्ष बीजेपी को हराने का सपना देख रहा है लेकिन अभी तक गठबंधन का सूरते हाल साफ नहीं है. सीटों की कलह जारी है, यह भी तय नहीं कि राहुल गांधी का नेतृत्व कौन-कौन मानने को तैयार. ठीक उसी वक्त विपक्ष की कलह के बीच बीजेपी अपनी लड़ाई छेड़ चुकी है ।(साभार)।