खुलासा - भारत मे हर घंटे गायब हो रहे हैं 6 बच्चे
पश्चिम बंगाल देश का वो सूबा है जहां सबसे ज्यादा 92 हजार बच्चे गायब चल रहे हैं. अगर 6 जुलाई से 10 जुलाई के बीच गायब होने वाले बच्चों का जिक्र करें तो 53, 69, 53, 38 और 40 पश्चिम बंगाल से गायब हो चुके हैं. पिछले एक साल की बात करें तो 6999 बच्चे गायब हुए थे.
ग्राफिक्स-न्यूज18 हिन्दी.
गायब बच्चों की संख्या के मामले में हमारी राजधानी दिल्ली भी पीछे नहीं है. पिछले 5 दिन में दिल्ली से 185 बच्चे गायब हो चुके हैं. 6 जुलाई को सबसे ज्यादा 7 बच्चे गायब हुए. मध्य प्रदेश में तो 5 दिन में रिकॉर्ड तोड़ 304 बच्चे गायब हुए.
लेकिन 11 जुलाई को जब हम ये खबर लिख रहे थे तो पिछले 24 घंटे में देशभर से 444 बच्चे गायब हो चुके थे. महिला एंव बाल विकास मंत्रालय द्वारा संचालित नेशनल ट्रैकिंग सिस्टम पोर्टल पर 3.30 बजे ये आंकड़ा अपडेट हो चुका था. कर्नाटक से 122 और मध्य प्रदेश से 105 बच्चे गायब हो चुके थे. वहीं दिल्ली से 53 और पश्चिम बंगाल से 47 बच्चे.
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बड़ा है देश से गायब होने वाले बच्चों का आंकड़ा
̔ गायब बच्चों के बारे में आंकड़ा देश का हो या दिल्ली और पश्चिम बंगाल का. गायब बच्चों नम्बर को देखते हुए ये आंकड़ा बेहद ही कम है. सही बात तो ये है कि महिला एंव बाल विकास मंत्रालय वो आंकड़े जारी करता है जिन गायब बच्चों की एफआईआर दर्ज की जाती है.
जबकि हकीकत ये है कि गायब बच्चों के मामले में करीब 40 प्रतिशत मामलों की एफआईआर दर्ज नहीं हो पाती है. जहां सबसे ज्यादा बच्चे गायब हो रहे हैं ऐसे राज्य झारखण्ड और छत्तीसगढ़ सहित पूर्वात्तर राज्यों का तो नाम ही नहीं आता है.̓
नरेश पारस, कोऑर्डिनेटर महफूज संस्था
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एक ही परिवार के गायब हुए 3 बच्चे, 5 साल बाद लिखी रिपोर्ट
सोमवती आगरा में रहती है. 2002 में सोमवती का पहला बचचा गायब हो गया था. 6 महीने बाद ही सोमवती के दो और बच्चे गायब हो गए. लेकिन पुलिस ने एफआईआर तक दर्ज नहीं की. एफआईआर लिखी भी गई तो राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग के दखल के बाद ।
लेकिन उसके बाद भी पुलिस उन बच्चों को नहीं तलाश सकी. बच्चों का पिता खुद उन्हें शहर की गली-गली तलाश करता था. इसी तलाश में एक दिन पिता को एक कुत्ते ने काट लिया. इलाज न मिल पाने के चलते रैबीज से उसकी मौत हो गई. सोमवती आज भी अपने बच्चों के इंतजार में जिंदा है.
डेढ़ साल बाद पुलिस नहीं सामाजिक कार्यकर्ता ने तलाशे मां-बाप
आगरा के एक अनाथ आश्रम में एक बच्चा रह रहा था. अनाथ आश्रम को बच्चा रेलवे स्टेशन पर मिला था. जब एक सामाजिक कार्यकर्ता नरेश पारस ने उससे बात की तो बच्चे ने बताया कि वह काल्पी का रहने वाला है. कुछ लोग उससे स्टेशन पर भीख मंगवाने का काम करते थे. गूगल के साहरे नरेश ने काल्पी को जालौन में ढूंढ निकाला.
इसके बाद सोशल मीडिया की बात से बच्चे के पिता राजेन्द्र को भी तलाश लिया. बच्चे का पिता शहर दर शहर जड़ी-बूटी बेचने का काम करता था. नरेश के अनुसार बच्चे के पिता के पास आधा दर्जन से अधिक शहरों में बच्चे के गुम होने के प्रार्थना पत्र की कॉपी थी.
शायद किसी शहर की पुलिस बच्चे की तलाश में लग जाए इसके लिए अलग-अलग शहरों में ये कहकर प्रार्थना पत्र दिए गए थे कि बच्चा आपके यहां से चोरी हुआ है. लेकिन हैरत की बात ये है कि किसी भी शहर में उसकी एफआईआर दर्ज नहीं की गई थी ।