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ANALYSIS: प्रधानमंत्री मोदी ने अविश्वास प्रस्ताव के दौरान KCR की तारीफ क्यों की?
ANALYSIS: प्रधानमंत्री मोदी ने अविश्वास प्रस्ताव के दौरान KCR की तारीफ क्यों की?
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- 21 जुलाई 2018
(टीएस सुधीर)
शनिवार की सुबह जब तेलंगाना में बीजेपी के वरिष्ठ नेताओं ने एक-दूसरे से बात की, तो असमंजस की स्थिति साफ नजर आ रही थी. कुछ घंटों पहले, लोक सभा मे अविश्वास प्रस्ताव पर जवाब देते हुए नरेंद्र मोदी ने टीडीपी और आन्ध्र प्रदेश की बात करते हुए केसीआर की तारीफ की थी. उन्होंने केसीआर की परिपक्वता और सशक्तता का ज़िक्र किया था. एक झटके में मोदी ने हवा का रुख बदल दिया. दरअसल तेलंगाना में बीजेपी के कार्यकर्ता केसीआर के खिलाफ मोर्चा बना रहे थएक नेता ने कहा, "साफ तौर पर तेलंगाना में बीजेपी का हित दिल्ली में बैठे नेतृत्व के लिए अहम नहीं हैं. यह हमारे पूरे अभियान को कमज़ोर करता है. लेकिन हम कुछ भी नहीं कर सकते हैं. इस तारीफ का मतलब है टीआरएस विरोधी जिसने बीजेपी को वोट दिया वो अब कांग्रेस की ओर चले जाएंगे "।
शनिवार की सुबह जब तेलंगाना में बीजेपी के वरिष्ठ नेताओं ने एक-दूसरे से बात की, तो असमंजस की स्थिति साफ नजर आ रही थी. कुछ घंटों पहले, लोक सभा मे अविश्वास प्रस्ताव पर जवाब देते हुए नरेंद्र मोदी ने टीडीपी और आन्ध्र प्रदेश की बात करते हुए केसीआर की तारीफ की थी. उन्होंने केसीआर की परिपक्वता और सशक्तता का ज़िक्र किया था. एक झटके में मोदी ने हवा का रुख बदल दिया. दरअसल तेलंगाना में बीजेपी के कार्यकर्ता केसीआर के खिलाफ मोर्चा बना रहे थएक नेता ने कहा, "साफ तौर पर तेलंगाना में बीजेपी का हित दिल्ली में बैठे नेतृत्व के लिए अहम नहीं हैं. यह हमारे पूरे अभियान को कमज़ोर करता है. लेकिन हम कुछ भी नहीं कर सकते हैं. इस तारीफ का मतलब है टीआरएस विरोधी जिसने बीजेपी को वोट दिया वो अब कांग्रेस की ओर चले जाएंगे "।
साफ तौर पर अगर बीजेपी हाई कमान ने गोदावरी में तेलंगाना इकाई को खत्म करने का फैसला किया है, तो यह वास्तव में आश्चर्यजनक नहीं है. इसी महीने हैदराबाद की एक दिवसीय यात्रा के दौरान जब उन्होंने पार्टी के प्रमुखों और इकाइयों के साथ तीन अलग-अलग बैठकें कीं, तो अमित शाह को यह समझ आ गया कि तेलंगाना में बीजेपी जीत से काफी दूर है ।
वास्तव में, बीजेपी अध्यक्ष ने पार्टी के कैडर से हैदराबाद में कहा कि वो यहां सरकार बनाने के बारे में चिंता करना छोड़ दे. इसके बजाए, उन्होंने ग्रामीण इलाकों में जा कर पार्टी को मजबूत करने को कहा ।
केसीआर की तारीफ करते हुए मोदी ने एक तीर से दो निशाना साधने की कोशिश की है. पहला चंद्रबाबू नायडू को उखाड़ फेंकने की, जिनका केसीआर के साथ व्यक्तिगत समीकरण देश के लिए एक रहस्य है. हैदराबाद के आधुनिक हिस्से का निर्माण करने वाले नायडू अपने प्रशासनिक कौशल में बहुत गर्व महसूस करते हैं. उन्हें सिर्फ एक राज्य तक सीमित कर दिया गया है. केसीआर कभी नायडू की कैबिनेट में एक साधारण परिवहन मंत्री थे. ऐसे में नायडू को नीचा दिखाने के लिए मोदी ने केसीआर की तारीफ कर दी ।ऐसे में नायडू को गुस्सा दिलाने का यह एक अच्छा तरीका था ।
दूसरा कारण यह सुनिश्चित करना था कि तेलंगाना, आंध्र में संभावित चुनावी नुकसान की भरपाई करे. जहां बीजेपी के पास सिर्फ दो सांसद हैं । मोदी की तारीफ यह सुनिश्चित कर सकती है कि अगर 2019 के चुनाव के बाद बीजेपी को कुछ सीटें कम पड़ती है तो वो केसीआर के समर्थन से आ गये ।
42 सेकेंड के क्लिप में जहां मोदी केसीआर की तारीफ कर रहे हैं टीआरएस के लोग इसे सोशल मीडिया पर लगातार शेयर कर रहे हैं. ऐसे में यह साफ है कि प्रधानमंत्री का निशाना सही जगह पर लगा है ।भले ही टीआरएस लोकसभा में मतदान से दूर रही हो, लेकिन पीएम के इस भाषण से केसीआर के कद को आगे बढ़ाने की कोशिश की जाएगी. ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा कि केसीआर के सहयोगी ओवैसी बीजेपी के साथ चुनाव के बाद गठबंधन को लेकर क्या प्रतिक्रिया देते हैं ।
जब तेलंगाना के मुख्यमंत्री ने इस साल मार्च में गैर-बीजेपी, गैर-कांग्रेस के मोर्चे के में बारे में अपनी राय रखी तो लोगों को तभी से शक होने लगा कि यह सिर्फ बीजेपी की मदद करने के लिए है. केसीआर ने खुद को बेंगलुरु में एचडी कुमारस्वामी के शपथ ग्रहण समारोह से भी दूर रखा जहां विपक्षी गुट के बड़े नेता जमा हुए थे ।
अविश्वास प्रस्ताव में यह भी देखा गया कि कैसे एआईएडीएमके को तमिलनाडु में बीजेपी ने नजरअंदाज कर दिया है. टीआरएस के विपरीत, इसके सांसदों ने भी सरकार के लिए मतदान किया. यह नहीं भूलना चाहिए कि जयललिता ने 2014 के चुनावों में खुद को पीएम उम्मीदवार के रूप में पेश किया था, जिसके परिणामस्वरूप मोदी लहर के बावजूद उनकी पार्टी को 39 सीटों में से 37 पर जीत मिली थी ।
ऐसा नहीं है कि एआईएडीएमके के पास केंद्र के खिलाफ शिकायतों का पिटारा नहीं था । इसके प्रतिनिधियों ने अपने भाषणों के दौरान शिकायतों और मांगों की एक लंबी सूची पढ़ी. लेकिन जब वोट देने की बारी आई तो उन्होंने मोदी के साथ खड़े होने का फैसला किया ? वो यह भूल गए कि बीजेपी ने कर्नाटक में अपने राजनीतिक हितों को नाराज नहीं करने के चलते कावेरी प्रबंधन प्राधिकरण के गठन में देरी की. वो भूल गए कि नीट के मुद्दे पर केंद्र के साथ खींचतान हुई थी ।
दबाव बनाने के लिए मुख्यमंत्री पलानीस्वामी के करीब पर इनकम टैक्स के छापे मारे गए ।एआईएडीएमके को पता है कि अगर आंध्र को विशेष दर्जा दिया जाता है, तो ये उसके लिए नुकसानदेह होगा ।
कांग्रेस और डीएमके के पास लोकसभा सांसद नहीं हैं, उन्होंने टीडीपी के प्रस्ताव का समर्थन किया. ऐसे में एआईएडीएमके को इसका विरोध करने का बहाना मिल गया. ऐसे में तमिलनाडु में एआईएडीएमके और बीजेपी की टक्कर डीएमके-कांग्रेस के गठबंधन से हो सकती है.
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं, ये उनके निजी विचार हैं)
ANALYSIS: प्रधानमंत्री मोदी ने अविश्वास प्रस्ताव के दौरान KCR की तारीफ क्यों की?
Reviewed by बलिया एक्सप्रेस
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July 21, 2018
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