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सिकन्दरपुर(बलिया)-परंपरागत और हर्सोल्लास के बीच निकला रथयात्रा/महाबीरी झंडा जुलूस

प्रशासन की मुस्तैदी से शरारती तत्वों को नही मिला शरारत करने का मौका
डीएम एसपी ने खुद संभाल रखी थी कमान
 सिकंदरपुर (बलिया)15 जुलाई 2018 ।। ऐतिहासिक रथयात्रा /महावीरी झंडा का जुलूस 14 जुलाई शनिवार की शाम को यहां कड़ी सुरक्षा व्यवस्था और डीएम एसपी के नेतृत्व में  निकाला गया । जिसमें हजारों लोगों ने भाग लिया । इस दौरान जुलूस में शामिल युवकों ने अस्त्र कलाओं का हैरतअंगेज प्रदर्शन कर लोगों को दांतों तले अंगुली दबाने को विवश कर दिया । लोगों द्वारा उनके प्रदर्शन को भरपूर सराहना मिली ।  जुलूस में शामिल भीड़ में रह रहकर जय महावीर के उद्घोष से नगर का वातावरण शुरू से अंत तक भक्तिमय बना रहा । पूरी रथ यात्रा की तर्ज पर प्रत्येक वर्ष यहां की आशाढ़ शुक्ल की द्वितीया को उमंग और उल्लास के साथ जुलूस निकाला जाता है । भ्रमण के दौरान सभी अख़ाड़ों में एक से बढ़कर एक सजी झांकियां चल रही थी । शामिल लोगों के मुख से एक ही गगनभेदी नारा सदा जय महावीर बुलंद हो रहा था । सबसे पहले डोमनपुरा स्थित ठाकुर जी मंदिर अखाड़ा का जुलूस निकला । परंपरागत मार्गों पर भ्रमण के बाद यह जुलूस हॉस्पिटल तिराहा पर पहुंचकर खड़ा हो गया ।
जुलूस के साथ चल रहे रथ पर सुभद्रा, बलभद्र और श्रीकृष्ण सवार थे, बाद में महावीर स्थान, भीखपुरा, गोला बाजार, मिल्की, मानापुर, बढ्ढा, रहिलापाली, जलालीपुर,चकखान के जुलूस अपने मोहल्ले से प्रस्थान कर परंपरागत मार्गों पर भ्रमण करने लगे । बाद में सभी जुलूस क्रमशः जल्पा चौक पहुंचा , जहां से सभी जुलूस के रुप में देर रात डोमनपुरा स्थित ठाकुर जी मंदिर पहुंचकर समाप्त हुआ ।जुलूस में भ्रमण के दौरान अखाड़ों में शामिल तरह-तरह की झांकियों को देखने के लिए सभी मार्गों पर लोगों का हुजूम उमड़ पड़ा था । ट्रैक्टर-ट्रालियों पर झाकियों को आकर्षक रूप से सजाया गया था । बच्चों के मनोरंजन के लिए झांकियों के साथ तरह-तरह के कार्टून भी चल रहे थे ।

जगह जगह लोगों ने जुलूस के पहुंचने पर भक्ति में ओतप्रोत होकर महावीर जी का दर्शन कर प्रसाद स्वरूप चढ़ावा चढ़ाया । जुलूस के मार्ग पर पड़ने वाले रशीदिया चौक, भीखपुरा चौक, डोमनपुरा चौक जैसे अति संवेदनशील स्थानों को प्रशासन ने पूरी तरह पुलिस छावनी के रूप में तब्दील कर दिया था । जुलूस को शांतिपूर्ण वातावरण में संपन्न कराने हेतु कटिबद्ध प्रशासन सीसी कैमरे के माध्यम से निगहबानी कर रहा था ।आला अधिकारी मातहतों से पल-पल की खबर ले रहे थे ।बता दे कि झंडोत्सव को लेकर एक सप्ताह पूर्व से ही नगर के को केसरिया झंडे से पाट दिया गया था । जुलूस के भ्रमण वाले रास्ते पर जगह-जगह पानी व शरबत पिलाने की व्यवस्था की गई थी । अनेक स्थानों पर प्रसाद का भी वितरण किया गया ।युवा एकता कमेटी की तरफ से बस स्टेशन चौराहे पर प्रसाद वितरण के साथ ही शरबत व फल का जूस पिलाने की व्यवस्था की गई थी । जिसे जुलूस में शामिल लोगों ने ग्रहण किया ।
पिछले साल की घटनाओं के चलते प्रशासन रहा पूरी तरह अलर्ट
पिछले वर्ष की इस जुलूस में हुई छिटपुट घटनाओं और  ताजिया जुलूस में हुए बवाल को ध्यान में रखते हुए जिला प्रशासन पूरी तरह सतर्क रहा । शांति व्यवस्था की निगरानी स्वयं जिलाधिकारी भवानी सिंह खंगारौत और पुलिस अधीक्षक श्रीपर्णा गांगुली द्वारा की जा रही थी । वही एडिशनल एसपी नार्थ विक्रांत वीर (आईपीएस) और एडिशनल एसपी साउथ विजय पाल सिंह पूरी रात लगभग सुबह 4 बजे तक मुस्तैद रहकर जुलूसों को सकुशल गंतव्य तक पहुंचाया । कुछ देर के लिये बड़े हनुमान जी की कमेटी द्वारा झांकी रोककर व्यवधान डालने का प्रयास किया गया लेकिन प्रशासनिक अधिकारियों की चपलता और चातुर्य के कारण माहौल बिगड़ नही पाया । पूरे जुलूसों के अपने अपने गंतव्य तक जाकर पुनः वापसी तक सीओ सिकन्दरपुर और थानाध्यक्ष सिकन्दरपुर अनिल चंद तिवारी चक्रमण करते रहे । वैसे प्रशासन ने जुलूस को सकुशल सम्पन्न कराने के लिये और महावीरी झंडा के मद्देनजर सिकंदरपुर नगर को 3 सेक्टर में बांट दिया था । प्रत्येक सेक्टर में 1 एसडीएम लेवल का एक अधिकारी और  1 जोनल पुलिस ऑफिसर उस सेक्टर के प्रभारी बनाये गये थे ।
महावीरी झंडा जुलूस के दौरान दोनों अपर पुलिस अधीक्षक,अपर जिलाधिकारी, 3 एसडीएम, 3 क्षेत्राधिकारी, 3 कंपनी पीएसी, 22 एसएचओ , 800 पुलिस कांस्टेबल, 4 क्विक एक्शन टीम, 2 वज्र वाहन, 3 फायर सर्विस टीम, 3 महिला एसएचओ, 30 महिला कॉन्स्टेबल, 4 टीयर गैस स्क्वायड , 300 होमगार्ड के साथ साथ 500 पब्लिक सहयोगी वालंटियर जुलूस के दौरान साथ रहे।
20 चिन्हित जगहों पर पुलिसकर्मी सिविल ड्रेस में छतो से फोटोग्राफी कर रहे थे और जुलूस में 5 पुलिसकर्मी सादी वर्दी मे फोटोग्राफी किये ।पूरे नगर में 50 सीसीटीवी कैमरें गोपनीय तौर पर लगाये गए थे । जुलूस के दौरान पूरे क्षेत्र मे ड्रोन कैमरे से निगरानी की गयी।
इस महावीरी झंडा जुलूस के लिये सिकन्दरपुर मे मऊ,आजमगढ़ व बलिया जिले से लगभग 55 से 60 थानो की फोर्स को तैनात किया गया था।

लगभग 300 साल पुराना है रथ यात्रा का इतिहास
     सिकन्दरपुर में प्रत्येक वर्ष शानोशौकत से निकलने वाली चतुर्भुज भगवान की रथयात्रा का इतिहास लगभग 300 साल पुराना और राजा सुरथ से जोड़कर बताया जाता है । लोगो का कहना है कि कुष्ट रोग से ग्रसित राजा सुरथ का पड़ाव सिकन्दरपुर में हुआ था । शौच करने के लिये राजा ने अपने नौकर से पानी मंगवाया ।नौकर द्वारा पानी लाकर दिया गया । जहां जहां राजा के अंग से पानी का स्पर्श हुआ वहां से कुष्ट रोग दूर हो गया , राजा को बहुत आश्चर्य हुआ । राजा ने तुरंत पानी लाने वाले नौकर को बुलवाया और पानी वाली जगह को दिखलाने का आदेश दिया । नौकर राजा को वहां ले गया तो राजा ने देखा कि थोड़ी सी जगह में जहां कीचड़ है उसी में पानी है । राजा तुरंत उस कीचड़ में लौटने लगे , ऐसा करने से उनका कुष्ट रोग दूर हो गया । ऐसा चमत्कार देख राजा ने सर्वजन के कल्याण के लिये इसको पोखरा बनवाने का आदेश दिया । कहा जाता है रातदिन सैकड़ो मजदूर इस काम मे लगाये गये । एकदिन एक मजदूर का फावड़ा किसी वस्तु से टकराकर ठनठन की आवाज किया । जिसके बाद धीरे धीरे इस स्थान की खुदाई हुई तो भगवान चतुर्भुज नाथ , बलभद्र जी और बहन सुभद्रा जी की सोने की मूर्तियां निकली । फावड़े की चोट से भगवान चतुर्भुज नाथ का एक हाथ कटकर अलग हो गया था जिसको बाद में किसी तरह जोड़ा गया लेकिन कटे का निशान आज भी दिखता है । पोखरा का निर्माण पूर्ण होने पर यही चतुर्भुज भगवान की भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा के साथ मन्दिर बनाकर पूजन अर्चन शुरू किया गया और तीनों लोगो को भगवान जगरनाथ की पूरी रथयात्रा की तर्ज पर पूरे नगर भ्रमण कराने की यह परंपरा शुरू की गयी जो आज भी हर्सोल्लास के साथ मनायी जा रही है । लगभग दो दशक पहले से इस रथयात्रा जुलूस को महाबीरी झंडा जुलूस के नाम से भी जाना जाता है । भगवान चतुर्भुजनाथ के नाम से ही पोखरा आज भी लोगो की आस्था का केंद्र है वही इसके बगल में राजा सुरथ की महारानी द्वारा बनवाया गया रानी सागर नामक पोखरा भी इस क्षेत्र में लोगो का आकर्षण का केंद्र है ।
रिपोर्ट- संतोष शर्मा ,अरविंद पांडेय/ नुरुल होदा खांन/गोपाल प्रसाद गुप्ता