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महान शिक्षाविद , द्वाबा के मालवीय , बहुआयामी प्रतिभा के धनी थे पंडित अमरनाथ मिश्र -डॉ जनार्दन राय

महान कर्मयोगी , द्वाबा के मालवीय थे पं० अमरनाथ मिश्र 
92 वी जयंती पर महाविद्यालय में हुआ शिक्षाविदों का जमावड़ा
स्व अमरनाथ मिश्र के कृतित्व व व्यक्तित्व पर सबने डाला प्रकाश


       
डॉ सुनील कुमार ओझा (उप संपादक बलिया एक्सप्रेस)
दुबे छपरा बलिया 27 जुलाई 2018 ।।
आज अमरनाथ मिश्र स्नातकोत्तर महाविद्यालय दूबेछपरा, बलिया में द्वाबा के मालवीय, समग्र विकास के पुरोधा, समाज सेवी एवं स्वतंत्रता सेनानी पं० अमरनाथ मिश्र की 92 वीं जयन्ती धूम- धाम से मनायी गयी। इस अवसर पर" पं० अमरनाथ मिश्र : व्यक्तित्व एवं कृतित्व " नामक विषय पर एक विचारगोष्ठी का भी आयोजन किया गया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि प्रसिध्द साहित्यकार एवं शिक्षाविद् डा० जनार्दन  राय रहे। कार्यक्रम की अध्यक्षता एडवोकेट श्री लल्लन तिवारी ने किया, जबकि कार्यक्रम का संचालन डा० शिवेश राय ने किया। कार्यक्रम के प्रारम्भ में सर्व प्रथम पं० अमरनाथ मिश्र की प्रतिमा पर सभी गणमान्य आगन्तुकों सहित महाविद्यालय के शिक्षकों एवं कर्मचारियों द्वारा माल्यार्पण किया गया किया गया। तत्पश्चात महाविद्यालय सभागार में गोष्ठी का शुभारम्भ करने के परिप्रेक्ष्य में सर्व प्रथम दीप प्रज्वलित कर एवं माल्यार्पण कर मां सरस्वती की पूजा- अर्चना की गयी।
   गोष्ठी को संबोधित करते हुए एडवोकेट रमाशंकर मिश्र ने  पं० अमरनाथ मिश्र की सहृदयता, सहनशीलता,  सहयोग, सत्कर्म एवं साधना के ऊपर विस्तृत प्रकाश डाला। पी एन इण्टर कालेज दूबेछपरा के प्रधानाचार्य श्री गिरिवेश दत्त शुक्ल ने कहा कि पं० मिश्र जी एक ऐसे कर्मयोगी थे जिन्होंने इस क्षेत्र में उच्च शिक्षा की अलख जगायी। श्री उमाशंकर मिश्र ने उनके द्वारा शिक्षा क्षेत्र में किए गये कार्यों की विस्तृत चर्चा की। श्री जयसिंह चतुर्वेदी ने मिश्र जी के धार्मिक एवं आध्यात्मिक कखर्यों पर प्रकाश डाला। पं० शुभनारायण पाण्डेय ने अपने संस्मरणों द्वारा मिश्र जी के जीवन पर प्रकाश डाला।
      बतौर मुख्य अतिथि गोष्ठी को संबोधित करते हुए डा० जनार्दन राय ने कहा कि पं० अमरनाथ मिश्र एक स्वतंत्रता सेनानी, शैक्षिक उन्नयन के प्रणेता, सच्चे कर्मयोगी, समाज सेवी, राजनीतिज्ञ तथा  धार्मिक आध्यात्मिक उत्थान के प्रणेता थे। इस प्रकार वे एक बहुआयामी व्यक्तित्व के धनी थे।जिनके लिए कोई भी कार्य असम्भव नही था। वे धुन के पक्के थे और कठिन से कठिन कार्यों को भी इसी धून के बर पर पूरा कर लेते थे ।ऐसे मनीषी विरले ही होते हैं।
    अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में एडवोकेट लल्लन तिवारी ने कहा कि पं० अमरनाथ मिश्र एक ऐसे कर्मयोगी थे , जिनके शब्दकोश में असंभव नामक शब्द नहीं था। वे जिस पथ पय निकल जाते थे , रास्ता अपने आप मिल जाता था।
  महाविद्यालय के प्राचार्य डा० गणेश कुमार पाठक ने अपने सम्बोधन में कहा कि पं० अमरनाथ मिश्र समग्र विकास के परोधा थे। वे सामाजिक, आर्थिक, राजनैतिक, सांस्कृतिक तथा धार्मिक एवं आध्यात्मिक प्रत्येक क्षेत्र में ऐसे कार्य किए हैं कि उनकी मिशाल दी जाती है। यह इस क्षेत्र का सौभाग्य हैकि इस क्षेत्र मे ऐसा मनीषी पैदा हुआ और इस क्षेत्र के समग्र विकास के लिए अपना पूरा जीवन समर्पित कर दिया।
     गोष्ठी को सूर्य नारायण मिश्र, रामनारायण मिश्र, अक्षयवर ओझा, जे पी पाण्डेय,शोभा मिश्र आदि वक्ताओं ने अपने विचार व्यक्त किए। गोष्ठी में महाविद्यालय के प्राध्यापकों में डॉ गौरी शंकर द्विवेदी,डॉ गीता,डॉ श्याम बिहारी श्रीवास्तव,संजय मिश्रा,डॉ सुनील कुमार ओझा, एवं कर्मचारियो में कृपा शंकर पांडेय,ओम प्रकाश सिंह ,संतोष मिश्र,अक्षय कुमार,राजेश कुमार,प्रभा शंकर,सुभाष सिंह,शिवजी तिवारी,रविन्द्र कुमार,योगेंद्र कुमार,अनिल कुमार उपस्थित रहे।
 इस अवसर पर बी0ए0 तृतीय वर्ष 2018 की छात्रा नीशू तिवारी पुत्री नर्वदेश्वर तिवारी ग्राम प्रसाद छपरा को प्रथम आने पर पुरस्कृत किया गया।
  कार्यक्रम के अंत में मुख्य अतिथि, कार्यक्रम के अध्यक्ष, स्वतंत्रता सेनानी राविचार पाण्डेय, श्री शुभनारायण पाण्डेय एवं श्री गिरिवेश दत्त शुक्ल को को अंगवस्त्रम देकर सम्मानित किया गया।अंत में महाविद्यालय के प्राचार्य डा० गणेश कुमार पाठक ने सभी आगन्तुकों एवं अतिथियों के प्रति आभार प्रकट किया।