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सबरीमाला मंदिर विवाद पर सुप्रीम कोर्ट का आदेश -- सभी पुरुष महिला, मंदिर में कर सकते है प्रवेश

 संविधान के खिलाफ है प्रबंधन का फैसला, मंदिर में हर कोई कर सकता है प्रवेश- SC

    नईदिल्ली 18 जुलाई 2018 ।।
    केरल के सबरीमाला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश पर सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक पीठ ने कहा है कि मंदिर में महिलाओं के प्रवेश पर बैन लगाने का फैसला संविधान के खिलाफ है । कोर्ट ने कहा, 'संविधान में प्राइवेट मन्दिर का कोई कॉन्सेप्ट नहीं है और एक बार यदि आपने मंदिर सार्वजनिक तौर पर खोल दिया तो उसमें कोई भी प्रवेश कर सकता है.'।

    सुनवाई के दौरान सीजेआई दीपक मिश्रा ने सवाल किया, 'मंदिर प्रबंधन ने किस आधार पर महिलाओं के प्रवेश पर प्रतिबंध लगाने का फैसला किया ? यह संविधान के विरुद्ध है ,मंदिर में कोई भी जा सकता है ।
    इस मामले में केरल सरकार का पक्ष है कि मंदिरों पूजा की विधियां और रीति रिवाज मंदिर प्रबंधन ही तय करते हैं और इन अधिकारों को आस्था के अधिकार के तहत सुरक्षित रखा गया है. इस पर भी मुख्य न्यायाधीश ने आपत्ति जताई कि मंदिर को भेदभाव करने का अधिकार नहीं दिया जा सकता है ।


    सीजेआई ने कहा कि यदि मंदिर में पुरुषों को प्रवेश की अनुमति है तो वहां महिलाओं को भी प्रवेश की अनुमति मिलनी चाहिए. उन्होंने कहा, " मंदिर निजी स्थान नहीं है. मंदिर एक जन संपत्ति है जहां जाने से किसी भी आयु वर्ग के महिला या पुरुष को, किसी भी तरह से नहीं रोका जा सकता. अगर पुरुष वहां जा सकते हैं तो महिलाएं भी जा सकती हैं."।

    मुख्य न्यायाधीश ने कहा, "पुरुष हो या महिला संविधान में सभी को आस्था के समान अधिकार दिए गए हैं ।आर्टिकल 25(1) में यह साफ है. कानून में सभी को समान माना गया है."।

    इस मामले में जस्टिस डीवाय चंद्रचूड़ ने कहा, "पुरुषों की तरह हर महिला को भी ईश्वर ने ही बनाया है. ऐसे में पूजा के स्थल पर महिलाओं के साथ भेदभाव कैसे किया जा सकता है."।

    शीर्ष अदालत ने पिछले साल 13 अक्टूबर को पांच सवाल तैयार करके संविधान पीठ के पास भेजे थे । इनमें यह सवाल भी था कि क्या मंदिर में महिलाओं के प्रवेश पर प्रतिबंध पक्षपात करने के समान है और इससे संविधान के अनुच्छेद 14, 15 में दिए उनके मौलिक अधिकारों का हनन होता है और उन्हें अनुच्छेद 25 और 26 के अंतर्गत नैतिकता से संरक्षण नहीं मिला है ।

    10 से 50 वर्ष तक की महिलाओं के प्रवेश पर रोक
    पत्थनमथिट्टा जिले के पश्चिमी घाट की पहाड़ी पर स्थित सबरीमाला मंदिर के प्रबंधन ने शीर्ष अदालत से पहले कहा था कि मासिक धर्म की वजह से वे शुद्धता नहीं बनाये रख सकती है, इसलिए 10 से 50 साल तक की महिलाओं का मंदिर के अंदर जाना मना है ।

    इस मामले में सात नवंबर, 2016 को केरल सरकार ने न्यायालय को सूचित किया था कि वह ऐतिहासिक सबरीमाला मंदिर में सभी आयु वर्ग की महिलाओं के प्रवेश के पक्ष में है ।
    शुरुआत में राज्य की एलडीएफ सरकार ने 2007 में प्रगतिशील रुख अपनाते हुए मंदिर में महिलाओं के प्रवेश की हिमायत की थी जिसे कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूडीएफ सरकार ने बदल दिया था ।
    यूडीएफ सरकार का कहना था कि वह 10 से 50 साल तक की महिलाओं का प्रवेश वर्जित करने के पक्ष में है क्योंकि यह परपंरा अति प्राचीन काल से चली आ रही है ।