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आंसुओ की ताकत पर भरोसा कर सार्वजनिक रूप से रोये कुमारस्वामी, बीजेपी कांग्रेस दोनों को किया स्तब्ध


    16 जुलाई 2018 ।।

    नेता आंसुओं की ताकत जानते हैं ।कई ने इसके जरिए अपना करियर ही संवार लिया । नेताओं के लिए आंसू बहुत सी चीजों का इंश्योरेंस होते हैं ।एच डी कुमारस्वामी भी बहुत मझे हुए नेता है ।तभी उन्होंने हिंदू मान्यता की याद दिलाते हुए आंसू बहाए कि वह भी शिवजी की तरह विषपान कर रहे हैं । कुमारस्वामी के पिता, पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवेगैड़ा ने भी उत्तर कर्नाटक के हुबली जिले में एक तरह से अपने बेटे के इस रुख का समर्थन किया ।साथ ही कांग्रेस और बीजेपी दोनों पर हमला भी किया. मीडिया से बातचीत में उन्होंने कहा कि कुमारस्वामी को खुल कर काम करने नहीं दिया जा रहा है । उन पर बहुत अधिक दबाव है. दो महीने पहले जब यह कांग्रेस जेडीएस की साझा सरकार बनी तभी से पिता-पुत्र दोनों सताए जाने का कार्ड खेल रहे हैं ताकि कुछ सहानुभूति पैदा की जा सके । कुमारस्वामी अक्सर अपनी बेचारगी के बयान करते रहे हैं कि वे तो कांग्रेस के रहम पर हैं. जबकि 104 सदस्यों वाला विपक्ष उन्हें हटाने में लगा है ।कुमारस्वामी का ये बयान पूरी मीडिया में हेडलाइन बना. इससे सहयोगी दल कांग्रेस चिंतित भी है और उसकी किरकिरी भी हुई. विपक्षी बीजेपी ने इसे ड्रामा करार दिया और कहा कि उन्हें बेस्ट एक्टर का अवार्ड दिया जाना चाहिए. केंद्रीय मंत्री अरुण जेटली ने तो इसे गठबंधन की समाप्ति की शुरुआत तक कह दिया राजनीति के कुछ जानकार कह रहे हैं कि यह‍ गठबंधन के कमजोर होने का संकेत है ।आगे चल कर सरकार भी गिर सकती है ।लेकिन कुछ मान रहे हैं कि ये सोची समझी रणनीति है. इस रणनीति का अपना एक मकसद भी है. जेडीएस कार्यकर्ताओं के सामने आंसू बहा कर कुमारस्वामी ने एक चतुराई भरा कदम उठाया है. गौड़ा के सुपुत्र इस ताकतवर सेंटीमेंटल कार्ड को खेल कर एक तरह से कांग्रेस को चेतावनी दी है कि अगर वे टांग खिंचना जारी रखेगी तो दिक्कत होगी. वह अपने को सताया हुआ साबित कर देंगे । साथ ही उन्होंने बीजेपी को भी संकेत दे दिए कि 11 साल पहले उनके सहयोगी रहे बीएस येदुरप्पा ने जैसे उनके साथ ‘विश्वासघात’ किया था वैसा वह भी कर सकते हैं ।गठबंधन के कोआर्डिनेशन कमेटी के चेयरमैन और पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धारमैया सार्वजनिक तौर पर सरकार के स्थिरता को लेकर विवादास्पद बयान दे चुके हैं । उन्हें कभी गौड़ा का प्रतिद्वंदी माना जाता रहा ।बीजेपी इसमें लगी है कि सरकार को उत्तर कर्नाटक के विरोधी के रूप में स्थापित किया जाय । बीजेपी के मुताबिक सरकार वहीं विकास के काम कर रही है जहां उसकी पकड़ मजबूत है ।

    कुमारस्वामी के आंसुओं से असहमत एक वरिष्ठ जेडीएस नेता ने नाम न छापने की शर्त पर कहा, “पिता-पुत्र दोनों बहुत चतुर है । मुझे लगता है कि उन्होंने सरकार को सुरक्षित किया है । अगर कांग्रेस उनके लिए परेशानी पैदा करती है, तो लोगों की भावना कांग्रेस के विरोध में और जेडीएस के पक्ष में ही होगी । अगर बीजेपी उनके खिलाफ जाती है तो वो भगवा-दल को पुराने मैसूर और वोकालिंगा समुदाय के विरुद्ध बता सकते हैं.”।

    हाल में किसानों के कर्जमाफी के बाद कांग्रेस और बीजेपी दोनों को मजबूर कर दिया. सहयोगी कांग्रेस भी कर्जमाफी नहीं चाह रही थी, क्योंकि पूरा क्रेडिट जेडीएस को मिल जाएगी. राहुल गांधी को इसे मुद्दा न बनाने के लिए कांग्रेसियों को मनाना पड़ा. बीजेपी को डर है कि आने वाले लोक सभा चुनाव में यह मुद्दा उनके खिलाफ जा सकता है ।

    बीएस येदियुरप्पा के एक करीबी वरिष्ठ नेता का कहना है कि कुमारस्वामी के जनता का काम करने वाले नेता की छवि बनने से पार्टी परेशान है. इस काम से उन्हें आने वाले समय में और समर्थन मिल सकता है ।

    सिद्धारमैया के एक विश्वासपात्र के मुताबिक पूर्व मुख्यमंत्री ने इसे दबाव बनाने वाली राजनीति का हिस्सा माना है. उनके मुताबिक आने वाले वक्त में और सावधान रहना होगा. कुमारस्वामी इसे भावनाओं का मुद्दा मानते हैं और उन्होंने चतुर राजनीतिक कदम बताने को बेकार की बात करार दिया ।