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बोले जस्टिस गोगोई - स्वतंत्र न्यायाधीश और मुखर पत्रकार लोकतंत्र की रक्षा करने वाली अग्रिम पंक्ति हैं...’

आम आदमी के सेवा लायक बनाये रखने के लिये न्यायपालिका में
सुधार नही क्रांति की जरूरत

    नईदिल्ली 12 जुलाई 2018 ।।
    उच्चतम न्यायालय के वरिष्ठ न्यायाधीश न्यायमूर्ति रंजन गोगोई ने गुरुवार को कहा कि न्यायपालिका को आम आदमी की सेवा के योग्य बनाए रखने के लिए ‘सुधार नहीं एक क्रांति’ की जरूरत है. न्यायमूर्ति गोगोई ने साथ ही इस बात पर भी जोर दिया कि न्यायपालिका को और अधिक सक्रिय रहना होगा.

    न्यायमूर्ति गोगोई ने दिल्‍ली के तीन मूर्ति भवन के प्रेक्षागृह में ‘न्याय की दृष्टि’ विषय पर तीसरा रामनाथ गोयनका स्मृति व्याख्यान में कहा कि न्यायपालिका ‘उम्मीद की आखिरी किरण’ है और वह ‘महान संवैधानिक दृष्टि का गर्व करने वाला संरक्षक’ है. इस पर समाज का काफी विश्वास है ।
    उन्होंने समाचार पत्र ‘इंडियन एक्सप्रेस’ में ‘हाउ डेमोक्रेसी डाइज’ शीर्षक से प्रकाशित एक लेख का उल्लेख करते हुए कहा कि ‘...स्वतंत्र न्यायाधीश और मुखर पत्रकार लोकतंत्र की रक्षा करने वाली अग्रिम पंक्ति हैं...’

    उन्होंने न्याय प्रदान करने की धीमी प्रक्रिया पर चिंता जताई और कहा कि यह ऐतिहासिक चुनौती रही है ।