नवाज़ शरीफ: तीन बार गिरकर संभले, सज़ा के बाद पॉलिटिकल करियर पर लगा फुलस्टॉप!
- 6 जुलाई 2018 ।।
पाकिस्तान में आम चुनाव से पहले पूर्व प्रधानमंत्री नवाज़ शरीफ को जोर का झटका लगा है. शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने एवेनफील्ड करप्शन केस में नवाज शरीफ को 10 साल और उनकी बेटी मरियम शरीफ को 7 साल की सज़ा सुनाई है. कोर्ट ने नवाज शरीफ पर करीब 73 करोड़ और मरियम पर 18 करोड़ रुपये का जुर्माना भी लगाया है. वहीं, नवाज़ शरीफ के दोनों बेटों हुसैन और हसन को भगोड़ा घोषित कर दिया गया है. उनके खिलाफ आजीवन अरेस्ट वॉरेंट जारी हुआ है ।
68 साल के शरीफ फिलहाल मरियम के साथ लंदन में हैं. ये सजा उन्हें इसलिए सुनाई गई क्योंकि 1990 के दशक में आलीशान बंगले खरीदने के लिए उनके पास पैसे कहां से आए, इस बारे में वे कोर्ट को कुछ नहीं बता पाए. कोर्ट ने उन्हें बेईमान भी घोषित किया था, क्योंकि अपने बेटे के स्वामित्व वाली कंपनी से होने वाली आय का उन्होंने खुलासा नहीं किया था ।
नवाज़ शरीफ के पॉलिटिकल करियर और विवादों पर एक नज़र:-
मोहम्मद नवाज़ शरीफ़ पाकिस्तान के प्रधानमंत्री और पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (पीएमएल-एन) के वरिष्ठ नेता हैं. वह 25 दिसंबर, 1949 में लाहौर के एक व्यवसायी परिवार में पैदा हुए. 1947 उनके पिता मुहम्मद शरीफ अमृतसर से पाकिस्तान चले गए थे. उनकी शिक्षा लाहौर के सेंट एंथनी स्कूल व गवर्नमेंट कॉलेज यूनिवर्सिटी लाहौर से हुई है.
1976 में तत्कालीन प्रधानमंत्री जुल्फिकार अली भुट्टो ने उनके स्टील के बिजनेस का राष्ट्रीयकरण कर दिया. इसके बाद वे सक्रिय राजनीति में आए. उस दौरान उन्हें जिया उल हक के काफी करीबी माना जाता था. जिया उल हक ने उन्हें 1981 में पंजाब का वित्त मंत्री बनाया. इस तरह पॉलिटिक्स में उनकी एंट्री हुई. फिर 1985 में वे पंजाब के मुख्यमंत्री बनाए गए.
नवाज़ शरीफ के पॉलिटिकल करियर और विवादों पर एक नज़र:-
मोहम्मद नवाज़ शरीफ़ पाकिस्तान के प्रधानमंत्री और पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (पीएमएल-एन) के वरिष्ठ नेता हैं. वह 25 दिसंबर, 1949 में लाहौर के एक व्यवसायी परिवार में पैदा हुए. 1947 उनके पिता मुहम्मद शरीफ अमृतसर से पाकिस्तान चले गए थे. उनकी शिक्षा लाहौर के सेंट एंथनी स्कूल व गवर्नमेंट कॉलेज यूनिवर्सिटी लाहौर से हुई है.
1976 में तत्कालीन प्रधानमंत्री जुल्फिकार अली भुट्टो ने उनके स्टील के बिजनेस का राष्ट्रीयकरण कर दिया. इसके बाद वे सक्रिय राजनीति में आए. उस दौरान उन्हें जिया उल हक के काफी करीबी माना जाता था. जिया उल हक ने उन्हें 1981 में पंजाब का वित्त मंत्री बनाया. इस तरह पॉलिटिक्स में उनकी एंट्री हुई. फिर 1985 में वे पंजाब के मुख्यमंत्री बनाए गए.
पत्नी के साथ नवाज शरीफ
एक नवंबर, 1990 में पहली बार देश के प्रधानमंत्री बने. हालांकि, सेना के दखल के बाद शरीफ ने जुलाई 1993 में अपने पद से इस्तीफा दे दिया. इसी साल हुए चुनाव में बेनजीर दूसरी बार सत्ता में आई शरीफ नेता विपक्ष बने ।
इसके बाद 1997 का आम चुनाव जीतकर नवाज़ दूसरी बार प्रधानमंत्री बने । शरीफ ने 28 और 30 मई 1998 में दो परमाणु विस्फोट कर पाकिस्तान को इस ताकत से लैस देशों की सूची में शामिल किया । इसी बीच सेना प्रमुख परवेज मुशर्रफ और इनके बीच बढ़ती तनातनी के चलते एक नाटकीय घटनाक्रम के तहत सेना ने इनका तख्तापलट कर दिया ।
मिलिट्री शासन में शरीफ पर मुकदमा चला और उन्हें मौत की सजा देने की तैयारी कर ली गई. इसकी भनक मिलते ही सउदी किंग फहद और बिल क्लिंटन ने सेना पर दबाब डाला और उन्हें दस साल के लिए देश से निर्वासित कर दिया गया. 2007 में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद वे देश वापस लौटे.
आत्मघाती हमले में बेनजीर की मौत के बाद हुए चुनाव में शरीफ के दल पीएमएल-एन को मात्र 66 सीटें मिलीं.
नवाज़ की धांधली तब सुर्खियों में आई जब आईसीआईजे नाम के खोजी पत्रकारों के एक अंतराष्ट्रीय समूह ने 11.5 मिलियन गुप्त दस्तावेज (पनामा पेपर्स) सार्वजनिक कर दिए. ये दस्तावेज मोस्सैक फोनसेका नामक लॉ फर्म के जरिये बाहर आए. इनमें 2,14,488 से ज्यादा ऑफशोर कंपनियों (विदेशी प्रतिष्ठानों) के वकील और उनके मुवक्किल के बीच की जानकारी जानकारी थी ।
खबर आई कि इनमें से 8 ऑफ शोर कंपनियों का लेना-देना नवाज़ और उनके भाई शाहबाज़ शरीफ के साथ है. चौंकाने वाले दस्तावेजों में नवाज़ की बेटी मरियम और बेटे हसन और हुसैन ऐसी कई कंपनियों के मालिक पाए गए.
इस खुलासे के दो हफ्ते के अंदर नवाज़ शरीफ़ इलाज की बात कह कर लंदन चले गए. अब तक वहीं हैं. नवाज के साथ उनकी पत्नी और बेटी भी रहती है. इस बीच कथित तौर पर सबसे ताकतवर व्यक्ति, वहां के सेनाध्यक्ष रहील शरीफ़ ने भी नवाज़ से मामले को सुलझाने की बात कही ।
29 अगस्त, 2016 को पीटीआई के द्वारा सुप्रीम कोर्ट में नवाज़ शरीफ़ को बर्खास्त करने की याचिका दायर की गई. पार्टी ने कहा कि नवाज़ ने संसद में गलतबयानी की है. सुप्रीम कोर्ट ने इन याचिकाओं को स्वीकार कर लिया.
23 फरवरी, 2017 को मामले की सुनवाई पूरी हो गई, पर कोई कोई साफ नतीजा नहीं निकला. इसके बाद कोर्ट ने एक संयुक्त जांच टीम (जेआईटी) बनाने का फैसला किया. इस महीने की 10 तारीख को जेआईटी ने अपनी 275 पन्नों की जांच रिपोर्ट दे दी ।
इसके बाद 17 जुलाई से दोबारा सुनवाई शुरू हुई. 21 को कोर्ट ने अपना आदेश सुरक्षित रख लिया. 28 जुलाई को ऐतिहासिक फैसले में नवाज़ शरीफ़ को बर्खास्त कर दिया गया. इसके साथ ही पाकिस्तान में लोकतांत्रिक राजनीति पर दोबारा संकट मंडराने लगा है. बर्खास्तगी के साथ ही नवाज़ अपना कार्यकाल पूरा करने वाले पहले पाकिस्तानी प्रधानमंत्री बनने से चूक गए.
पिछले साल पनामा पेपर्स केस में नवाज़ शरीफ का नाम सामने आने के बाद पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें अयोग्य ठहरा दिया था. अब अदालत ने नवाज़ शरीफ को आजीवन अयोग्य करार दिया है. अब उन्हें एवेनफील्ड करप्शन मामले में 10 साल की सजा भी सुनाई जा चुकी है. कोर्ट के इस फैसले के बाद शरीफ पर कभी चुनाव नहीं लड़ पाएंगे और न ही कोई सार्वजनिक पद पर नियुक्त हो पाएंगे ।
इसके बाद 1997 का आम चुनाव जीतकर नवाज़ दूसरी बार प्रधानमंत्री बने । शरीफ ने 28 और 30 मई 1998 में दो परमाणु विस्फोट कर पाकिस्तान को इस ताकत से लैस देशों की सूची में शामिल किया । इसी बीच सेना प्रमुख परवेज मुशर्रफ और इनके बीच बढ़ती तनातनी के चलते एक नाटकीय घटनाक्रम के तहत सेना ने इनका तख्तापलट कर दिया ।
मिलिट्री शासन में शरीफ पर मुकदमा चला और उन्हें मौत की सजा देने की तैयारी कर ली गई. इसकी भनक मिलते ही सउदी किंग फहद और बिल क्लिंटन ने सेना पर दबाब डाला और उन्हें दस साल के लिए देश से निर्वासित कर दिया गया. 2007 में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद वे देश वापस लौटे.
आत्मघाती हमले में बेनजीर की मौत के बाद हुए चुनाव में शरीफ के दल पीएमएल-एन को मात्र 66 सीटें मिलीं.
नवाज़ की धांधली तब सुर्खियों में आई जब आईसीआईजे नाम के खोजी पत्रकारों के एक अंतराष्ट्रीय समूह ने 11.5 मिलियन गुप्त दस्तावेज (पनामा पेपर्स) सार्वजनिक कर दिए. ये दस्तावेज मोस्सैक फोनसेका नामक लॉ फर्म के जरिये बाहर आए. इनमें 2,14,488 से ज्यादा ऑफशोर कंपनियों (विदेशी प्रतिष्ठानों) के वकील और उनके मुवक्किल के बीच की जानकारी जानकारी थी ।
खबर आई कि इनमें से 8 ऑफ शोर कंपनियों का लेना-देना नवाज़ और उनके भाई शाहबाज़ शरीफ के साथ है. चौंकाने वाले दस्तावेजों में नवाज़ की बेटी मरियम और बेटे हसन और हुसैन ऐसी कई कंपनियों के मालिक पाए गए.
इस खुलासे के दो हफ्ते के अंदर नवाज़ शरीफ़ इलाज की बात कह कर लंदन चले गए. अब तक वहीं हैं. नवाज के साथ उनकी पत्नी और बेटी भी रहती है. इस बीच कथित तौर पर सबसे ताकतवर व्यक्ति, वहां के सेनाध्यक्ष रहील शरीफ़ ने भी नवाज़ से मामले को सुलझाने की बात कही ।
29 अगस्त, 2016 को पीटीआई के द्वारा सुप्रीम कोर्ट में नवाज़ शरीफ़ को बर्खास्त करने की याचिका दायर की गई. पार्टी ने कहा कि नवाज़ ने संसद में गलतबयानी की है. सुप्रीम कोर्ट ने इन याचिकाओं को स्वीकार कर लिया.
23 फरवरी, 2017 को मामले की सुनवाई पूरी हो गई, पर कोई कोई साफ नतीजा नहीं निकला. इसके बाद कोर्ट ने एक संयुक्त जांच टीम (जेआईटी) बनाने का फैसला किया. इस महीने की 10 तारीख को जेआईटी ने अपनी 275 पन्नों की जांच रिपोर्ट दे दी ।
इसके बाद 17 जुलाई से दोबारा सुनवाई शुरू हुई. 21 को कोर्ट ने अपना आदेश सुरक्षित रख लिया. 28 जुलाई को ऐतिहासिक फैसले में नवाज़ शरीफ़ को बर्खास्त कर दिया गया. इसके साथ ही पाकिस्तान में लोकतांत्रिक राजनीति पर दोबारा संकट मंडराने लगा है. बर्खास्तगी के साथ ही नवाज़ अपना कार्यकाल पूरा करने वाले पहले पाकिस्तानी प्रधानमंत्री बनने से चूक गए.
पिछले साल पनामा पेपर्स केस में नवाज़ शरीफ का नाम सामने आने के बाद पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें अयोग्य ठहरा दिया था. अब अदालत ने नवाज़ शरीफ को आजीवन अयोग्य करार दिया है. अब उन्हें एवेनफील्ड करप्शन मामले में 10 साल की सजा भी सुनाई जा चुकी है. कोर्ट के इस फैसले के बाद शरीफ पर कभी चुनाव नहीं लड़ पाएंगे और न ही कोई सार्वजनिक पद पर नियुक्त हो पाएंगे ।
(साभार न्यूज 18)
नवाज़ शरीफ: तीन बार गिरकर संभले, सज़ा के बाद पॉलिटिकल करियर पर लगा फुलस्टॉप!
Reviewed by बलिया एक्सप्रेस
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July 06, 2018
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