बलिया - सिकन्दर पुर में घाघरा प्रलय मचाने को दिख रही है आतुर , किसानों में दहशत
घाघरा नदी का पानी नदी के पेटा से बाहर आने को आतुर।
नुरुल होदा खान की रिपोर्ट
सिकन्दरपुर(बलिया)07जुलाई 2018 ।। सिकन्दर में घाघरा नदी प्रलय मचाने के लिये मचल रही है जिसको देखते हुए किसानों में दहशत व्याप्त हो गयी है ।घाघरा नदी का पानी निरन्तर बढ़ाव पर है। पानी नदी के पेटा से बाहर आने को आतुर होता जा रहा है। इसी के साथ कटान का दायरा भी बढ़ता जा रहा है। पिछले 24 घण्टे में नदी के जलस्तर में क़रीब दो फिट की बृद्धि हुई है। इस वर्ष नदी ने कमाल कर दिखाया है। अभी एक सप्ताह पूर्व तक नदी में मामूली पानी था। अब नदी का पानी अचानक तेजी से बढ़ने लगा है ।एक सप्ताह में ही नदी बाढ़ के पानी से लबालब भर गई है। नदी के बीच पूर्व में उभरे अधिकांश बालू के टीले पानी में डूब गए हैं , जो बचे हैं वह भी डूबते जा रहे हैं। नदी के ऐसे रुख को देख कर दियारों के किसान जहां हैरत में है वही बाढ़ की आहट से सहमे हुए है । किसानों ने बताया कि नदी के बढ़ाव की यह तेज गति इसी प्रकार जारी रही तो बाढ़ का पानी दो दिन के अंदर पेटे से बाहर आ कर खेतों में फैलने लगेगा।बता दे कि प्रत्येक वर्ष बाढ़ से जहां हज़ारो एकड़ की फसल बर्बाद होती है वही सैकड़ो एकड़ उपजाऊं खेत कटान की भेंट चढ़ जाते है । किसानों ने अपने जनप्रतिनिधियों से लेकर प्रशासनिक अधिकारियों से कटान रोकने के लिये स्थायी उपाय करने की बारबार बिनती की गई परंतु चाहे किसी भी दल की सरकार हो इस तरफ ध्यान नही दिया गया । आलम यह है कि कभी सैकड़ो बीघा जमीन के मालिक जो किसान थे आज भूमिहीन होकर किसी तरह अपने परिवार का गुजारा कर रहे है ।
नुरुल होदा खान की रिपोर्ट
सिकन्दरपुर(बलिया)07जुलाई 2018 ।। सिकन्दर में घाघरा नदी प्रलय मचाने के लिये मचल रही है जिसको देखते हुए किसानों में दहशत व्याप्त हो गयी है ।घाघरा नदी का पानी निरन्तर बढ़ाव पर है। पानी नदी के पेटा से बाहर आने को आतुर होता जा रहा है। इसी के साथ कटान का दायरा भी बढ़ता जा रहा है। पिछले 24 घण्टे में नदी के जलस्तर में क़रीब दो फिट की बृद्धि हुई है। इस वर्ष नदी ने कमाल कर दिखाया है। अभी एक सप्ताह पूर्व तक नदी में मामूली पानी था। अब नदी का पानी अचानक तेजी से बढ़ने लगा है ।एक सप्ताह में ही नदी बाढ़ के पानी से लबालब भर गई है। नदी के बीच पूर्व में उभरे अधिकांश बालू के टीले पानी में डूब गए हैं , जो बचे हैं वह भी डूबते जा रहे हैं। नदी के ऐसे रुख को देख कर दियारों के किसान जहां हैरत में है वही बाढ़ की आहट से सहमे हुए है । किसानों ने बताया कि नदी के बढ़ाव की यह तेज गति इसी प्रकार जारी रही तो बाढ़ का पानी दो दिन के अंदर पेटे से बाहर आ कर खेतों में फैलने लगेगा।बता दे कि प्रत्येक वर्ष बाढ़ से जहां हज़ारो एकड़ की फसल बर्बाद होती है वही सैकड़ो एकड़ उपजाऊं खेत कटान की भेंट चढ़ जाते है । किसानों ने अपने जनप्रतिनिधियों से लेकर प्रशासनिक अधिकारियों से कटान रोकने के लिये स्थायी उपाय करने की बारबार बिनती की गई परंतु चाहे किसी भी दल की सरकार हो इस तरफ ध्यान नही दिया गया । आलम यह है कि कभी सैकड़ो बीघा जमीन के मालिक जो किसान थे आज भूमिहीन होकर किसी तरह अपने परिवार का गुजारा कर रहे है ।