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मोदी सरकार का किसानों को तोहफा - समर्थन मूल्य अब लागत का डेढ़ गुना

सरकार का किसानों को तोहफा: अब समर्थन मूल्य लागत का डेढ़ गुना



केंद्र की मोदी सरकार ने धान, दाल, मक्का जैसी खऱीफ फसलों के लिए एमएसपी लागत का डेढ़ गुना करने का फैसला लिया है. एमएसपी यानी मिनिमम सपोर्ट प्राइस वो कीमत होती है जिसपर सरकार किसानों से अनाज खरीदती है. किसानों के लिए फसलों पर 50 फीसदी मुनाफा देने के मकसद से इस बार एमएसपी में रिकॉर्ड बढ़ोतरी का फैसला लिया गया है. अब अनाज की लागत के आंकलन के लिए ए2+एफएल फॉर्मूला अपनाया जाएगा. ए2+एफएल फॉर्मूले के तहत फसल की बुआई पर होने वाले कुल खर्च और परिवार के सदस्यों की मजदूरी शामिल होगी.

कितना हुआ MSP
इस बढ़ोतरी के बाद अब सामान्य धान का समर्थन मूल्य 1550 रुपए से बढ़कर 1750 रुपए और ए ग्रेड धान का समर्थन मूल्य 180 रुपए बढ़कर 1770 रुपए प्रति क्विंटल हो गया है.

मूंग के समर्थन मूल्य में 1400 रुपए प्रति क्विंटल की बढ़ोतरी की गई है, इस बढ़ोतरी के बाद मूंग का समर्थन मूल्य 5575 रुपए से बढ़कर अब 6975 रुपए प्रति क्विंटल हो गया है.

इनके अलावा रागी के समर्थन मूल्य में 997 रुपए, उड़द के समर्थन मूल्य में 200 रुपए और सोयाबीन के समर्थन मूल्य में 349 रुपए प्रति क्विंटल की बढ़ोतरी की गई है.

 इस बढ़ोतरी के बाद अब रागी का समर्थन मूल्य बढ़कर 2897 रुपए, उड़द का समर्थन मूल्य 5600 रुपए और सोयाबीन का समर्थन मूल्य बढ़कर 3399 रुपए प्रति क्विंटल हो गया है.

सबसे ज्यादा रागी की एमएसपी 52.5 फीसदी बढ़ाई गई है.

 ज्वार की एमएसपी में 42 फीसदी, बाजरा में 36.8 फीसदी और मूंग में 25.1 फीसदी बढ़ोतरी का फैसला लिया गया है.

अरहर की एमएसपी में सिर्फ 4.1 फीसदी और उड़द में 3.7 फीसदी बढ़त का फैसला लिया गया है ।


 अगर देश में फसल का उत्पादन बढ़ता है तो बिक्री मूल्य कम हो जाता है. कृषि उत्पादों के मूल्यों में गिरावट को रोकने के लिए सरकार मुख्य फसलों का एक न्यूनतम बिक्री मूल्य निर्धारित करती है. जो एक सत्र के लिए मान्य होता है.

 प्रक्रिया में बेशक कई खामियां हों लेकिन एमएसपी के कई फायदे भी हैं. इसके चलते कीमतों में स्थिरता बनी रहती है. न्यूनतम मूल्य मिलने की गारंटी होती है.