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बलिया- शौचालय की जमीनी पड़ताल को निकले डीएम , हकीकत देख हुए आवाक , सचिव प्रधान पर कड़ी कार्यवाई के दिये संकेत

शौचालय सत्यापन को जिलाधिकारी निकले गांवों की ओर, देखा सच
रेवती ब्लाॅक के खानपुर डुमरिया में किया भ्रमण, पाई बेहद खराब स्थिति

सचिव पर बड़ी कार्रवाई, प्रधान के वित्तीय पाॅवर सीज करने के दिए संकेत

बलिया 8 जुलाई 2018 :

शनिवार को प्राथमिक शिक्षा का सूरतेहाल अपनी आंखों से देखने के बाद रविवार को डीएम बलिया गांवो में शौचालय निर्माण की जमीनी पड़ताल करने निकले और जब सच्चाई से सामना हुआ तो गुस्से से तिलमिला उठे ।पूर्व सूचना के वावजूद सचिव ने गांव में रहना जरूरी नही समझा , तो गांव वाले शौचालय का प्रयोग करते ही नही । अब सवाल यह उठता है कि क्या ऐसी ही तैयारी से आगामी 2 अक्टूबर को जिला ओडीएफ जिला घोषित होगा । खबर के अनुसार विगत तीन महीनों से दिए जा रहे निर्देश के बाद शौचालय निर्माण की स्थिति को देखने के लिए अब जिलाधिकारी ने गांवों की तरफ कूच करना शुरू कर दिया है। रविवार को वे रेवती ब्लाॅक के खानपुर डुमरिया गांव में गये तो अजीबोगरीब स्थिति देखने को मिली। पूर्व सूचना के बावजूद पंचायत सचिव गायब थे। वहीं, कड़ी धूप में करीब दो घंटे गांव में पैदल भ्रमण के दौरान प्रधान एक भी ऐसा शौचालय नहीं दिखा सके जो कि प्रयोग हो रहा हो। इसके अलावा कुछ हैण्डपम्प छः महीनों से खराब मिले। नाली निर्माण में गड़बड़झाला, जल निकासी की समस्या व आवास आवंटन में भी अनियमितता की शिकायत मिली। लम्बे समय से प्रिया साफ्ट की फीडिंग नहीं हुई थी। इस पर ताज्जुब जताते हुए जिलाधिकारी ने डीपीआरओ को निर्देश दिया कि सचिव के विरूद्ध बड़ी कार्रवाई हो। वहीं जरूरत पड़ने पर प्रधान के वित्तीय अधिकारों पर रोक लगाने के भी संकेत दिये । 

जिलाधिकारी ने सबसे पहले शौचालय निर्माण की समीक्षा की। बताया गया कि वर्ष 2016-17 में कुल 70 शौचालय दिए गए जिसके सापेक्ष मात्र 32 शौचालयों का एमआईएस हो चुका है। लेकिन जमीन पर एक भी शौचालय प्रयोग होते नहीं दिखा। यही नहीं, बाकी 35 शौचालयों का पैसा डेढ़ साल से डम्प होने पर नाराजगी जताते हुए बीडीओ को आवश्यक कार्यवाही करने का निर्देश दिया। कहा कि जनहित में होने वाले कार्य के प्रति लापरवाही बरतने पर सख्ती बरतें। वर्तमान समय तक 129 शौचालय का पैसा गांव में पड़े होने के बावजूद निर्माण की स्थिति बेहद खराब है। कुल मिलाकर गांव में 85 फीसदी घर शौचालयविहीन बताए गए। कई ऐसे शौचालय बने थे जो दरवाजा, दीवाल व छत लग चुके थे लेकिन गड्ढ़ा व सीट ही नहीं लगे थे। राजभर बस्ती में बन रहे शौचालय जरूरी नक्शे के विपरीत बनते देख कहा कि नकनीकी पहलू को भी ध्यान में रखा जाए। आवास आवंटन में भी अनियमितता की शिकायत ग्रामीणों ने की।  
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सचिव पर खफा हुए डीएम, कार्रवाई के निर्देश

- गांव में जाते ही जिलाधिकारी ने सचिव के बारे में पूछा तो पता चला सचिव आए ही नहीं है। उनके बारे में कोई कुछ बता नहीं पा रहा था। बीडीओ, ग्राम प्रधान या अन्य किसी कर्मचारी को उनकी लोकेशन के बारे में पता नहीं था। जिलाधिकारी ने इस पर आपत्ति जताते हुए कहा कि पूर्व सूचना के बावजूद इस तरह का दुस्साहस कत्तई ठीक नहीं। सचिव की गांव में कभी नहीं आने, ग्रामीणों की बात नहीं सुनने व अन्य कई गंभीर शिकायत अधिकांश ग्रामीणों ने एक स्वर से की। इस पर जिलाधिकारी ने डीपीआरओ को निर्देश दिया कि ऐसे सचिव के विरूद्ध बड़ी कार्रवाई होनी चाहिए। 
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बेहद खराब निर्माण सामग्री देख भड़के, जेल भेजने की दी चेतावनी

- गांव में पैदल भ्रमण के दौरान शौचालय व नाली निर्माण में प्रयोग किये जा रहे ईंट की बेहद खराब गुणवत्ता पर जिलाधिकारी ने कड़ी आपत्ति जताई। मौके पर सचिव तो नहीं मिले लेकिन प्रधान को कड़ी फटकार लगाते हुए कहा कि जनहित में होने वाले काम में इस तरह का मैटेरियल कत्तई बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। इससे बाज आओ वरना इस तरह लूट-खसोट करने वाले जेल की सलाखों के पीछे होंगे। डीपीआरओ व बीडीओ को इसकी रिपोर्ट तैयार कर जिम्मेदारों के विरूद्ध कार्रवाई सुनिश्चित करने के निर्देश दिए। कुछ खराब हैण्डपंप दिखने पर कहा कि यह ग्राम पंचायत से होने वाला काम है और गर्मी में ही हो जाना चाहिए था। बताया गया कि ये हैंडपम्प पिछले 6 महीने से खराब हैं। गांव में हुए कार्य से जिलाधिकारी बेहद असंतुष्ट दिखे। 

पास में 20 हजार का फोन लेकिन घर मे शौचालय नहीं

बलिया : जिलाधिकारी ने ग्रामीणों में शौचालय के महत्व को बतलाते हुए इसको हर घर की अति आवश्यक चीज कहा । कहा कि आज के परिवेश में खुले में शौच गयी महिलाओ के साथ जो दुष्कर्म की घटनाये हो रही है उससे घर मे शौचालय होने से रोका जा सकता है । बच्चियां महिलाये घर की इज्जत होती है उसको बचाने के लिये ही सरकार ने शौचालय को इज्जत घर नाम दिया है ।सरकार का पूरा जोर है गांव-गांव, घर-घर शौचालय हो। इसमें सरकार आम जनता के भी सहयोग की अपेक्षा कर रही है। लेकिन गांव में कुछ ऐसे भी परिवार देखने को मिल जा रहे हैं जिनके पास 5 से 10 लाख रुपए तक का घर है। चार पहिया या दो पहिया वाहन है। दस से बीस हजार तक का मोबाइल फोन पास में है। लेकिन इससे कम लागत का एक शौचालय नहीं है। जबकि शौचालय घर की प्रतिष्ठा से जुड़ी चीज है। सरकार ने इसीलिए इसका नाम इज्जत घर रखा है। रेवती विकासखंड के खानपुर डुमरिया गांव में जिलाधिकारी को भी ऐसा ही एक उदाहरण दिखा, जब एक लड़के के हाथ में 20 हजार का मोबाइल था और वह शौचालय की मांग कर रहा था। जिलाधिकारी ने भी मौके को भुनाते हुए उसको समझाया कि आपके मोबाइल से भी कहीं कम लागत यानि 10 से 15 हजार का शौचालय बनवा लें। अगर सक्षम नहीं होंगे तो सरकार आपको 12 हजार का प्रोत्साहन राशि जरूर देगी। उन्होंने ग्रामीणों से भी अपील किया कि जिनके घर शौचालय नहीं है वे बेफिक्र होकर शौचालय बनवाएं और 12 हजार रुपये प्रोत्साहन राशि पाएं।

बलिया एक्सप्रेस का घटिया मैटेरियल को निर्माण में लगने से रोकने का सुझाव

     रोज रोज जांच पड़ताल में घटिया निर्माण सामग्री का निर्माण कार्यो में प्रयोग होने की घटनाएं सामने आती है और निर्माण करने वाले पर कार्यवाई हो जाती है । फिर भी यह कार्य बंद नही होता है । इस स्थिति पर मंथन करने के बाद बलिया एक्सप्रेस के संपादक मधुसूदन सिंह ने इसको रोकने के लिये नया तरीका ढूंढा है । अगर प्रशासन इस पर अमल करें तो बहुत हद तक रोक लग सकती है । श्री सिंह के अनुसार निर्माण स्थल पर पायी जाने वाली घटिया सामग्री के सप्लायर या निर्माता पर भी एफआईआर दर्ज कराकर अगर कार्यवाई होने लगे तो इस समस्या पर रोक लग सकती है। जैसे खराब ईट मिलने पर भट्ठा मालिक के खिलाफ अगर कार्यवाई हो जाय तो भट्ठों से मानक विहीन ईट नही आएगी क्योकि बिल तो एक नम्बर के ईट का ही कटा होता है । अब देखना है जिला प्रशासन इस सुझाव पर अमल करता है कि नही ।