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जागरूकता जरूरी --लड़कियों के न पढ़ने से दुनिया को कितना भारी नुकसान?





नईदिल्ली 13 जुलाई 2018 ।।

देश में बेटियों को पढ़ाने के लिए सरकारी और गैर-सरकारी दोनों स्तरों पर लोगों को जागरुक किया जा रहा है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 22 जनवरी 2015 को हरियाणा से सरकारी योजना बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ की शुरुआत की थी.

वर्ल्ड बैंक की एक रिपोर्ट के मुताबिक दुनिया में लड़कियों को शिक्षित करने में विफलता की कीमत 30 लाख करोड़ (ट्रिलियन) डॉलर हो सकती है ।रिपोर्ट के मुताबिक दुनिया में 13 करोड़ लड़कियां ऐसी हैं, जो स्कूलों से बाहर हैं. इसी रिपोर्ट के मुताबिक सेंकेडरी शिक्षा पूरी कर चुकीं लड़कियां, स्कूल न जाने वालों की तुलना में करीब दोगुना कमा रही हैं ।



स्कूल से दूर दुनिया की लड़कियां
दुनिया में 6 से 17 साल के बीच करीब 13.2 करोड़ लड़कियां आज स्कूल से दूर हैं. जबकि कम आय वाले मुल्कों में 2/3 से कम लड़कियां ही प्राथमिक शिक्षा और 1/3 लड़कियां सेकेंडरी लेवल तक पढ़ाई कर पाती हैं. रिपोर्ट के मुताबिक अगर हर लड़की 12 साल क्वालिटी एजुकेशन पूरी करे तो पूरी जिंदगी में वो 15 से 30 लाख करोड़ डॉलर ज्यादा कमाएंगी. ये आंकड़े सालाना नहीं बल्कि अनुमानित पूरी जिंदगी के हैं.

बेटी पढ़ाने के और दूसरे फायदे?
पढ़ाई से न सिर्फ आर्थिक रूप से लड़कियों के जीवन में सुधार होता है, बल्कि ज्यादा आबादी वाले मुल्कों में बाल विवाह, प्रजनन दर जैसी मुद्दों में कमी आती है. रिपोर्ट के मुताबिक बाल मृत्यु दर और कुपोषण की समस्याओं से भी निजात मिलती है.

वर्ल्ड बैंक की चीफ एक्जिक्यूटिव क्रिस्टीना जियोर्जिवा के मुताबिक बिना लैंगिक समानता क दुनिया का समग्र विकास मुमकिन नहीं है. वर्ल्ड बैंक की इस रिपोर्ट के लेखक क्विंटेन वोडोन ने कहा कि सेकेंडरी लेवल पर लड़कियां की शिक्षा, प्राथमिक की तुलना में ज्यादा प्रभावी होती है. इससे किसी भी लड़की की जिंदगी में ज्यादा बेहतर परिवर्तन आते हैं.



देश में लड़कियों की शिक्षा के क्या हाल?
NCRCR की रिपोर्ट के मुताबिक 15 से 18 साल की आयु वाली 39.4% लड़कियां हमारे देश में स्कूलों से बाहर हैं. इनमें से 65% लड़कियां घरेलू काम, भीख मांगने में फंसी हैं. या वो दूसरों पर आश्रित हैं ।

इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक देश में 2.5 करोड़ इनमें ज्यादातर किशोर लड़कियां सरकार द्वार चलाई जा रहीं योजनाओं का हिस्सा नहीं हैं. आगे आंकड़ो से समझिए कि कैसे बड़ी तादाद में लड़कियां आज भी भारत में पढ़ाई से काफी दूर हैं ।



कब बदलेगा लड़कियों के लिए भारत?
- 100 में से 14 लड़कियां शहरों में क्लास 12वीं तक पहुंच पाती हैं ।
- यूनेस्को के मुताबिक लड़कियों की प्राइमरी स्कूलों में 81% और सेकेंडरी लेवल तक 49% उपस्थिति है.
- वर्ल्ड बैंक रिपोर्ट 2010 के मुताबिक देश में लड़कियों के स्कूलिंग औसत साल 4.1 और लड़कों को 6.1.
- वो राज्य जहां लड़कियां सबसे ज्यादा स्कूलों से दूर हैं. उनमें 9.7% के साथ राजस्थान, 9.9 के साथ यूपी और 8.5% के साथ मध्य प्रदेश शुमार हैं ।
- बच्चों के स्कूल न जाने के कारण देश को हर साल जीडीपी का 0.30% या 6.79 अरब डॉलर का नुकसान होता है ।
(साभार न्यूज 18 )