LG से मीटिंग के बाद बोले केजरीवाल, विकास के लिए एकजुट हो करना होगा काम
अधिकारों के बंटवारे को लेकर दिल्ली के उपराज्यपाल अनिल बैजल और मुख्यमंत्री केजरीवाल के मध्य हुई मीटिंग के बाद केजरीवाल ने ट्वीट कर उपराज्यपाल को शुक्रिया कहा है. उन्होंने ट्वीट किया है कि दिल्ली के विकास के लिए हमें एकजुट होकर काम करना होगा ।संविधान सर्वोच्च है. सुप्रीम कोर्ट के आदेश देश में कानून की तरह लागू होते हैं. उनका सम्मान किया जाना चाहिए ।
उपराज्यपाल के ट्विटर हैंडल से ट्वीट किया गया है कि सीएम केजरीवाल और डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया से मुलाकात हुई. दिल्ली में गुड गवर्नेंस के लिए सरकार का सतत सहयोग जारी रहेगा. संविधान की मूल आत्मा का सम्मान करते हुए दिल्ली के विकास कार्यक्रम चालू रहेगा ।
उपराज्यपाल के ट्विटर हैंडल से ट्वीट किया गया है कि सीएम केजरीवाल और डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया से मुलाकात हुई. दिल्ली में गुड गवर्नेंस के लिए सरकार का सतत सहयोग जारी रहेगा. संविधान की मूल आत्मा का सम्मान करते हुए दिल्ली के विकास कार्यक्रम चालू रहेगा ।
इससे पहले कयास लगाए जा रहे थे कि राज्यपाल और मुख्यमंत्री के बीच क्षेत्राधिकारों को लेकर आम सहमति नहीं बन पाई है । सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद भी उपराज्यपाल अपने अधिकारों को छोड़ने के लिए तैयार नहीं हैं. इस विवाद के बात एलजी के सू्प्रीम कोर्ट की दूसरी बेंच के फैसले का इंतजार है.
दिल्ली सरकार और केंद्र के बीच सत्ता की रस्साकशी पर एक ऐतिहासिक फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया था कि उपराज्यपाल अनिल बैजल को स्वतंत्र फैसला लेने का अधिकार नहीं है और उन्हें मंत्रिपरिषद की मदद और सलाह पर काम करना होगा.
प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अगुवाई वाली सुप्रीम कोर्ट के पांच जजों की संविधान पीठ ने यह फैसला सुनाते हुए कहा कि उपराज्यपाल अवरोधक के तौर पर कार्य नहीं कर सकते हैं. दो अन्य जजों जस्टिस एके सीकरी और जस्टिस एएम खानविलकर ने इस फैसले पर सहमति जताई. बेंच ने कहा कि मंत्रिपरिषद के सभी फैसले से उपराज्यपाल को निश्चित रूप से अवगत कराया जाना चाहिए, लेकिन इसका यह मतलब नहीं है कि इसमें उपराज्यपाल की सहमति जरूरी है. अदालत ने अपने फैसले में कहा, 'ना तो निरंकुशता के लिए और ना ही अराजकता के लिए कोई जगह है.'
केंद्र शासित प्रदेश और राजधानी होने के कारण दिल्ली में राज्य के अलावा केंद्र के भी कई अधिकारी मौजूद होने का है. इनकी ट्रांसफर-पोस्टिंग को लेकर केंद्र और राज्य के बीच बहस होती रहती है. सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद दिल्ली सरकार को अपने अधिकारियों पर फैसला करने की तो आजादी दी है, लेकिन अन्य अधिकारियों को लेकर छूट नहीं मिली है. इनमें ACB पर सबसे बड़ी लड़ाई है क्योंकि अभी भी ACB दिल्ली पुलिस के अतंर्गत ही है. केजरीवाल करप्शन को मुद्दा बनाकर सत्ता में आए हैं लेकिन ACB न होने के चलते उनके पास अभी कार्रवाई का अधिकार नहीं है. सरकार का आरोप है कि अधिकारी अपनी मनमानी करते हैं और केजरीवाल सरकार की बात ही नहीं सुनते है ।
दिल्ली सरकार और केंद्र के बीच सत्ता की रस्साकशी पर एक ऐतिहासिक फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया था कि उपराज्यपाल अनिल बैजल को स्वतंत्र फैसला लेने का अधिकार नहीं है और उन्हें मंत्रिपरिषद की मदद और सलाह पर काम करना होगा.
प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अगुवाई वाली सुप्रीम कोर्ट के पांच जजों की संविधान पीठ ने यह फैसला सुनाते हुए कहा कि उपराज्यपाल अवरोधक के तौर पर कार्य नहीं कर सकते हैं. दो अन्य जजों जस्टिस एके सीकरी और जस्टिस एएम खानविलकर ने इस फैसले पर सहमति जताई. बेंच ने कहा कि मंत्रिपरिषद के सभी फैसले से उपराज्यपाल को निश्चित रूप से अवगत कराया जाना चाहिए, लेकिन इसका यह मतलब नहीं है कि इसमें उपराज्यपाल की सहमति जरूरी है. अदालत ने अपने फैसले में कहा, 'ना तो निरंकुशता के लिए और ना ही अराजकता के लिए कोई जगह है.'
केंद्र शासित प्रदेश और राजधानी होने के कारण दिल्ली में राज्य के अलावा केंद्र के भी कई अधिकारी मौजूद होने का है. इनकी ट्रांसफर-पोस्टिंग को लेकर केंद्र और राज्य के बीच बहस होती रहती है. सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद दिल्ली सरकार को अपने अधिकारियों पर फैसला करने की तो आजादी दी है, लेकिन अन्य अधिकारियों को लेकर छूट नहीं मिली है. इनमें ACB पर सबसे बड़ी लड़ाई है क्योंकि अभी भी ACB दिल्ली पुलिस के अतंर्गत ही है. केजरीवाल करप्शन को मुद्दा बनाकर सत्ता में आए हैं लेकिन ACB न होने के चलते उनके पास अभी कार्रवाई का अधिकार नहीं है. सरकार का आरोप है कि अधिकारी अपनी मनमानी करते हैं और केजरीवाल सरकार की बात ही नहीं सुनते है ।