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SC के फैसले के बाद जेटली ने कहा- केंद्र के पास अब भी ज़्यादा ताकत

आप सरकार VS एलजी: SC के फैसले के बाद जेटली ने कहा- केंद्र के पास अब भी ज़्यादा ताकत

    नईदिल्ली 5 जुलाई 2018 ।।
    बुधवार को दिल्ली सरकार और उपराज्यपाल में अधिकारों की लड़ाई को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने एक अहम फैसला सुनाया. सुप्रीम कोर्ट ने दोनों पक्षों की ताकतों की रूपरेखा बताई. फैसले के बाद दिल्ली के मख्यमंत्री और उनकी पार्टी ने अपनी जीत बताई. लेकिन अब केंद्रीय मंत्री अरुण जेटली ने कहा है कि 'इस मुद्दे पर चुप्पी' का ये मतलब नहीं है कि किसी के हक में फैसला आया है. जेटली ने बातें फेसबुक पोस्ट में लिखी हैं.

    जेटली के मुताबिक, केंद्र सरकार को अभी भी उपराज्यपाल और दिल्ली सरकार से ज़्यादा ताकत है. खास कर दोंनो पक्षों के बीच किसी मुद्दे पर सहमति न बन पाने की स्थिति में ।
    हालांकि, जेटली ने ये माना कि "लोकतंत्र और संघीय राजनीति के हित में," लेफ्टिनेंट गवर्नर को राज्य सरकार की बातें माननी चाहिए. लेकिन अगर कोई ऐसा मामला है जिसकी सही वजह है और जिसमें असमति का ठोस आधार है तो वो (उपराज्यपाल) उसे लिख कर मामले को विचार के लिए राष्ट्रपति (अर्थात केंद्र सरकार) को भेज सकते हैं. जिससे उपराज्यपाल और राज्य सरकार के बीच किसी मामले में मतभेद को दूर किया जा सके. ऐसे हालात में दिल्ली सरकार को केंद्र सरकार का फैसला मानने के लिए बाध्य होना पड़ेगा.


    अरुण जेटली ने ये भी कहा कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले से स्पष्ट हो गया है कि दिल्ली सरकार के पास पुलिस का अधिकार नहीं है , ऐसे में वो पूर्व में हुए अपराधों के लिए जांच एजेंसी का गठन नहीं कर सकती.
    जेटली ने फेसबुक पोस्ट में कहा, ‘‘ दूसरी बात ये है कि सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट कर दिया है कि दिल्ली अपनी तुलना अन्य राज्यों से नहीं कर सकती. ऐसे में ये कहना कि संघ शासित कैडर सेवाओं के प्रशासन को लेकर दिल्ली सरकार के पक्ष में फैसला दिया गया है , पूरी तरह गलत है. ’’


    सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की संवैधानिक बेंच ने बुधवार को एकमत से फैसला दिया था कि दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा नहीं दिया जा सकता. इसके अलावा बेंच ने उपराज्यपाल के अधिकारों पर कहा था कि उनके पास स्वतंत्र रूप से निर्णय लेने का अधिकार नहीं है. उपराज्यपाल को चुनी हुई सरकार की मदद और सलाह से काम करना है ।

    जेटली ने कहा कि ये फैसला संविधान के पीछे संवैधानिक सिद्धांत की विस्तार से व्याख्या करता है और साथ ही संविधान में जो लिखा हुआ है उसकी पुष्टि करता है.

    उन्होंने कहा कि इससे न तो राज्य सरकार या केंद्र सरकार के अधिकारों में इजाफा हुआ है और न ही किसी के अधिकारों में कटौती हुई है. यह फैसला चुनी गई सरकार के महत्व को रेखांकित करता है. चूंकि दिल्ली संघ शासित प्रदेश है इसलिए इसके अधिकार केंद्र सरकार के अधीन हैं.

    जेटली ने इसी संदर्भ में आगे लिखा है कि ऐसे मामलों में केंद्र का निर्णय उपराज्यपाल और दिल्ली की निर्वाचित सरकार दोनों को मानना होगा। इस तरह केंद्र की राय सबसे बढ़ कर है ।