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कभी पिता के साथ कुआं खोदने वाले ने दिलाया देश को स्वर्ण पदक



    24 अगस्त 2018 ।।
    इस बार एशियन गेम्स में नौकायन के मुकाबले में भारतीय खिलाड़ियों ने निराशजनक शुरूआत की थी. एक के बाद एक भारतीय एथलीट चार मेडल जीतने से चूक गए ।लेकिन शुक्रवार की सुबह एक अच्छी खबर आई ।18 वे एशियाई खेलों में भारत की नौकायन टीम ने इतिहास रचते हुए इस स्पर्धा का स्वर्ण पदक अपने नाम कर लिया ।एशियन गेम्स के इतिहास में रोइंग इवेंट में ये भारत का सिर्फ दूसरा गोल्ड मेडल है ।

    स्वर्ण सिंह, दत्तू भोकानल, ओम प्रकाश और सुखमीत सिंह की टीम ने रोइंग में मेंस की क्वाड्रपल स्कल्स टीम इवेंट में गोल्ड मेडल पर कब्जा किया. इस टीम में स्वर्ण सिंह और दत्तू भोकानल सबसे अनुभवी खिलाड़ी थे ।
    आइए एक नज़र डालते हैं इन दोनों की अनोखी कहानी पर...
    दत्तू भोकानल, जिन्होंने पेट्रोल पंप पर नौकरी की

    दत्तू भोकानल महाराष्ट्र के सूखाग्रस्त तालेगांव के रहने वाले हैं. दत्तू के पिता कुआं खोदने का काम करते थे. 9 साल की उम्र से ही उन्होंने काम में पिता की मदद करना शुरू कर दिया था. वह पत्थर तोड़ने का भी काम करते थे. अचानक पिता की मौत के बाद घर की जिम्मेदारी उन पर आ गई. इसके अलावा उनकी मां भी बीमार रहने लगी. ऐसे में दत्तू भोकानल ने एक पेट्रोल पंप पर नौकरी की, ताकि गुजारा चल सके ।

    बाद में उन्होंने आर्मी जॉइन की और वह आज देश के सबसे कामयाब रोअर हैं. 2016 के रियो ओलंपिक से ठीक पहले दत्तू की मां का मोटरसाइकल से एक्सिडेंट हो गया और वो कोमा में चली गईं. दत्तू ने इसके बावजूद भी हिम्मत नहीं हारी और वह रियो ओलंपिक में गए और सिर्फ 6 सेकंड से मेडल जीतने से चूक गए. वह मेडल तो नहीं जीत सके लेकिन उन्होंने हर भारतीय का दिल जरूर जीत लिया. ओलंपिक के इतिहास में रोइंग में ये भारत का सबसे अच्छा प्रदर्शन था ।

    स्वर्ण सिंह, जिनका गांव ड्रग्स के लिए बदनाम हैस्वर्ण सिंह पंजाब के मानसा में दालेवाला गांव से ताल्लुक रखते हैं. एक ऐसा गांव जो ड्रग्स के लिए बदनाम है. साल 2016 में इस गांव के 300 लोगों के खिलाफ ड्रग्स के मामले में केस दर्ज दिए गए थे. लेकिन इस गांव को लोग अब सिर्फ ड्रग्स नहीं स्वर्ण सिंह की धमाकेदार कामयाबियों के लिए भी जानेंगे. इस बार एशियाई खेल शुरू होने से पहले स्वर्ण सिंह बीमार थे. उन्हें टाइफाइड  हो गया था. ऐसे में उनके एशियाई खेलों में भाग लेने पर सवाल उठ रहे थे. लेकिन अब गोल्ड मेडल जीत कर उन्होंने तहलका मचा दिया है. स्वर्ण सिंह 2008 में आर्मी में शामिल हुए थे. साल 2014 के एशियाई खेलों में उन्हें ब्रॉन्ज मेडल मिला था