भगवान श्रीकृष्ण से सम्बंधित ऐतिहासिक/पौराणिक रोचक तथ्य क्या आप जानते है ......
श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर विशेष
मधुसूदन सिंह
बलिया 1 सितंबर 2018 ।।
चन्द्रवंशी राजा यदु के वंशधर हैं, भगवान श्री कृष्ण। नौ चाचा और पाँच बुआ थी, मुरलीधर श्याम की। श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के अवसर पर अध्यात्मतत्ववेत्ता साहित्यकार शिवकुमार सिंह कौशिकेय ने प्रभु श्री कृष्ण के जीवन से जुड़ी रोचक जानकारी देते हुए एक विशेष भेंट में बताया कि मानव जीवन की सभी सोलह कलाओं में पारंगत आत्मज्ञानी सदगुरु, विश्व में प्रेम, करुणा , सेवा और भक्ति के पुरोधा, लिंगभेद, पाखण्ड के उन्मूलक, यदुवंशी श्री कृष्ण की 5274 वीं जयंती है। इस्लाम और ईसा के अनुयायी भी प्रभु श्री कृष्ण को पैगंबर मानते हैं।
श्री कौशिकेय ने बताया कि पद्मपुराण के सृष्टिखण्ड के अनुसार भगवान कृष्ण के पूर्वज महराज यदु चन्द्रवंश की सातवीं पीढ़ी में हुये थे । चन्द्र के पुत्र बुद्ध थे। बुद्ध व इला के संयोग से पुरूरवा पैदा हुए। पुरूरवा के आठ पुत्र हुए, जिसमें आयु ज्येष्ठ थे। आयु के पुत्र नहुष हुए जो अपने पाँच भाईयों में सबसे बड़े थे। नहुष के सात पुत्र हुए, जिसमें दूसरे नंबर के ययाति राजा बनें। इनकी दो रानियां थीं शर्मिष्ठा एवं देवयानी। इन्हीं छोटी रानी देवयानी से ययाति के दो पुत्र हुए यदु और तुर्वसु । श्री कौशिकेय ने कहा कि राजा यदु के पाँच पुत्र सहस्त्राजित, क्रोष्टु, नील, अंजिक और रघु हुए। भगवान कृष्ण का जन्म महाराज यदु के दूसरे पुत्र क्रोष्टु के वंश में हुआ था। क्रोष्टु के पुत्र विजिनीवान हुए तथा उनके पुत्र स्वाति। इसके बाद क्रमशः स्वाति के कुशंकु- चित्ररथ - शशिबिंदु- पृथुश्रवा- उशना- शिनेयु - चक्रवर्ती सम्राट रुक्मकवच हुए। इनके तीसरे पुत्र ज्यामघ को परिजनों ने जंगल में छोड़ दिया। जंगल में ही ज्यामघ की पत्नी शैव्या ने पुत्र विदर्भ को जन्म दिया था। विदर्भ के प्रथम पुत्र क्रथ की अठारहवीं पीढ़ी में मधु पैदा हुए। जिन्होंने ने मधुपुरी नाम से वर्तमान मथुरा नगर को बसाया था। इसी राजा मधु ने लंकाधिपति रावण- कुंभकर्ण की बहन कुंभनसी का अपहरण करके विवाह रचाया था। इसी वंश की 22वीं पीढ़ी में भोजवंश चला, जिसके अंतिम राजा आहुक हुए। इसी राजा आहुक के पुत्री के पुत्र थे देवक और उग्रसेन, जो श्री कृष्ण के नाना थे। राजा देवक के चार पुत्र देवयान, उपदेव, सुदेव और देवरक्षक तथा सात पुत्रियां देवकी ( श्री कृष्ण की माँ ) , श्रुतदेवा, यशोदा, श्रुतिश्रवा, श्रीदेवा, उपदेवा, सुरुपाथी थी। इस प्रकार कृष्ण जी के चार मामा और छः मौसियां थी। इनके पिता वसुदेव जी दस भाई थे। कृष्ण जी के नौ चाचा का नाम देवभाग, देवश्रवा, अनाधृष्टि, कुनि, नंदि, सद्यकृशा, श्याम, समीढु, और शंस्यु था। श्रुतकृर्ति, पृथा, श्रृतदेवी, श्रुतिश्रवा और राजधि देवी ये पाँचो इनकी बुआ थी।
मधुसूदन सिंह
बलिया 1 सितंबर 2018 ।।
चन्द्रवंशी राजा यदु के वंशधर हैं, भगवान श्री कृष्ण। नौ चाचा और पाँच बुआ थी, मुरलीधर श्याम की। श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के अवसर पर अध्यात्मतत्ववेत्ता साहित्यकार शिवकुमार सिंह कौशिकेय ने प्रभु श्री कृष्ण के जीवन से जुड़ी रोचक जानकारी देते हुए एक विशेष भेंट में बताया कि मानव जीवन की सभी सोलह कलाओं में पारंगत आत्मज्ञानी सदगुरु, विश्व में प्रेम, करुणा , सेवा और भक्ति के पुरोधा, लिंगभेद, पाखण्ड के उन्मूलक, यदुवंशी श्री कृष्ण की 5274 वीं जयंती है। इस्लाम और ईसा के अनुयायी भी प्रभु श्री कृष्ण को पैगंबर मानते हैं।
श्री कौशिकेय ने बताया कि पद्मपुराण के सृष्टिखण्ड के अनुसार भगवान कृष्ण के पूर्वज महराज यदु चन्द्रवंश की सातवीं पीढ़ी में हुये थे । चन्द्र के पुत्र बुद्ध थे। बुद्ध व इला के संयोग से पुरूरवा पैदा हुए। पुरूरवा के आठ पुत्र हुए, जिसमें आयु ज्येष्ठ थे। आयु के पुत्र नहुष हुए जो अपने पाँच भाईयों में सबसे बड़े थे। नहुष के सात पुत्र हुए, जिसमें दूसरे नंबर के ययाति राजा बनें। इनकी दो रानियां थीं शर्मिष्ठा एवं देवयानी। इन्हीं छोटी रानी देवयानी से ययाति के दो पुत्र हुए यदु और तुर्वसु । श्री कौशिकेय ने कहा कि राजा यदु के पाँच पुत्र सहस्त्राजित, क्रोष्टु, नील, अंजिक और रघु हुए। भगवान कृष्ण का जन्म महाराज यदु के दूसरे पुत्र क्रोष्टु के वंश में हुआ था। क्रोष्टु के पुत्र विजिनीवान हुए तथा उनके पुत्र स्वाति। इसके बाद क्रमशः स्वाति के कुशंकु- चित्ररथ - शशिबिंदु- पृथुश्रवा- उशना- शिनेयु - चक्रवर्ती सम्राट रुक्मकवच हुए। इनके तीसरे पुत्र ज्यामघ को परिजनों ने जंगल में छोड़ दिया। जंगल में ही ज्यामघ की पत्नी शैव्या ने पुत्र विदर्भ को जन्म दिया था। विदर्भ के प्रथम पुत्र क्रथ की अठारहवीं पीढ़ी में मधु पैदा हुए। जिन्होंने ने मधुपुरी नाम से वर्तमान मथुरा नगर को बसाया था। इसी राजा मधु ने लंकाधिपति रावण- कुंभकर्ण की बहन कुंभनसी का अपहरण करके विवाह रचाया था। इसी वंश की 22वीं पीढ़ी में भोजवंश चला, जिसके अंतिम राजा आहुक हुए। इसी राजा आहुक के पुत्री के पुत्र थे देवक और उग्रसेन, जो श्री कृष्ण के नाना थे। राजा देवक के चार पुत्र देवयान, उपदेव, सुदेव और देवरक्षक तथा सात पुत्रियां देवकी ( श्री कृष्ण की माँ ) , श्रुतदेवा, यशोदा, श्रुतिश्रवा, श्रीदेवा, उपदेवा, सुरुपाथी थी। इस प्रकार कृष्ण जी के चार मामा और छः मौसियां थी। इनके पिता वसुदेव जी दस भाई थे। कृष्ण जी के नौ चाचा का नाम देवभाग, देवश्रवा, अनाधृष्टि, कुनि, नंदि, सद्यकृशा, श्याम, समीढु, और शंस्यु था। श्रुतकृर्ति, पृथा, श्रृतदेवी, श्रुतिश्रवा और राजधि देवी ये पाँचो इनकी बुआ थी।