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बापू की 150 वी जयंती पर विशेष लेख : जब लोगों ने समझा कि गांधी बाईसेक्सुअल हैं

जब लोगों ने समझा कि गांधी बाईसेक्सुअल हैं


28 सितम्बर 2018 ।।

(20वीं शताब्दी के सबसे निर्मम और हिंसक दौर में,
 जब विश्व दो दो विश्वयुद्ध की त्रासदियों से गुजर रहा 
था. भारत में एक महात्मा ने सत्य और अहिंसा को
 लोगों के मन में पुन:स्थापित किया । इस महात्मा
 को आगे चलकर भारत ने अपना राष्ट्रपिता माना
 और दुनिया ने उसकी तुलना ईसा मसीह और 
महात्मा बुद्ध से की । इस साल 2 अक्टूबर को 
महात्मा गांधी को इस दुनिया में आए 150वां साल
 होने वाले है । यहां हम आप सभी के सामने बापू
 से सम्बंधित अनछुए पहलुओं को पेश कर रहे है )
महात्मा गांधी और हरमन केलनबाख के संबंध लंबे वक्त
 तक पश्चिमी देशों में चर्चा और गॉसिप का विषय रहे.
दोनों अच्छे दोस्त थे. महात्मा गांधी 1915 में भारत लौटे ।
1907 से 1909 तक वो हरमन केलनबाख के साथ
 दक्षिण अफ्रीका के जोहानिसबर्ग में रहते थे. 2013 में महात्मा गांधी और हरमन केलनबाख के बीच पत्राचार
की प्रदर्शनी ब्रिटेन के नेशनल आर्काइव म्यूजियम में लगाई
गई थी. इसमें गांधी का एक हाथ से लिखा हुआ पत्र ऐसा
 भी था, जिसमें गांधी ने हरमनबाख को 'माइ डियर लोअर हाउस' कहकर संबोधित किया था. अपने लिए लिखा था 'बदमाशी के साथ तुम्हारा अपर हाउस'. जिसके बाद दोनों
 के बीच के संबंधों की दुनियाभर में चर्चा होने लगी ।

हालांकि इस प्रदर्शनी के बारे में ब्रिटिश अख़बार 'टेलीग्राफ' ने भी लिखा. जिसमें दोनों के संबंधों को ज्यादा गहराई से खंगालने की कोशिश की गई. स्कॉलर्स ने माना कि ऐसा
कुछ नहीं था. गांधी के केलनबाख से संबंधित पत्र और
 तस्वीरें भारत सरकार ने 2012 में खरीद भी लीं. ये
फैसला सरकार ने इन तस्वीरों और पत्रों के साउदबी के
लंदन में नीलाम किए जाने से तुरंत पहले लिया ।

एक पत्रकार की किताब ने उभार दिया था मसला
गांधी और इस अमीर दक्षिण अफ्रीकी (हरमन केलनबाख)
के बीच के रिश्तों के बारे न्यूयॉर्क टाइम्स के पूर्व एडिटर
जोसेफ लेलीवील्ड की कुछ दिनों पहले आई किताब में
भी जिक्र है. लेलीवील्ड ने अपनी किताब 'ग्रेट सोल : 
महात्मा गांधी एंड हिज स्ट्रगल विद इंडिया' 
(महात्मा :महात्मा गांधी और भारत में उनका संघर्ष)
 में महात्मा गांधी के केलनबाख के लिखे एक पत्र का जिक्र किया है. इस पत्र में महात्मा गांधी ने लिखा था, "कैसे पूरी
 तरह से तुमने मेरे शरीर पर अधिकार कर लिया है." महात्मा गांधी ने अपने पत्र में ये भी लिखा था, "ये बदले के साथ की जाने वाली गुलामी है."।

जोसेफ लेलीवील्ड की किताब 'ग्रेट सोल : महात्मा गांधी एंड हिज स्ट्रगल विद इंडिया'
कहा जाता है कि लेलीवेल्ड को अपनी किताब में 'बाईसेक्सुअल' शब्द के प्रयोग से बचने की हिदायत
दी गई थी. बाद में एक जगह उन्होंने लिखा, मेरी किताब
में 'बाईसेक्सुअल' शब्द कहीं नहीं आता है. भारत में इस
 किताब के बैन किए जाने की मांग भी उठी. हालांकि
 ऐसा हुआ नहीं ।

एक्सपर्ट मानते हैं कि उनकी दोस्ती को गलत तरीके
 से समझा गया
एक न्यूज एजेंसी एएफपी से बात करते हुए इन पत्रों को प्रदर्शित करने वाले नेशनल आर्काइव से जुड़ी राज बाला
जैन ने कहा था, 'मैं समझ नहीं पा रही कि किस तरह से
दोनों के रिश्तों को गलत आंका गया. मैं नहीं जानती कि लेलीवील्ड ने इन पत्रों को कहां से उद्धृत किया है. मैं दोनों
 का एक भी पत्र ऐसा नहीं पा सकी जिसमें सेक्सुअल
भावना सामने आती हो.'

उन्होंने यह भी कहा था कि दोस्ती को गलत समझा गया.
मैं समझती हूं कि गांधी नॉर्मल थे. इन सारी बातों से ऊपर
थे. उन्होंने उम्र के चौथे दशक में ही ब्रह्मचर्य का व्रत ले
लिया था. हालांकि उन्होंने ये भी कहा कि दोनों के बीच
 हुए सारे पत्र-व्यवहार को प्रदर्शित कर पाना संभव नहीं
 था. हमने प्रदर्शनी में उन्हीं (पत्रों को) को लगाया, जो
हमें सबसे रोचक लगे.

इस प्रदर्शनी में ऐसे पत्र भी थे जो महात्मा गांधी के बच्चों ने केलनबाख को लिखे थे. ये पत्र गांधी के बेटों ने दक्षिण अफ्रीका से भारत लौटकर लिखे थे. महात्मा गांधी के
 बड़े बेटे हरिलाल ने पिता द्वारा उन्हें अनदेखा करने की शिकायत हरमनबाख से की थी. उन्होंने लिखा था, "मैं
परीक्षाओं में अपनी असफलता के लिए उन्हें (पिता को) जिम्मेदार ठहराता हूं."।
(साभार न्यूज18)