जसवंत सिंह के बेटे मानवेंद्र बने BJP की मुश्किल, 40 सीटों पर मंडराया खतरा
जसवंत सिंह के बेटे मानवेंद्र बने BJP की मुश्किल, 40 सीटों पर मंडराया खतरा
भवानी सिंह
3 सितम्बर 2018 ।।
बीजेपी नेता मानवेंद्र सिंह के बगावती तेवर के बाद पार्टी ने उन्हें मनाने की कोशिश शुरू कर दी हैं. पार्टी ने मानवेंद्र समर्थक दो नेताओं का बीजेपी से निष्कासन रद्द किया । मानवेद्र सिंह से भी बीजेपी के कई नेताओं ने अलग-अलग स्तर पर बात की. बावजूद अभी तक उन्होंने 22 सिंतबर को स्वाभिमान रैली का इरादा नहीं बदला है. मानवेद्र सिंह बीजेपी के कद्दावर नेता जसवंत सिंह के बेटे हैं. जसवंत सिंह भले ही कोमा में हैं लेकिन अभी भी पश्चिम राजस्थान में उनके परिवार का प्रभाव है ।
राजस्थान बीजेपी के अध्यक्ष मदनलाल सैनी ने अचानक दो नेताओं का निष्कासन रद्द करने की सूचना बाड़मेर में बीजेपी के जिलाअध्यक्ष को भिजवाई. एक नेता स्वरुप सिंह का 2014 में तब निष्कासन किया गया था जब वे पार्टी के प्रदेश मंत्री थे, दूसरे नेता गिरवर सिंह कोटड़ा उस वक्त विधानसभा क्षेत्र शिव के मंडल अध्यक्ष थे. दोनों को पार्टी प्रत्याशी के खिलाफ बगावत कर निर्दलीय चुनाव लड़ने वाले जसवंत सिंह का साथ देने पर निष्कासन किया गया था ।
स्वरुप सिंह ने तो निष्कासन पर खुशी जताने के बजाय दो टूक कह दिया है कि उनके बारे में फैसला अब उनका समाज करेगा, पार्टी नहीं. यानी मानवेंद्र सिंह के साथ जाने के साफ संकेत दिए हैं ।
निष्कासन भी पूछ कर या नोटिस देकर नहीं किया था. न रद्द करने की अधिकारिक सूचना. मेरे बारे में फैसला करने का हक अब मेरे समाज को है ।
जसवंत सिंह के समर्थक दूसरे नेता गिरवर सिंह ने निष्कासन रद्द करने पर खुशी जाहिर करने के बजाय तंज कंसा की पार्टी ने जल्दी निष्कासन रद्द किया. पार्टी के बजाय मानवेद्र सिंह के साथ रहने का इशारा करते हुए कहा कि फैसला जसवंत सिंह को 2014 में वोट देने वाले उनके इलाके के चार लाख वोटर करेंगे. वे इनकी मिटिंग बुलाकर फैसला करेंगे.
जसवंत सिंह समर्थकों के तेवर को देखते हुए अभी तक बीजेपी के लिए मानवेंद्र को मनाना आसान नहीं लग रहा है. दरअसल बाड़मेर-जैसलमेर बीजेपी के कद्दावर नेता जसवंत सिंह का गढ़ है. वे चार बार सांसद रह चुके हैं और उनके पुत्र मानवेंद्र सिंह भी एक बार इस संसदीय क्षेत्र से सांसद रह चुके है. 2014 से बाड़मेर के शिव विधानसभा क्षेत्र से बीजेपी विधायक है. लेकिन 2014 में बीजेपी के जसवंत सिंह की टिकट काटकर कर्नल सोनाराम को टिकट देने के बाद से ही जसवंत सिंह समर्थक खफा हैं.
खुद जसवंत सिंह ने बागी होकर चुनाव भी लड़ा था. लेकिन मोदी लहर में हार गए. एक बार फिर बगावत की हवा को रोकने के लिए पार्टी आलाकमान ने एक सीनियर नेता को मानवेंद्र से बात कर रास्ता निकालने का जिम्मा सौंपा है. इसी वजह से पार्टी डेमेज कंट्रोल के लिए सफाई दे रही है कि पार्टी छोड़ने की बात केवल अटकलें हैं.
बीजेपी की चुनौती ये है कि पश्चिम राजस्थान में राजपूत समुदाय का एक बड़ा हिस्सा पहले से खफा है. ये समुदाय बीजेपी का मजबूत वोट बैंक है. अगर मानवेंद्र सिंह पाला बदल कर कांग्रेस में जाते हैं तो इस इलाके में परंपरागत वोट बैंक में कांग्रेस की सेंध लग सकती है. जिसका असर केवल बाड़मेर जैसलमेर ही नहीं मारवाड़ की करीब 40 विधानसभा सीटों पर पड़ सकता है
— स्वरुप सिंह, पूर्व प्रदेश मंत्री बीजेपी
जसवंत सिंह के समर्थक दूसरे नेता गिरवर सिंह ने निष्कासन रद्द करने पर खुशी जाहिर करने के बजाय तंज कंसा की पार्टी ने जल्दी निष्कासन रद्द किया. पार्टी के बजाय मानवेद्र सिंह के साथ रहने का इशारा करते हुए कहा कि फैसला जसवंत सिंह को 2014 में वोट देने वाले उनके इलाके के चार लाख वोटर करेंगे. वे इनकी मिटिंग बुलाकर फैसला करेंगे.
मेरे साथ चार लाख वोटर हैं, जिन्होंने वोट दिया. उनके साथ मिटिंग कर फैसला करेंगे.
— गिरवर सिंह, नेता बीजेपी
जसवंत सिंह समर्थकों के तेवर को देखते हुए अभी तक बीजेपी के लिए मानवेंद्र को मनाना आसान नहीं लग रहा है. दरअसल बाड़मेर-जैसलमेर बीजेपी के कद्दावर नेता जसवंत सिंह का गढ़ है. वे चार बार सांसद रह चुके हैं और उनके पुत्र मानवेंद्र सिंह भी एक बार इस संसदीय क्षेत्र से सांसद रह चुके है. 2014 से बाड़मेर के शिव विधानसभा क्षेत्र से बीजेपी विधायक है. लेकिन 2014 में बीजेपी के जसवंत सिंह की टिकट काटकर कर्नल सोनाराम को टिकट देने के बाद से ही जसवंत सिंह समर्थक खफा हैं.
खुद जसवंत सिंह ने बागी होकर चुनाव भी लड़ा था. लेकिन मोदी लहर में हार गए. एक बार फिर बगावत की हवा को रोकने के लिए पार्टी आलाकमान ने एक सीनियर नेता को मानवेंद्र से बात कर रास्ता निकालने का जिम्मा सौंपा है. इसी वजह से पार्टी डेमेज कंट्रोल के लिए सफाई दे रही है कि पार्टी छोड़ने की बात केवल अटकलें हैं.
2014 लोकसभा चुनाव के दौरान कुछ कार्यकर्ताओं को निष्कासित किया था. जैसलमेर में भी कुछ कार्यकर्ताओं का निष्कासन रद्द किया गया है. मानवेंद्र सिंह के बारे में चर्चा और अफवाहें चल रही हैं. ये निराधार हैं. विपक्ष ये फैला रहा है.
— पंकज मीणा, प्रदेश प्रवक्ता, बीजेपी
बीजेपी की चुनौती ये है कि पश्चिम राजस्थान में राजपूत समुदाय का एक बड़ा हिस्सा पहले से खफा है. ये समुदाय बीजेपी का मजबूत वोट बैंक है. अगर मानवेंद्र सिंह पाला बदल कर कांग्रेस में जाते हैं तो इस इलाके में परंपरागत वोट बैंक में कांग्रेस की सेंध लग सकती है. जिसका असर केवल बाड़मेर जैसलमेर ही नहीं मारवाड़ की करीब 40 विधानसभा सीटों पर पड़ सकता है
जसवंत सिंह के बेटे मानवेंद्र बने BJP की मुश्किल, 40 सीटों पर मंडराया खतरा
Reviewed by बलिया एक्सप्रेस
on
September 03, 2018
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