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मणिपुर 'फर्ज़ी' मुठभेड़: केंद्र ने कहा- अदालत की टिप्पणी ने ‘झकझोरा’ सुरक्षाकर्मियों का मनोबल

मणिपुर 'फर्ज़ी' मुठभेड़: केंद्र ने कहा- अदालत की टिप्पणी ने ‘झकझोरा’ सुरक्षाकर्मियों का मनोबल


28 सितम्बर 2018 ।।

सुप्रीम कोर्ट की ओर से कथित फर्जी मुठभेड़ मामलों में मुणिपुर के कुछ पुलिसकर्मियों को कथित रूप से ‘हत्यारा’ कहा गया. इस पर सवाल उठाते हुए केंद्र सरकार ने कहा कि इसने घुसपैठ से प्रभावित क्षेत्रों में तैनात सशस्त्र बलों और सुरक्षाकर्मियों के मनोबल को 'पूरी तरह झकझोर' दिया है ।

सरकार ने न्यायमूर्ति मदन बी लोकुर और न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता की पीठ से कहा कुछ मणिपुर पुलिसकर्मियों ने मणिपुर फर्जी मुठभेड़ के मामलों की सुनवाई से इस पीठ को अलग करने के लिए आवेदन किए हैं. सरकार इसका समर्थन करती है. इन मामलों में केन्द्रीय जांच ब्यूरो का विशेष जांच दल जांच कर रहा है । हालांकि, याचिकाकर्ताओं ने सरकार की इस दलील का प्रतिवाद करते हुए कहा कि यह न्यायालय को प्रभावित करने का प्रयास कर रही है और पीठ को इस मामले की सुनवाई से खुद को अलग नहीं करना चाहिए ।

यह पीठ मणिपुर में कथित न्यायेत्तर हत्याओं के 1528 मामलों की जांच के लिए दायर जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही है. इन याचिकाओं की सुनवाई के दौरान ही न्यायालय ने पिछले साल 14 जुलाई को एक एसआईटी गठित की थी और प्राथमिकी दर्ज करने एवं जांच करने का आदेश दिया था.

इन पुलिसकर्मियों के अलावा तीन सौ से अधिक सैन्यकर्मियों ने भी सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है. इनमें मणिपुर और जम्मू कश्मीर में कार्रवाई के लिए उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज किए जाने को चुनौती दी गई है. इन दोनों राज्यों में सशस्त्र बल (विशेष अधिकार) कानून लागू है.

अटॉर्नी जनरल के के वेणुगोपाल ने पीठ से कहा, "केन्द्र सरकार से मुझे निर्देश मिला है कि हम इन याचिकाओं का समर्थन कर रहे हैं. जहां तक मणिपुर में सशस्त्र बल का संबंध है तो वे बहुत ही कठिनाई के साथ घुसपैठियों के साथ संघर्ष कर रहे हैं."

अटॉर्नी जनरल ने सशस्त्र बल (विशेष अधिकार) कानून प्रभावी क्षेत्रों में कार्रवाई कर रहे सशस्त्र बल के सुरक्षामकर्मियों और पुलिसकर्मियों पर मुकदमे चलाने पर सवाल उठाया. उन्होंने कहा कि वह समझ ही नहीं पा रहे हैं कि उन्हें मुकदमों का सामना क्यों करना पड़ रहा है ।