बलिया : बिना वाद दाखिल किये ही बलिया सत्र न्यायालय से न्याय न मिलने की संभावना व्यक्त कर एसई आवास विकास वाराणसी ने न्यायालय को किया लांछित ,उच्चाधिकारियों को भेजे पत्र में लिखी बात
आवास विकास के अधीक्षण अभियंता ने बलिया सत्र न्यायालय की न्याय पर उठाया सवालिया निशान
न्याय न मिल पाने की संभावना व्यक्त कर उच्चाधिकारियों को लिखा पत्र
डीएम बलिया के एफआईआर दर्ज कराने और विजिलेंस जांच की संस्तुति को भी किया दरकिनार
बलिया में आवास विकास द्वारा जमीन अधिग्रहण में हुए लाखो के घोटाले का मामला
मधुसूदन सिंह
बलिया 18 सितम्बर 2018 ।।
अभी तक तो आमजन किसी मुकदमे में पराजित होने के बाद न्याय पर प्रश्नचिन्ह लगाते देखे और सुने जाते थे लेकिन पहली बार सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी ने अपनी जांच आख्या उच्चाधिकारियों को भेजते वक्त बलिया जनपद के जिला सत्र न्यायालय में बिना वाद दाखिल किये ही न्याय मिलने की संभावना को क्षीण बताकर बलिया जनपद न्यायालय का घोर अपमान किया है । हैरानी की बात यह है कि इस पत्र को प्राप्त करने वाले उच्चाधिकारी भी इतनी बड़ी चूक पर कोई कार्यवाई नही किये है । बता दे कि बलिया शहर में स्थित हरपुर मुहल्ले की आवास विकास कालोनी के 1985-86 में जमीन अधिग्रहण के समय गलत तरीके से एक व्यक्ति द्वारा माननीय सत्र न्यायालय बलिया और माननीय उच्च न्यायालय इलाहाबाद को गुमराह करते हुए गलत तथ्यों के आधार आदेश कराकर लाखों रुपये सरकारी खजाने से लेने का मामला प्रकाश में आया है । यह मामला इसी मुहल्ले के आवेदक उमेश मिश्र द्वारा 29 नवम्बर 2013 से भारत के महामहिम राष्ट्रपति , प्रधान मंत्री , मुख्यमंत्री और महामहिम राज्यपाल महोदय को भेजे गये पत्रो को जिलाधिकारी बलिया भवानी सिंह खंगारौत द्वारा संज्ञान लेकर जांच कराने से सामने आया है । जिलाधिकारी की जांच और शिकायतकर्ता द्वारा दिये गये साक्ष्यो के आधार पर प्रथम दृष्टया 42 लाख 67 हज़ार 488 रुपये के गबन होना प्रकाश में आया है । जिसके आधार पर जिलाधिकारी बलिया ने उत्तर प्रदेश आवास विकास परिषद वाराणसी के अधिशासी अभियंता को तत्काल एफआईआर दर्ज कराने का आदेश देते हुए विजिलेंस जांच की संस्तुति करते हुए प्रभावी कार्यवाई तत्काल करने का आदेश पत्र संख्या-179/आठ वि भू अ अ ,दिनांक 13 जुलाई 2018 के द्वारा दे दिया है । लेकिन धन्य है आवास विकास परिषद के अधिकारी जिन्होंने न सिर्फ जिलाधिकारी बलिया के आदेश को ठंडे बस्ते में डाल रखा है बल्कि बलिया के जिला सत्र न्यायालय में मिलने वाली न्याय व्यवस्था को भी कटघरे में खड़ा कर दिया । लगता है गबन के आरोपी हरपुर निवासी गौरीशंकर मिश्र को बचाने के चक्कर में अधिशासी अभियंता ने बलिया न्यायालय की न्याय व्यवस्था को ही कटघरे में खड़ा कर दिया है । अधिशासी अभियंता ने जिलाधिकारी बलिया के आदेश और संस्तुति से बचने का नया तरीका ईजाद कर बलिया के न्यायालय की तौहीन करते हुए उप आवास आयुक्त (भूमि) उत्तर प्रदेश आवास विकास परिषद लखनऊ को भेजे अपने पत्र संख्या 1387 /गौरीशंकर दिनांक 4 अगस्त 2018 में लिखा है कि अधीक्षण अभियंता प्रथम वृत्त वाराणसी के पत्र संख्या 938/सीडी-34/दिनांक 31.5.2018 द्वारा प्रेषित जांच आख्या का संदर्भ ग्रहण करने का अनुरोध किया गया है । इस के द्वारा विषयांकित प्रकरण में गौरीशंकर मिश्र द्वारा अधिगृहित भूमि के वास्तविक मुआवजा से अधिक अवैध रूप से अधिक भूमि का दावा प्रस्तुत कर , कोर्ट को गुमराह कर 42,67,488 रुपये प्राप्त किया जाना पाया गया है । अधीक्षण अभियंता ने अपनी जांच आख्या में जनपद न्यायालय बलिया से परिषद को न्याय मिलने की संभावना अत्यंत क्षीण बताकर माननीय उच्च न्यायालय में परिषद के अधिवक्ता आनन्द प्रकाश श्रीवास्तव के साथ एक अतिरिक्त अधिवक्ता/विशेष अधिवक्ता की तैनाती करने की मांग की गयी है जिससे इस रकम की वसूली से सम्बंधित वाद को माननीय उच्च न्यायालय में दाखिल कर वसूली करायी जा सके ।
अब यही सवाल उठता है कि बलिया सत्र न्यायालय में ऐसा कौन सा छिद्र अधीक्षण अभियंता को दिखा जिससे उनको लगा कि यहां न्याय नही मिल सकता है ? या यूं कहें कि बलिया सत्र न्यायालय में इस लूट में शामिल विभागीय अधिकारियों की भी गर्दन फंस जाती , इस लिये अधीक्षण अभियंता ने कुचक्र रचकर जहां बलिया जनपद न्यायालय के ऊपर कीचड़ उछाला है , वही आरोपी को बचाने का अपने स्तर से पूरी कोशिश की है । नही तो अधीक्षण अभियंता जिलाधिकारी बलिया के एफआईआर दर्ज कराने के आदेश का अक्षरशः पालन करते हुए एफआईआर दर्ज कराकर अपने उच्चाधिकारियों को डीएम बलिया द्वारा विजिलेंस जांच की संस्तुति से अपनी सहमति व्यक्त करते हुए पत्र भेजते । अब देखना है कि बलिया जनपद न्यायालय की न्याय व्यवस्था पर प्रश्नचिन्ह लगाने वाले , जिलाधिकारी बलिया के आदेश को न मानने वाले अधीक्षण अभियंता और अधिशासी अभियंता आवास विकास परिषद वाराणसी के खिलाफ क्या कार्यवाई होती है ।
न्याय न मिल पाने की संभावना व्यक्त कर उच्चाधिकारियों को लिखा पत्र
डीएम बलिया के एफआईआर दर्ज कराने और विजिलेंस जांच की संस्तुति को भी किया दरकिनार
बलिया में आवास विकास द्वारा जमीन अधिग्रहण में हुए लाखो के घोटाले का मामला
मधुसूदन सिंह
बलिया 18 सितम्बर 2018 ।।
अभी तक तो आमजन किसी मुकदमे में पराजित होने के बाद न्याय पर प्रश्नचिन्ह लगाते देखे और सुने जाते थे लेकिन पहली बार सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी ने अपनी जांच आख्या उच्चाधिकारियों को भेजते वक्त बलिया जनपद के जिला सत्र न्यायालय में बिना वाद दाखिल किये ही न्याय मिलने की संभावना को क्षीण बताकर बलिया जनपद न्यायालय का घोर अपमान किया है । हैरानी की बात यह है कि इस पत्र को प्राप्त करने वाले उच्चाधिकारी भी इतनी बड़ी चूक पर कोई कार्यवाई नही किये है । बता दे कि बलिया शहर में स्थित हरपुर मुहल्ले की आवास विकास कालोनी के 1985-86 में जमीन अधिग्रहण के समय गलत तरीके से एक व्यक्ति द्वारा माननीय सत्र न्यायालय बलिया और माननीय उच्च न्यायालय इलाहाबाद को गुमराह करते हुए गलत तथ्यों के आधार आदेश कराकर लाखों रुपये सरकारी खजाने से लेने का मामला प्रकाश में आया है । यह मामला इसी मुहल्ले के आवेदक उमेश मिश्र द्वारा 29 नवम्बर 2013 से भारत के महामहिम राष्ट्रपति , प्रधान मंत्री , मुख्यमंत्री और महामहिम राज्यपाल महोदय को भेजे गये पत्रो को जिलाधिकारी बलिया भवानी सिंह खंगारौत द्वारा संज्ञान लेकर जांच कराने से सामने आया है । जिलाधिकारी की जांच और शिकायतकर्ता द्वारा दिये गये साक्ष्यो के आधार पर प्रथम दृष्टया 42 लाख 67 हज़ार 488 रुपये के गबन होना प्रकाश में आया है । जिसके आधार पर जिलाधिकारी बलिया ने उत्तर प्रदेश आवास विकास परिषद वाराणसी के अधिशासी अभियंता को तत्काल एफआईआर दर्ज कराने का आदेश देते हुए विजिलेंस जांच की संस्तुति करते हुए प्रभावी कार्यवाई तत्काल करने का आदेश पत्र संख्या-179/आठ वि भू अ अ ,दिनांक 13 जुलाई 2018 के द्वारा दे दिया है । लेकिन धन्य है आवास विकास परिषद के अधिकारी जिन्होंने न सिर्फ जिलाधिकारी बलिया के आदेश को ठंडे बस्ते में डाल रखा है बल्कि बलिया के जिला सत्र न्यायालय में मिलने वाली न्याय व्यवस्था को भी कटघरे में खड़ा कर दिया । लगता है गबन के आरोपी हरपुर निवासी गौरीशंकर मिश्र को बचाने के चक्कर में अधिशासी अभियंता ने बलिया न्यायालय की न्याय व्यवस्था को ही कटघरे में खड़ा कर दिया है । अधिशासी अभियंता ने जिलाधिकारी बलिया के आदेश और संस्तुति से बचने का नया तरीका ईजाद कर बलिया के न्यायालय की तौहीन करते हुए उप आवास आयुक्त (भूमि) उत्तर प्रदेश आवास विकास परिषद लखनऊ को भेजे अपने पत्र संख्या 1387 /गौरीशंकर दिनांक 4 अगस्त 2018 में लिखा है कि अधीक्षण अभियंता प्रथम वृत्त वाराणसी के पत्र संख्या 938/सीडी-34/दिनांक 31.5.2018 द्वारा प्रेषित जांच आख्या का संदर्भ ग्रहण करने का अनुरोध किया गया है । इस के द्वारा विषयांकित प्रकरण में गौरीशंकर मिश्र द्वारा अधिगृहित भूमि के वास्तविक मुआवजा से अधिक अवैध रूप से अधिक भूमि का दावा प्रस्तुत कर , कोर्ट को गुमराह कर 42,67,488 रुपये प्राप्त किया जाना पाया गया है । अधीक्षण अभियंता ने अपनी जांच आख्या में जनपद न्यायालय बलिया से परिषद को न्याय मिलने की संभावना अत्यंत क्षीण बताकर माननीय उच्च न्यायालय में परिषद के अधिवक्ता आनन्द प्रकाश श्रीवास्तव के साथ एक अतिरिक्त अधिवक्ता/विशेष अधिवक्ता की तैनाती करने की मांग की गयी है जिससे इस रकम की वसूली से सम्बंधित वाद को माननीय उच्च न्यायालय में दाखिल कर वसूली करायी जा सके ।
अब यही सवाल उठता है कि बलिया सत्र न्यायालय में ऐसा कौन सा छिद्र अधीक्षण अभियंता को दिखा जिससे उनको लगा कि यहां न्याय नही मिल सकता है ? या यूं कहें कि बलिया सत्र न्यायालय में इस लूट में शामिल विभागीय अधिकारियों की भी गर्दन फंस जाती , इस लिये अधीक्षण अभियंता ने कुचक्र रचकर जहां बलिया जनपद न्यायालय के ऊपर कीचड़ उछाला है , वही आरोपी को बचाने का अपने स्तर से पूरी कोशिश की है । नही तो अधीक्षण अभियंता जिलाधिकारी बलिया के एफआईआर दर्ज कराने के आदेश का अक्षरशः पालन करते हुए एफआईआर दर्ज कराकर अपने उच्चाधिकारियों को डीएम बलिया द्वारा विजिलेंस जांच की संस्तुति से अपनी सहमति व्यक्त करते हुए पत्र भेजते । अब देखना है कि बलिया जनपद न्यायालय की न्याय व्यवस्था पर प्रश्नचिन्ह लगाने वाले , जिलाधिकारी बलिया के आदेश को न मानने वाले अधीक्षण अभियंता और अधिशासी अभियंता आवास विकास परिषद वाराणसी के खिलाफ क्या कार्यवाई होती है ।