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गोरखपुर में अकीदत के साथ निकला चार मोहर्रम का अलम व मातमी जुलूस




चार मोहर्रम का अलम व मातमी जुलूस


अमित कुमार की रिपोर्ट

गोरखपुर 15 सितम्बर 2018 । शनिवार को दिन में 2:00 बजे अलम व मातमी जुलूस श्री मोहम्मद मेहंदी के निवास बसंतपुर मुतनाज़ा से निकलकर हाल्सीगंज, घंटाघर तथा रेती चौक होता हुआ इमामबाड़ा आगा साहेबान शेखपुर में समाप्त हुआ। आज से 1400 साल पहले शाम में यजीद ने अपने अपने को मुसलमानों का खलीफा घोषित किया और ताकत व पैसों के जोर पर केवल इस्लाम धर्म के मूल नियमों को भी नहीं बिगाड़ा बल्की मानवता के विरुद्ध बच्चों औरतों और गरीबों पर अत्याचार शुरू कर दिया। लोगों को रुपए जायजा की लालच देकर अपने साथ करने लगा । बात यहां तक पहुंची कि यज़ीद ने मुसलमानों के नबी हजरत मोहम्मद मुस्तफा (स0अ0) के नवासे इमाम हुसैन (अ) को अपनी बैयत करने का दबाव डालने लगा और मदीने में ही उनके कत्ल की साजिश करने लगा । हजरत इमाम हुसैन मदीने में जंग को टालने के लिए अपने घर की औरतों छोटे छोटे बच्चों जवानों के साथ मक्का(काबा) पहुंच गए जहां किसी दुश्मन को भी मारने का या जंग का कोई अंदेशा नहीं था, काबा हज का मुकाम है और अमन की जगह थी।  यज़ीद ने काबे में हजरत हुसैन के कत्ल की साजिश किया तो मजबूरन हज के मौसम में हजरत इमाम हुसैन अपने काफिले के साथ इराक में कर्बला नाम की भूमि पर अपना व अपने लोगों का  खेमा नस्ब कर दिया । जहां यजीदी फौज में सात मुहर्रम से हजरत हुसैन और उनके साथियों पर पानी बंद कर दिया और इस तरह 10 मोहर्रम को हजरत इमाम हुसैन और उनके साथियों को बेरहमी से कत्ल कर दिया। अपनी शहादत से पहले हजरत हुसैन ने एक आवाज बंद की थी की है कोई जो मेरी मदद करें । यह मदद की आवाज़ इंसानियत को बचाने के लिए बुलंद की गई थी जो आज भी पूरी दुनिया में गूंज रही है और हर देश खासकर भारत में हिंदू मुसलमान मिलकर हजरत हुसैन की याद मनाते हैं ।
मालूम हो जुलूस में सड़क पर भीड़ के अलावा छत पर से भी लोग अलम की जियारत कर रहे थे । मातमी दस्ता जंजीर और कमा से सर और जिस्म पर मातम कर रहे थे, उनके जिस्म लहूलुहान थे।
जुलूस में ताहिर अली,आबिद रिजवी, मिर्जा अली, हुसैन, आरिफ के अलावा सिब्ते हसन ने नौहा पढ़ा।
यह जुलूस रफत हुसैन, अली जहीर मेहंदी, एजाज हुसैन, अली ग़दीर, फरीद रिज़वी, महताब रिज़वी की अगुवाई में चल रहा था।