बलिया : सभासद ने की प्रभारी मंत्री से नगर पालिका में भारी गड़बड़ी और घोटाले की शिकायत
सुमित मिश्र गोलू ने प्रभारी मंत्री को ज्ञापन सौंप की जांच की मांग
चेयरमैन और ईओ के खिलाफ शिकायत
भुगतानों में फर्जीवाड़े की शिकायत
अध्यक्ष ने कहा -किसी भी जांच को तैयार
बलिया 9 सितंबर 2018 ।। नगर पालिका परिषद बलिया का चेयरमैन और सभासदों की रार दिन प्रतिदिन बढ़ती ही जा रही है । रार के अत्यधिक बढ़ने और बोर्ड की बैठक में जमकर बोले जा रहे अपशब्दो के बीच गुस्से में चेयरमैन का बैठक से चले जाना इस रार को खुद ही दर्शाने के लिये काफी है । सूत्रों की माने तो इस रार को फलने फूलने में अधिशाषी अधिकारी का बहुत बड़ा हाथ है । इस तकरार में जहां चेयरमैन और सभासदों में दूरियां बढ़ती जा रही है , वही ईओ मजे से भुगतान कराते जा रहे है । इन्ही सब बातों को लेकर भाजपा सदस्य और सभासद सुमित मिश्र गोलू ने एक पत्रक जिले के प्रभारी मंत्री श्रीकांत शर्मा को बलिया दौरे के दौरान सौप कर पिछले दिनों हुए भुगतान की जांच की मांग करते हुए चेयमैन और ईओ के द्वारा जब तक जांच न हो जाये भुगतान करने पर रोक लगाने की मांग की है । श्री गोलू ने अपने पत्रक में पिछले दिनों किये गये करोड़ो के भुगतान में जमकर कमीशनखोरी का आरोप लगाया है वही नगर की साफसफाई के लिये नियुक्त आर्यन ग्रुप पर भी सवालियां निशान लगाया है । श्री गोलू ने कहा कि आर्यन ग्रुप के माध्यम से नगर पालिका में सरकारी धन की लूट हो रही है जब यही काम नगर पालिका कर्मचारियों से 8 लाख महीने में हो जा रहा था तो आर्यन ग्रुप को आधे काम के लिये लगभग 32 लाख का भुगतान क्यो हो रहा है , यही नही ग्लोबल कम्पनी को कर्मचारियों (आपरेटर -ट्यूब वेल , कम्प्यूटर) को 18 लाख प्रतिमाह दिया ही नही जा रहा है इनको 5 वर्षो के लिये आदेश भी कर दिया गया है जो चेयरमैन और ईओ की मिलीभगत का द्योतक है । इसके साथ ही विजली सामानों की आपूर्ति में भी , जलकल में भी गंभीर घोटाला हुआ है जिसकी उच्च स्तरीय जांच अति आवश्यक है । बता दे कि चेयरमैन और सभासदों की तकरार को शांत कराने के लिये जिलाधिकारी बलिया स्वयं एक दिन इन लोगो की सामूहिक बैठक कर प्रयास कर चुके है । साथ ही नगर पालिका की विधिवत जांच भी किये और कमियों को तत्काल दुरुस्त करने का निर्देश भी ईओ को दिये ।
चेयरमैन उवाच
इस संबंध में जब चेयरमैन अजय कुमार समाजसेवी से बात की गई तो उनका कहना था कि मै किसी भी जांच के लिये तैयार हूं । मेरे द्वारा जो भी पिछला भुगतान हुआ है वह प्रशानिक अधिकारियों (डीएम या एडीएम) के जांचोपरांत आदेश के बाद हुआ है । मेरे द्वारा किसी भी प्रकार का भ्रष्टाचार नही किया गया है । जांच होने दीजिये दूध का दूध और पानी का पानी अलग हो जायेगा । रही आर्यन ग्रुप और ग्लोबल कम्पनियो को ठेका देने की बात तो यह ऑनलाइन टेंडर प्रक्रिया के तहत हुआ है । इससे पहले इन कामो के लिये नगर पालिका बोर्ड ने प्रस्ताव पारित किया था तब टेंडर हुआ है । इसके लिये हो रहे भुगतान पर जो सवाल उठाये जा रहे है तो उसका मेरा जबाब है कि क्या आर्यन ग्रुप से पहले डोर टू डोर कूड़ा संग्रह का कार्य हो रहा था , क्या शहर में रात में झाड़ू लग रहा था , क्या 24 घंटे जब चाहे सफाई के लिये सफाई कर्मी मौजूद रहते थे ? अगर इतने अतिरिक्त कार्य हो रहे है , नालियों में दवा छिड़कने से लेकर चूना छिड़कने तक का कार्य आर्यन ग्रुप कर रहा है तो क्या इसके लिये अतिरिक्त भुगतान नही होगा ? अतिरिक्त जो भी भुगतान हो रहा है वह टेंडर की शर्तों के अनुरूप हो रहा है , जिस दिन शर्तो का अनुपालन नही होगा आर्यन ग्रुप हो या ग्लोबल हो , दोनों को बाहर का रास्ता दिखा दिया जाएगा । इसके वावजूद नगर पालिका में भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने के लिये उच्च स्तरीय जांच की सभासद सुमित मिश्र गोलू की मांग का मै भी समर्थन करते हुए बाहर की टीम से जांच कराए जाने की मांग करता हूँ ।
सारी समस्या की जड़ कही ईओ तो नही ?
चेयरमैन और सभासदों के बीच
बढ़ रहे तनाव की वजह कही नगर पालिका परिषद बलिया के अधिशाषी अधिकारी बलिया डीके विश्वकर्मा तो नही ? आज यह सवाल जनमानस में चर्चा का विषय बना हुआ है । अगर चेयरमैन सभासदों के पहले विवाद से आजतक के विवाद पर नजर दौड़ाई जाय तो निश्चित ही इस सवाल में कही न कही सच्चाई दिखती नजर आ रही है । क्योकि जिस भुगतान को ईओ महोदय नही करना चाहते (सभासदों के कथनानुसार) उसको चेयरमैन से रुकवा देते है और जिसको कराना चाहते है अपने साथ बैठाकर चेयरमैन से करवा देते है । बलिया में जब से कार्यभार संभाले है चेयरमैन और सभासदों में मतभेद बढ़े है । आखिर क्या कारण है कि सभासद पिछले भुगतान के लिये चेयरमैन को दोषी ठहरा रहे है जबकि भुगतान की प्रक्रिया में ईओ की सहमति पहले होती है चेयरमैन की बाद में । बलिया में नगर पालिका में सुचारू रूप से काम हो , और घोटालो की निष्पक्ष जांच हो इसके लिये वर्तमान अधिशाषी अधिकारी का यहां से तबादला होना जरूरी लग रहा है । अब जिलाधिकारी और प्रभारी मंत्री दोनों लोगो को यह निर्णय करना है कि सभासद सुमित मिश्र गोलू की मांग के साथ न्याय कैसे करेंगे ।
चेयरमैन और ईओ के खिलाफ शिकायत
भुगतानों में फर्जीवाड़े की शिकायत
अध्यक्ष ने कहा -किसी भी जांच को तैयार
बलिया 9 सितंबर 2018 ।। नगर पालिका परिषद बलिया का चेयरमैन और सभासदों की रार दिन प्रतिदिन बढ़ती ही जा रही है । रार के अत्यधिक बढ़ने और बोर्ड की बैठक में जमकर बोले जा रहे अपशब्दो के बीच गुस्से में चेयरमैन का बैठक से चले जाना इस रार को खुद ही दर्शाने के लिये काफी है । सूत्रों की माने तो इस रार को फलने फूलने में अधिशाषी अधिकारी का बहुत बड़ा हाथ है । इस तकरार में जहां चेयरमैन और सभासदों में दूरियां बढ़ती जा रही है , वही ईओ मजे से भुगतान कराते जा रहे है । इन्ही सब बातों को लेकर भाजपा सदस्य और सभासद सुमित मिश्र गोलू ने एक पत्रक जिले के प्रभारी मंत्री श्रीकांत शर्मा को बलिया दौरे के दौरान सौप कर पिछले दिनों हुए भुगतान की जांच की मांग करते हुए चेयमैन और ईओ के द्वारा जब तक जांच न हो जाये भुगतान करने पर रोक लगाने की मांग की है । श्री गोलू ने अपने पत्रक में पिछले दिनों किये गये करोड़ो के भुगतान में जमकर कमीशनखोरी का आरोप लगाया है वही नगर की साफसफाई के लिये नियुक्त आर्यन ग्रुप पर भी सवालियां निशान लगाया है । श्री गोलू ने कहा कि आर्यन ग्रुप के माध्यम से नगर पालिका में सरकारी धन की लूट हो रही है जब यही काम नगर पालिका कर्मचारियों से 8 लाख महीने में हो जा रहा था तो आर्यन ग्रुप को आधे काम के लिये लगभग 32 लाख का भुगतान क्यो हो रहा है , यही नही ग्लोबल कम्पनी को कर्मचारियों (आपरेटर -ट्यूब वेल , कम्प्यूटर) को 18 लाख प्रतिमाह दिया ही नही जा रहा है इनको 5 वर्षो के लिये आदेश भी कर दिया गया है जो चेयरमैन और ईओ की मिलीभगत का द्योतक है । इसके साथ ही विजली सामानों की आपूर्ति में भी , जलकल में भी गंभीर घोटाला हुआ है जिसकी उच्च स्तरीय जांच अति आवश्यक है । बता दे कि चेयरमैन और सभासदों की तकरार को शांत कराने के लिये जिलाधिकारी बलिया स्वयं एक दिन इन लोगो की सामूहिक बैठक कर प्रयास कर चुके है । साथ ही नगर पालिका की विधिवत जांच भी किये और कमियों को तत्काल दुरुस्त करने का निर्देश भी ईओ को दिये ।
चेयरमैन उवाच
इस संबंध में जब चेयरमैन अजय कुमार समाजसेवी से बात की गई तो उनका कहना था कि मै किसी भी जांच के लिये तैयार हूं । मेरे द्वारा जो भी पिछला भुगतान हुआ है वह प्रशानिक अधिकारियों (डीएम या एडीएम) के जांचोपरांत आदेश के बाद हुआ है । मेरे द्वारा किसी भी प्रकार का भ्रष्टाचार नही किया गया है । जांच होने दीजिये दूध का दूध और पानी का पानी अलग हो जायेगा । रही आर्यन ग्रुप और ग्लोबल कम्पनियो को ठेका देने की बात तो यह ऑनलाइन टेंडर प्रक्रिया के तहत हुआ है । इससे पहले इन कामो के लिये नगर पालिका बोर्ड ने प्रस्ताव पारित किया था तब टेंडर हुआ है । इसके लिये हो रहे भुगतान पर जो सवाल उठाये जा रहे है तो उसका मेरा जबाब है कि क्या आर्यन ग्रुप से पहले डोर टू डोर कूड़ा संग्रह का कार्य हो रहा था , क्या शहर में रात में झाड़ू लग रहा था , क्या 24 घंटे जब चाहे सफाई के लिये सफाई कर्मी मौजूद रहते थे ? अगर इतने अतिरिक्त कार्य हो रहे है , नालियों में दवा छिड़कने से लेकर चूना छिड़कने तक का कार्य आर्यन ग्रुप कर रहा है तो क्या इसके लिये अतिरिक्त भुगतान नही होगा ? अतिरिक्त जो भी भुगतान हो रहा है वह टेंडर की शर्तों के अनुरूप हो रहा है , जिस दिन शर्तो का अनुपालन नही होगा आर्यन ग्रुप हो या ग्लोबल हो , दोनों को बाहर का रास्ता दिखा दिया जाएगा । इसके वावजूद नगर पालिका में भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने के लिये उच्च स्तरीय जांच की सभासद सुमित मिश्र गोलू की मांग का मै भी समर्थन करते हुए बाहर की टीम से जांच कराए जाने की मांग करता हूँ ।
सारी समस्या की जड़ कही ईओ तो नही ?
चेयरमैन और सभासदों के बीच
बढ़ रहे तनाव की वजह कही नगर पालिका परिषद बलिया के अधिशाषी अधिकारी बलिया डीके विश्वकर्मा तो नही ? आज यह सवाल जनमानस में चर्चा का विषय बना हुआ है । अगर चेयरमैन सभासदों के पहले विवाद से आजतक के विवाद पर नजर दौड़ाई जाय तो निश्चित ही इस सवाल में कही न कही सच्चाई दिखती नजर आ रही है । क्योकि जिस भुगतान को ईओ महोदय नही करना चाहते (सभासदों के कथनानुसार) उसको चेयरमैन से रुकवा देते है और जिसको कराना चाहते है अपने साथ बैठाकर चेयरमैन से करवा देते है । बलिया में जब से कार्यभार संभाले है चेयरमैन और सभासदों में मतभेद बढ़े है । आखिर क्या कारण है कि सभासद पिछले भुगतान के लिये चेयरमैन को दोषी ठहरा रहे है जबकि भुगतान की प्रक्रिया में ईओ की सहमति पहले होती है चेयरमैन की बाद में । बलिया में नगर पालिका में सुचारू रूप से काम हो , और घोटालो की निष्पक्ष जांच हो इसके लिये वर्तमान अधिशाषी अधिकारी का यहां से तबादला होना जरूरी लग रहा है । अब जिलाधिकारी और प्रभारी मंत्री दोनों लोगो को यह निर्णय करना है कि सभासद सुमित मिश्र गोलू की मांग के साथ न्याय कैसे करेंगे ।