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सीएम सिटी गोरखपुर में जातीय विद्वेष का शिकार हुआ शोधार्थी , आत्महत्या की कोशिश के बाद मेडिकल कालेज में चल रहा है इलाज

जातीय विद्वेष के शिकार दलित शोधार्थी छात्र ने किया आत्म हत्या की कोशिश
विश्वविद्यालय के दो प्रोफेसरों पर लगाया है प्रताड़ित करने का आरोप
वीसी से शिकायत के बाद और बढ़ गयी प्रताड़ना
अमित कुमार की रिपोर्ट
गोरखपुर 20 सितम्बर 2018 ।।
    सीएम सिटी गोरखपुर आजकल अपराधों के घटित होने के कारण जहां सुर्खियों में रह रही है वही आज दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय के एक दलित शोध छात्र द्वारा आत्म हत्या की कोशिश करने से और चर्चा में आ गयी है । दर्शनशास्त्र के शोध छात्र दीपक कुमार ने दो प्रोफेसरों पर विगत तीन माह से जाति सूचक शब्दो के साथ अपमानित करने और वीसी से इसकी शिकायत करने पर गुंडे भेजकर धमकी दिलवाने का गंभीर आरोप अपने सुसाइड नोट में लिखा है । छात्र के आत्महत्या करने के प्रयास से जहां विश्वविद्यालय में हड़कम्प मच गया है वही पीड़ित छात्र को पहले जिला अस्पताल ले जाया गया जहां हालत गंभीर होने के कारण डॉक्टरों ने मेडिकल कालेज के लिये रेफर कर दिया ।मेडिकल कालेज में पीड़ित छात्र  जीवन मृत्यु के बीच झूल रहा है । वही वीसी प्रोफेसर वीके सिंह जहां इस पूरे घटनाचक्र से अपने आप को अनजान बताते हुए जांच कमेटी के द्वारा जांच कराने की बात कह रहे है ।
  बताया जाता है कि दीनदयाल उपाध्याय विश्वविद्यालय गोरखपुर के दर्शन शास्त्र विभाग के शोध छात्र दीपक कुमार को  प्रो द्वारकानाथ और प्रो सी पी श्रीवास्तव ने लगातार तीन महीने से शोषण कर रहे थे और



जातिसूचक गालिया दे रहे थे जिसकी लिखित शिकायत दो बार कुलपति को देने के बाद भी जब कोई कार्यवाई नही हुई उल्टे दोनो प्रोफेसरों ने जब गुंडे भेजकर पीड़ित छात्र को धमकी दिलवानी शुरू की तो पीड़ित छात्र का अपमानित होने का धैर्य टूट गया और उसने जलालत भरी जिंदगी से मौत को बेहतर मानकर आत्महत्या करने के लिये जहरीला पदार्थ खा लिया । दीपक कुमार के दोस्त का कहना था कि सारे फसाद की जड़ दीपक द्वारा अपने शोध के लिये दूसरा गाइड चुनना है जिसे विभागाध्यक्ष बर्दाश्त नही कर पाये ।
सबसे बड़ा सवाल - जब चिट्ठी कुलपति को संबोधित हो और कार्यालय द्वारा प्राप्त की गयी हो तो कुलपति के पास गई क्यो नही 
     पीड़ित 
शोध छात्र दीपक कुमार निवासी राघोपट्टी थाना झंगहा गोरखपुर द्वारा आत्महत्या के प्रयास की खबर के बाद कुलपति महोदय से सवाल किया गया कि प्रताड़ना की दो दो शिकायते आपको देने के बाद आपने कार्यवाई क्यो नही की तो प्रोफेसर वीके सिंह का जबाब था जब मुझे कोई पत्र मिला ही नही तो कार्यवाई क्या करूँगा । जब पीड़ित छात्र ने दोनों बार अपने शिकायती पत्र को कार्यालय में रिसीव कराया है और कुलसचिव द्वारा मुख्य नियंता को आवश्यक कार्यवाई करने का आदेश भी दिया है । अब सवाल यह उठता है कि मुख्य नियंता ने इतने ज्वलंत मुद्दे पर क्या कार्यवाई की और अपनी रिपोर्ट से कुलपति को क्यो नही अवगत कराया यह जांच का विषय है । कही मुख्य नियंता भी तो दोनो आरोपी प्रोफेसरों को बचाने की साजिश में ऐसा तो नही किये । वैसे कुलपति के नाम का आवेदन पत्र कुलपति तक पहुंचे ही नही आश्चर्य का विषय है ।