आधी आबादी को मिली जीत : महिलाओं के लिए खुले सबरीमाला मंदिर के दरवाजे, SC ने हटाया बैन
मधुसूदन सिंह
नईदिल्ली 28 सितम्बर 2018 ।।
सुप्रीम कोर्ट केरल के सबरीमाला मंदिर में 10-50 साल की उम्र की महिलाओं के प्रवेश पर रोक को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर शुक्रवार को अपना फैसला सुना दिया ।अदालत ने सबरीमाला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश की अनुमति दे दी है ।आज के फैसले से आजादी के इतने दिनों बाद आधी आबादी को अपना हक मिला है , वास्तविक आजादी मिली है ।सबरीमाला मंदिर के दरवाजे सुप्रीम कोर्ट ने महिलाओं के लिए भी खोल दिए. अदालत ने कहा कि सबरीमाला के नियम संविधान, के अनुच्छेद 14 और 25 का उल्लंघन करते हैं.अदालत ने कहा है कि महिलाओं को पूजा से रोकना उनके मूल अधिकारों का हनन है. फैसले में कोर्ट ने कहा कि, भगवान अयप्पा के मानने वाले हिंदू धर्मा के अनुयायी हैं ,उनके लिए अलग नियम न बनाएं. सबरीमाला मंदिर की ओर से बनाए गए नियम मूलभूत धार्मिक नियमों के अंतर्गत नहीं आते.चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा ने कहा एक ओर तो महिलाओं की देवी की तरह पूजा होती है लेकिन दूसरी तरफ उन पर कई सारे प्रतिबंध भी हैं. ईश्वर के साथ इंसानी संबंध शारीरिक और मानसिक बाध्यताओं को ध्यान में रखकर नहीं परिभाषित किए जा सकते.न्यायालय की पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने 4:1 की बहुमत से फैसला दिया. जस्टिस आर. एफ. नरीमन और जस्टिस डी. वाई. चन्द्रचूड़, CJIके फैसले से इत्तेफाक रखते हैं, जबकि जस्टिस इन्दु मल्होत्रा ने उनसे अलग अपना फैसला लिखा है. वहीं मंदिर तंत्री के नवासे राहुल ईश्वर ने कहा कि हम इस मामले समीक्षा याचिका दायर करेंगे ।बता दे कि प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अगुवाई वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने आठ दिनों तक चली सुनवाई के बाद एक अगस्त को इस मामले में अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था । इससे पहले सुनवाई के दौरान जस्टिस मिश्रा, जस्टिस आर एफ नरीमन, जस्टिस ए एम खानविलकर, जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ और जस्टिस इंदू मल्होत्रा की पीठ ने पहले कहा था कि महिलाओं को प्रवेश से अलग रखने पर रोक लगाने वाले संवैधानिक प्रावधान का 'उज्ज्वल लोकतंत्र' में 'कुछ मूल्य' हैं ।शीर्ष अदालत का यह फैसला इंडियन यंग लॉयर्स एसोसिएशन और अन्य की याचिकाओं पर आया है ।