यूपी के बेसिक शिक्षा का एक और कारनामा : कम गुणांक वाले को प्रथम वरीयता का जिला और अधिक वाले को दूसरी वरीयता का जिला आवंटित करने का हुआ खेल
कम गुणांक वाले को प्रथम वरीयता का जिला और अधिक वाले को दूसरी वरीयता का जिला आवंटित करने का हुआ खेल
सेटिंग के इस खेल के खिलाफ इलाहाबाद उच्च न्यायालय में याचिका दायर
सरकार और बेसिक शिक्षा परिषद उत्तर प्रदेश से तीन सप्ताह में कोर्ट ने मांगा जबाब
कम गुणांक के बाद भी प्रथम वरीयता का जिला पाने वालों को भी बनाया गया है पक्षकार
अमित कुमार की रिपोर्ट
इलाहाबाद 7 अक्टूबर 2018 ।। 68500 सहायक अध्यापक भर्ती में कम गुणांक वाले अभ्यर्थियों को उनकी वरीयता वाले जिलों में नियुक्ति देने और अधिक गुणांक वालों को नजरअंदाज करने के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की गई है। कोर्ट ने इस मामले में प्रदेश सरकार और सचिव बेसिक शिक्षा परिषद से तीन सप्ताह में जवाब मांगा है। नेहा त्रिपाठी और अन्य की याचिकाओं पर न्यायमूर्ति डीके सिंह सुनवाई कर रहे हैं।
याचीगण के अधिवक्ता सीमांत सिंह का कहना था कि शिक्षक पात्रता परीक्षा में चयनित अभ्यर्थियों की नियुक्ति के लिए सचिव बेसिक शिक्षा परिषद ने 18 अगस्त 2018 को विज्ञप्ति जारी कर सभी 75 जिलों में वरीयता की मांगी थी। सभी उत्तीर्ण अभ्यर्थियों से एक से 75 तक वरीयता क्रम देने के लिए कहा गया। इसके बाद सचिव ने एक परिपत्र जारी कर कहा कि वरीयता वाले जिलों में नियुक्ति के लिए अभ्यर्थी को गुणांक के आधार पर वरीयता दी जाएगी। अर्थात जिस जिले की मेरिट में उसका अधिकतम गुणांक होगा उसी जिले में नियुक्ति दी जाएगी।
याचीगण का कहना था कि उन्होंने अपने निवास वाले मूल जिले को प्रथम वरीयता में रखा था। उनका गुणंाक भी काफी ज्यादा था मगर काउंसलिंग के बाद पता चला कि उनसे कम गुणांक वाले अभ्यर्थियों को उनके प्रथम वरीयता वाले जिले में नियुक्ति दे दी गई तथा उनको बाद की वरीयता वाले जिले में नियुक्ति दी गई। याचिका में कम गुणांक पर नियुक्ति पाए अभ्यर्थियों को भी पक्षकार बनाया गया है। कोर्ट ने प्रदेश सरकार और सचिव बेसिक शिक्षा परिषद को इस मामले में चार सप्ताह में जवाब दाखिल करने को कहा है। प्राइवेट पक्षकारों को भी अपना पक्ष रखने के लिए नोटिस जारी किया है।
सेटिंग के इस खेल के खिलाफ इलाहाबाद उच्च न्यायालय में याचिका दायर
सरकार और बेसिक शिक्षा परिषद उत्तर प्रदेश से तीन सप्ताह में कोर्ट ने मांगा जबाब
कम गुणांक के बाद भी प्रथम वरीयता का जिला पाने वालों को भी बनाया गया है पक्षकार
अमित कुमार की रिपोर्ट
इलाहाबाद 7 अक्टूबर 2018 ।। 68500 सहायक अध्यापक भर्ती में कम गुणांक वाले अभ्यर्थियों को उनकी वरीयता वाले जिलों में नियुक्ति देने और अधिक गुणांक वालों को नजरअंदाज करने के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की गई है। कोर्ट ने इस मामले में प्रदेश सरकार और सचिव बेसिक शिक्षा परिषद से तीन सप्ताह में जवाब मांगा है। नेहा त्रिपाठी और अन्य की याचिकाओं पर न्यायमूर्ति डीके सिंह सुनवाई कर रहे हैं।
याचीगण के अधिवक्ता सीमांत सिंह का कहना था कि शिक्षक पात्रता परीक्षा में चयनित अभ्यर्थियों की नियुक्ति के लिए सचिव बेसिक शिक्षा परिषद ने 18 अगस्त 2018 को विज्ञप्ति जारी कर सभी 75 जिलों में वरीयता की मांगी थी। सभी उत्तीर्ण अभ्यर्थियों से एक से 75 तक वरीयता क्रम देने के लिए कहा गया। इसके बाद सचिव ने एक परिपत्र जारी कर कहा कि वरीयता वाले जिलों में नियुक्ति के लिए अभ्यर्थी को गुणांक के आधार पर वरीयता दी जाएगी। अर्थात जिस जिले की मेरिट में उसका अधिकतम गुणांक होगा उसी जिले में नियुक्ति दी जाएगी।
याचीगण का कहना था कि उन्होंने अपने निवास वाले मूल जिले को प्रथम वरीयता में रखा था। उनका गुणंाक भी काफी ज्यादा था मगर काउंसलिंग के बाद पता चला कि उनसे कम गुणांक वाले अभ्यर्थियों को उनके प्रथम वरीयता वाले जिले में नियुक्ति दे दी गई तथा उनको बाद की वरीयता वाले जिले में नियुक्ति दी गई। याचिका में कम गुणांक पर नियुक्ति पाए अभ्यर्थियों को भी पक्षकार बनाया गया है। कोर्ट ने प्रदेश सरकार और सचिव बेसिक शिक्षा परिषद को इस मामले में चार सप्ताह में जवाब दाखिल करने को कहा है। प्राइवेट पक्षकारों को भी अपना पक्ष रखने के लिए नोटिस जारी किया है।