बलिया : शिक्षा, शिक्षक, शिक्षार्थी, शिक्षालय एवं अभिभावक अन्तर्सम्बन्ध पर गोष्ठी सम्पन्न
शिक्षा, शिक्षक, शिक्षार्थी, शिक्षालय एवं अभिभावक अन्तर्सम्बन्ध पर गोष्ठी सम्पन्न
डॉ सुनील कुमार ओझा की रिपोर्ट
बांसडीह बलिया 13 अक्टूबर 2018 ।।
"आर्यन सेन्ट्रल एकेडेमी" एवं " श्री गणेशा क्लासेज" के तत्वाधान में आर्यन सेन्ट्रल एकेडेमी बांसडीह में " शिक्षा, शिक्षक, शिक्षार्थी, शिक्षालय एवं अभिभावक अन्तर्संबंध" नामक विषय पर एक विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया, जिसकी अध्यक्षता अवकाश प्राप्त एवं राष्ट्रपति पुरस्कार प्राप्त शिक्षक
रामराज तिवारी ने किया। गोष्ठी की सबसे बड़ी विशेषता यह रही कि इस गोष्ठी में अमेरिका से पधारे पर्यावरणविद् प्रो० जाँन माईक वालेस, शिक्षाविद् सुसेन वालेस एवं भाषाविद् पेगी मारिसन ने भी अपनी सहभागिता सुनिश्चित की एवं अपने विचार प्रस्तुत किए।
बतौर मुख्य अतिथि गोष्ठी को प्रो० जाँँन माईक वालेस ने अंग्रेजी में प्रस्तुत किया, जिसका तात्पर्य यह था कि विद्यालय का वातावरण ऐसा होना चाहिए कि वहां शिक्षार्थी को घुटन महसूस न हो । इसलिए विद्यालय स्वच्छ एवं सुरम्य प्राकृतिक परिवेश में होना चाहिए और उसमें ऐसी सुविधाएं होनी चाहिए कि शिक्षार्थी का पूर्णतः शारीरिक एवं मानसिक विकास होना चाहिए। शिक्षाविद् सुसेन वालेस ने कहा कि बच्चों को शिक्षा स्वतंत्र वातावरण में होनी चाहिए। उनके ऊपर किसी प्रकार का दबाव नहीं होना चाहिए एवं उनके समग्र विकास को ध्यान में रखते हुए तद्नुसार शिक्षा की व्यवस्था करनी चाहिए। भाषाविद् पैगी मारिसन ने कहा कि प्रारम्भ से ही बच्चों की भाषा पर ध्यान देना चाहिए अन्यथा वे भाषा में सदैव के लिए कमजोर हो जाते हैं।
गोष्ठी को संबोधित करते हुए श्री गणेशा क्लासेज के निदेशक अभिनव पाठक ने कहा कि वर्तमान परम्परागत शिक्षा पद्धति से बच्चों का सर्वांगीण विकास नहीं हो पा रहा है। आज की शिक्षा व्यवस्था ऐसी होनी चाहिए कि शिक्षार्थी में संस्कार भी उत्पन्न हो और शिक्षार्थी को रोजगारपरक वैज्ञानिकता से ओत- प्रोत शिक्षा प्राप्त हो जिससे वह कहीं भी अपना स्थान सुरक्षित रख सके। आर्यन सेन्ट्रल एकेडेमी इसी तरह की शिक्षा देने का प्रयास कर रहा है, जहां प्रारम्भ से ही कम्प्यूटर की भी शिक्षा प्रदान की जाती है और खेल खेल के माध्यम से भी शिक्षा प्रदान की जाती है।
आर्यन सेन्ट्रल एकेडेमी के प्रबन्ध निदेशक पंकज तिवारी ने कहा कि हम ऐसी शिक्षा देने का प्रयास कर रहे हैं,जिसमें शिक्षा, शिक्षक, शिक्षार्थी,शिक्षालय एवं अभिवावक सभी का समन्वय स्थापित हो और शिक्षार्थी का समग्र विकास हो।
अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में श्री रामराज तिवारी ने कहा कि अभिभावक ही अपने बच्चे का पहला शिक्षक होता है और परिवार पहली पाठशाला। यहां निकलकर जब शिक्षार्थी विद्यालय में आता है तो उसे शिक्षालय रूपी एक नया परिवेश मिलता है, जिसमें शिक्षक अपनी शिक्षा द्वारा बच्चे को एक नये ढांचे में गढ़ना प्रारम्भ करता है ताकि उसका समग्र विकास हो सके।
गोष्ठी में आए अभिभावकों ने आर्यन सेन्ट्रल एकेडेमी की शिक्षा व्यवस्था पर संतोष व्यक्त करते हुए इसे इस क्षेत्र में शिक्षा के उन्नयन हेतु मील का पत्थर माना।इस अवसर पर अभिभावकों सहित क्षेत्र के गणमान्य लोग तथा सेन्ट्रल आर्यन एकेडेमी के शिक्षक एवं कर्मचारी गण उपस्थित रहे।
डॉ सुनील कुमार ओझा की रिपोर्ट
बांसडीह बलिया 13 अक्टूबर 2018 ।।
"आर्यन सेन्ट्रल एकेडेमी" एवं " श्री गणेशा क्लासेज" के तत्वाधान में आर्यन सेन्ट्रल एकेडेमी बांसडीह में " शिक्षा, शिक्षक, शिक्षार्थी, शिक्षालय एवं अभिभावक अन्तर्संबंध" नामक विषय पर एक विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया, जिसकी अध्यक्षता अवकाश प्राप्त एवं राष्ट्रपति पुरस्कार प्राप्त शिक्षक
रामराज तिवारी ने किया। गोष्ठी की सबसे बड़ी विशेषता यह रही कि इस गोष्ठी में अमेरिका से पधारे पर्यावरणविद् प्रो० जाँन माईक वालेस, शिक्षाविद् सुसेन वालेस एवं भाषाविद् पेगी मारिसन ने भी अपनी सहभागिता सुनिश्चित की एवं अपने विचार प्रस्तुत किए।
बतौर मुख्य अतिथि गोष्ठी को प्रो० जाँँन माईक वालेस ने अंग्रेजी में प्रस्तुत किया, जिसका तात्पर्य यह था कि विद्यालय का वातावरण ऐसा होना चाहिए कि वहां शिक्षार्थी को घुटन महसूस न हो । इसलिए विद्यालय स्वच्छ एवं सुरम्य प्राकृतिक परिवेश में होना चाहिए और उसमें ऐसी सुविधाएं होनी चाहिए कि शिक्षार्थी का पूर्णतः शारीरिक एवं मानसिक विकास होना चाहिए। शिक्षाविद् सुसेन वालेस ने कहा कि बच्चों को शिक्षा स्वतंत्र वातावरण में होनी चाहिए। उनके ऊपर किसी प्रकार का दबाव नहीं होना चाहिए एवं उनके समग्र विकास को ध्यान में रखते हुए तद्नुसार शिक्षा की व्यवस्था करनी चाहिए। भाषाविद् पैगी मारिसन ने कहा कि प्रारम्भ से ही बच्चों की भाषा पर ध्यान देना चाहिए अन्यथा वे भाषा में सदैव के लिए कमजोर हो जाते हैं।
गोष्ठी को संबोधित करते हुए श्री गणेशा क्लासेज के निदेशक अभिनव पाठक ने कहा कि वर्तमान परम्परागत शिक्षा पद्धति से बच्चों का सर्वांगीण विकास नहीं हो पा रहा है। आज की शिक्षा व्यवस्था ऐसी होनी चाहिए कि शिक्षार्थी में संस्कार भी उत्पन्न हो और शिक्षार्थी को रोजगारपरक वैज्ञानिकता से ओत- प्रोत शिक्षा प्राप्त हो जिससे वह कहीं भी अपना स्थान सुरक्षित रख सके। आर्यन सेन्ट्रल एकेडेमी इसी तरह की शिक्षा देने का प्रयास कर रहा है, जहां प्रारम्भ से ही कम्प्यूटर की भी शिक्षा प्रदान की जाती है और खेल खेल के माध्यम से भी शिक्षा प्रदान की जाती है।
आर्यन सेन्ट्रल एकेडेमी के प्रबन्ध निदेशक पंकज तिवारी ने कहा कि हम ऐसी शिक्षा देने का प्रयास कर रहे हैं,जिसमें शिक्षा, शिक्षक, शिक्षार्थी,शिक्षालय एवं अभिवावक सभी का समन्वय स्थापित हो और शिक्षार्थी का समग्र विकास हो।
अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में श्री रामराज तिवारी ने कहा कि अभिभावक ही अपने बच्चे का पहला शिक्षक होता है और परिवार पहली पाठशाला। यहां निकलकर जब शिक्षार्थी विद्यालय में आता है तो उसे शिक्षालय रूपी एक नया परिवेश मिलता है, जिसमें शिक्षक अपनी शिक्षा द्वारा बच्चे को एक नये ढांचे में गढ़ना प्रारम्भ करता है ताकि उसका समग्र विकास हो सके।
गोष्ठी में आए अभिभावकों ने आर्यन सेन्ट्रल एकेडेमी की शिक्षा व्यवस्था पर संतोष व्यक्त करते हुए इसे इस क्षेत्र में शिक्षा के उन्नयन हेतु मील का पत्थर माना।इस अवसर पर अभिभावकों सहित क्षेत्र के गणमान्य लोग तथा सेन्ट्रल आर्यन एकेडेमी के शिक्षक एवं कर्मचारी गण उपस्थित रहे।