लखनऊ : पुलिस वाले को दीवाली गिफ्ट में मिल सकता है साइकिल की जगह मोटरसाइकिल भत्ता और बार्डर पोस्टिंग में ढील !
पुलिस वाले को दीवाली गिफ्ट में मिल सकता है साइकिल की जगह मोटरसाइकिल भत्ता और बार्डर पोस्टिंग में ढील !
अमित कुमार की रिपोर्ट
लखनऊ 19 अक्टूबर 2018 ।।
सूत्रों के अनुसार 21 अक्टूबर को यूपी सरकार की तरफ से पुलिसवालों को दिवाली के दो बड़े तोहफे मिल सकते हैं। सिपाहियों को मोटरसाइकिल भत्ता और पोस्टिंग में बार्डर नियम में ढील। शायद ही कोई सिपाही ऐसा होगा जो साइकिल से चलता हो लेकिन आज भी उसे हर महीने साइकिल भत्ता के नाम पर 100 रुपया मिलता है। शासन इसे लेकर बड़ी पहल करने जा रहा है। कांस्टेबलों को अब साइकिल भत्ता की जगह मोटरसाइकिल भत्ता दिया जा सकता है। भत्ते की रकम क्या होगी, अभी यह तय नहीं है।
जिन कांस्टेबलों ने नौकरी के 15 साल पूरे कर लिए हैं उन्हें उनके गृह जिले से सटे जिले में तैनाती का भी तोहफा मिल सकता है। पोस्टिंग में बार्डर की व्यवस्था खत्म करने का भी फैसला हो सकता है। वेतन विसंगितयों के बारे में भी अफसरों ने चर्चा की है लेकिन अभी इस पर कोई निर्णय नहीं हो पाया है। दरअसल पुलिस विभाग की तीन प्रमुख मांग रही है। इनमें दो को सरकार कुछ शर्तों के साथ मान सकती है। मोटरसाइकिल भत्ता की मांग तो सभी को जायज लग रही है। लिहाजा इस पर फैसला करीब-करीब तय हैं गोरखपुर दौरे पर सीएम ने इस पर संकेत भी दे दिया है।
वहीं दूसरी सबसे बड़ी मांग बार्डर पोस्टिंग को लेकर बनाए गए नियम को खत्म करने की है। दरअसल मायावती सरकार के समय बार्डर पोस्टिंग की व्यवस्था लागू की गई थी। इसमें एक लाख से ज्यादा पुलिसकर्मी प्रभावित हुए थे। उसका काफी विरोध भी हुआ था। सपा सरकार ने इसे खत्म करने का चुनावी मुद्दा बनाया था जिसमें उसे फायदा भी हुआ था लेकिन यह व्यवस्था खत्म नहीं हो पाई थी। योगी सरकार कुछ शर्तों के साथ इसमें ढील दे सकती है।
क्या है बार्डर पोस्टिंग व्यवस्था
पुलिसवाले जिस जिले के रहने वाले होते हैं उस जिले से सटे जितने भी जिलों का बार्डर लगता है । उन जिलों में उनकी पोस्टिंग नहीं होती है। उदाहरण के लिए अगर पुलिसकर्मी गोरखपुर जिले का रहने वाला है तो गोरखपुर के अलावा देवरिया, कुशीनगर, महराजगंज, संतकबीरनगर, मऊ आदि जिलों में उसकी पोस्टिंग नहीं हो सकती है। इसकी बड़ी वजह यह बताई गई थी कि पुलिसवाले गृह जिले से सटे जिले में पोस्टिंग लेने के बाद ड्यूटी के दौरान ही अपने घर चले जाते थे, साथ ही उनकी स्थानीय राजनीत में हस्तक्षेप होती थी और लॉ एण्ड आर्डर में दिक्कत आती थी।
अब यह हो सकती है व्यवस्था
सूत्रों के मुताबिक बार्डर पोस्टिंग की व्यवस्था सरकार पूरी तरह से खत्म न करके इसमें शर्त लगा रही है। इसके तहत जिन पुलिसवालों की नौकरी 15 साल पूरी हो चुकी है उन्हें ही बार्डर पोस्टिंग का छूट दिया जाएगा। यानी वह अपने गृह जिले से सटे जिले में तैनाती ले सकते हैं। बाकी लोगों के लिए पुराना नियम लागू रहेगा। फिलहाल इस फैसला से भी प्रदेश में 50 हजार से ज्यादा पुलिसवालों को लाभ मिलने के अनुमान है।
दोगुना हो जाएगा भत्ता
पुलिस विभाग में पहले घोड़ा भत्ता मिलता था। यह भत्ता सिर्फ इंस्पेक्टर और सब इंस्पेक्टर के लिए हुआ करता था। बाद में उन्हें मोटरसाइकिल भत्ता मिलना शुरू हुआ और सिपाहियों को साइकिल भत्ता। यह व्यवस्था अभी भी लागू है। 100 रुपये के साइकिल भत्ता में ही सिपाही अपनी मोटरसाइकिल चलाते हैं।
पुलिस स्मृति दिवस के दिन होगी घोषणा
21 अक्टूबर को पुलिस स्मृति दिवस मनाया जाता है। इस दिन मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ इसकी घोषणा कर सकते हैं। हालांकि गोरखपुर प्रवास के दौरान उन्होंने मोटरसाइकिल भत्ता देने का संकेत दिया है। पर घोषणा के बाद ही यह तय हो पाएगा कि सिपाहियों को कितनी रकम मिलेगी।
इस बार भी वेतन विसंगतियों पर संशय
पुलिस विभाग में वेतन विसंगतियां भी एक मुद्दा रहा है। जो सिपाही कभी प्राथमिक विद्यालयों के शिक्षक के बराबर वेतन पाते थे, वे आज काफी पीछे हो गए हैं। इस कारण यह है कि किसी भी वेतन आयोग द्वारा अराजपत्रित श्रेणी के पुलिस कर्मियों का वेतनमान उनके कार्य के अनुसार उच्चीकृत किए जाने की संस्तुति नहीं की गई। समय-समय पर अन्य सरकारी कर्मचारियों का वेतनमान उच्चीकृत किया जाता रहा, जबकि पुलिस कर्मियों का वेतनमान लंबे समय से एक ही स्तर पर बना हुआ है। पूर्व में सिपाही (कांस्टेबल) और प्राथमिक शिक्षक का वेतन समान था लेकिन समय-समय पर विभिन्न वेतन आयोगों द्वारा शिक्षकों का वेतन बढ़ाया जाता रहा। इस विसंगतियों को दूर करने की कई बार मांग उठी। इस पर भी चर्चा हुई है हालांकि यह संभव नहीं लग रहा है।
अमित कुमार की रिपोर्ट
लखनऊ 19 अक्टूबर 2018 ।।
सूत्रों के अनुसार 21 अक्टूबर को यूपी सरकार की तरफ से पुलिसवालों को दिवाली के दो बड़े तोहफे मिल सकते हैं। सिपाहियों को मोटरसाइकिल भत्ता और पोस्टिंग में बार्डर नियम में ढील। शायद ही कोई सिपाही ऐसा होगा जो साइकिल से चलता हो लेकिन आज भी उसे हर महीने साइकिल भत्ता के नाम पर 100 रुपया मिलता है। शासन इसे लेकर बड़ी पहल करने जा रहा है। कांस्टेबलों को अब साइकिल भत्ता की जगह मोटरसाइकिल भत्ता दिया जा सकता है। भत्ते की रकम क्या होगी, अभी यह तय नहीं है।
जिन कांस्टेबलों ने नौकरी के 15 साल पूरे कर लिए हैं उन्हें उनके गृह जिले से सटे जिले में तैनाती का भी तोहफा मिल सकता है। पोस्टिंग में बार्डर की व्यवस्था खत्म करने का भी फैसला हो सकता है। वेतन विसंगितयों के बारे में भी अफसरों ने चर्चा की है लेकिन अभी इस पर कोई निर्णय नहीं हो पाया है। दरअसल पुलिस विभाग की तीन प्रमुख मांग रही है। इनमें दो को सरकार कुछ शर्तों के साथ मान सकती है। मोटरसाइकिल भत्ता की मांग तो सभी को जायज लग रही है। लिहाजा इस पर फैसला करीब-करीब तय हैं गोरखपुर दौरे पर सीएम ने इस पर संकेत भी दे दिया है।
वहीं दूसरी सबसे बड़ी मांग बार्डर पोस्टिंग को लेकर बनाए गए नियम को खत्म करने की है। दरअसल मायावती सरकार के समय बार्डर पोस्टिंग की व्यवस्था लागू की गई थी। इसमें एक लाख से ज्यादा पुलिसकर्मी प्रभावित हुए थे। उसका काफी विरोध भी हुआ था। सपा सरकार ने इसे खत्म करने का चुनावी मुद्दा बनाया था जिसमें उसे फायदा भी हुआ था लेकिन यह व्यवस्था खत्म नहीं हो पाई थी। योगी सरकार कुछ शर्तों के साथ इसमें ढील दे सकती है।
क्या है बार्डर पोस्टिंग व्यवस्था
पुलिसवाले जिस जिले के रहने वाले होते हैं उस जिले से सटे जितने भी जिलों का बार्डर लगता है । उन जिलों में उनकी पोस्टिंग नहीं होती है। उदाहरण के लिए अगर पुलिसकर्मी गोरखपुर जिले का रहने वाला है तो गोरखपुर के अलावा देवरिया, कुशीनगर, महराजगंज, संतकबीरनगर, मऊ आदि जिलों में उसकी पोस्टिंग नहीं हो सकती है। इसकी बड़ी वजह यह बताई गई थी कि पुलिसवाले गृह जिले से सटे जिले में पोस्टिंग लेने के बाद ड्यूटी के दौरान ही अपने घर चले जाते थे, साथ ही उनकी स्थानीय राजनीत में हस्तक्षेप होती थी और लॉ एण्ड आर्डर में दिक्कत आती थी।
अब यह हो सकती है व्यवस्था
सूत्रों के मुताबिक बार्डर पोस्टिंग की व्यवस्था सरकार पूरी तरह से खत्म न करके इसमें शर्त लगा रही है। इसके तहत जिन पुलिसवालों की नौकरी 15 साल पूरी हो चुकी है उन्हें ही बार्डर पोस्टिंग का छूट दिया जाएगा। यानी वह अपने गृह जिले से सटे जिले में तैनाती ले सकते हैं। बाकी लोगों के लिए पुराना नियम लागू रहेगा। फिलहाल इस फैसला से भी प्रदेश में 50 हजार से ज्यादा पुलिसवालों को लाभ मिलने के अनुमान है।
दोगुना हो जाएगा भत्ता
पुलिस विभाग में पहले घोड़ा भत्ता मिलता था। यह भत्ता सिर्फ इंस्पेक्टर और सब इंस्पेक्टर के लिए हुआ करता था। बाद में उन्हें मोटरसाइकिल भत्ता मिलना शुरू हुआ और सिपाहियों को साइकिल भत्ता। यह व्यवस्था अभी भी लागू है। 100 रुपये के साइकिल भत्ता में ही सिपाही अपनी मोटरसाइकिल चलाते हैं।
पुलिस स्मृति दिवस के दिन होगी घोषणा
21 अक्टूबर को पुलिस स्मृति दिवस मनाया जाता है। इस दिन मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ इसकी घोषणा कर सकते हैं। हालांकि गोरखपुर प्रवास के दौरान उन्होंने मोटरसाइकिल भत्ता देने का संकेत दिया है। पर घोषणा के बाद ही यह तय हो पाएगा कि सिपाहियों को कितनी रकम मिलेगी।
इस बार भी वेतन विसंगतियों पर संशय
पुलिस विभाग में वेतन विसंगतियां भी एक मुद्दा रहा है। जो सिपाही कभी प्राथमिक विद्यालयों के शिक्षक के बराबर वेतन पाते थे, वे आज काफी पीछे हो गए हैं। इस कारण यह है कि किसी भी वेतन आयोग द्वारा अराजपत्रित श्रेणी के पुलिस कर्मियों का वेतनमान उनके कार्य के अनुसार उच्चीकृत किए जाने की संस्तुति नहीं की गई। समय-समय पर अन्य सरकारी कर्मचारियों का वेतनमान उच्चीकृत किया जाता रहा, जबकि पुलिस कर्मियों का वेतनमान लंबे समय से एक ही स्तर पर बना हुआ है। पूर्व में सिपाही (कांस्टेबल) और प्राथमिक शिक्षक का वेतन समान था लेकिन समय-समय पर विभिन्न वेतन आयोगों द्वारा शिक्षकों का वेतन बढ़ाया जाता रहा। इस विसंगतियों को दूर करने की कई बार मांग उठी। इस पर भी चर्चा हुई है हालांकि यह संभव नहीं लग रहा है।