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J&K: स्कूलों से 'भगवद् गीता' वापस, लेखक के बेटे ने पूछा- ऐसा क्‍यों किया

J&K: स्कूलों से 'भगवद् गीता' वापस, लेखक के बेटे ने पूछा- ऐसा क्‍यों किया


23 अक्टूबर 2018 ।।

निरंजन

जम्मू-कश्मीर सरकार ने उस विवादित सर्कुलर को वापस ले लिया है, जिसमें शिक्षा विभाग से राज्य के स्कूलों और अन्य शैक्षणिक संस्थानों में 'भगवद् गीता' और 'कोशुर रामायण' का उर्दू संस्करण उपलब्ध कराने को कहा गया था. इस संबंध में एक अधिकारी ने मंगलवार को कहा, 'मुख्य सचिव के आदेश के तहत कुछ धार्मिक पुस्तकों को शामिल किए जाने के संबंध में सर्कुलर को वापस ले लिया गया है.'।
यह किताबें कवि सर्वानंद कौल 'प्रेमी' ने लिखी थी. उनके बेटे राजेंद्र प्रेमी ने सर्कुलर वापस लेने पर नाराजगी जताई. उन्‍होंने एक निजी चैनल को बताया, 'मेरे पिताजी ने बहुत मेहनत की थी. उन्‍हें उर्दू में अनुवाद करने में लगभग 50 साल लग गए थे. 1990 में मेरे पिताजी शहीद हो गए थे. वह एक फ्रीडम फाइटर, कवि और साहित्यकार थे. उन्होंने बहुत से किताब लिखी है. पूरी जिंदगी कश्मीरियत, इंसानियत, और मानव सेवा में जिंदगी गुजार दी. उनके मरणोपरांत पुस्तक को प्रकाशित किया गया. इसके लिए मुझे और मेरे परिवार को काफी मेहनत करना पड़ा.'

उन्‍होंने पूछा, 'किस आधार पर 24 घण्टे के अंदर ही रामायण और भगवद्गीता पुस्तक पर रोक लगा दी गई. राज्य के कॉलेज, स्कूल और पब्लिक पुस्तकालय के लिए ये दोनों पुस्तक को रखने के लिए एक नोटिस जारी किया गया था. उस पर अब तत्काल रोक लगा दी गई है. मैं चाहता हूं कि इस मामले पर सरकार को एक बार फिर सोचना चाहिए कि क्यों रोक लगाई है.'
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शिक्षा विभाग से राज्य के स्कूलों और अन्य शैक्षणिक संस्थानों में 'भगवद् गीता' और 'कोशुर रामायण' का उर्दू संस्करण उपलब्ध कराने को कहा गया था.


फारूक अब्दुल्ला ने दिल्ली में पुस्तक का विमोचन किया था. उनके बेटे उमर अब्दुल्ला ने कहा था कि प्रेमी साहब के मारे जाने से एक इंसानियत को मार दिया गया. ये बातें फारूक अब्दुल्ला और उमर अब्दुल्ला ने कही थी. अफसोस की बात है कि उन्‍हीं उमर अब्दुल्ला ने पुस्तक के बारे में ट्वीट किया है कि इससे पूरी कश्मीरियत की आत्मा को ठेस पहुंची है.'।
(साभार न्यूज18)