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बलिया : सौहार्द्र के त्यौहार होली के दिन प्रकृति का भी सौहार्द्र , दिन और रात की अवधि होगी बराबर- डा० गणेश

सौहार्द्र के त्यौहार होली के दिन प्रकृति का भी सौहार्द्र ,
दिन और रात की अवधि होगी बराबर- डा० गणेश
डॉ सुनील ओझा

बलिया 20 मार्च 2019 ।।
     इस वर्ष होली का त्यौहार कई मामलों में खास है। एक तरफ जहाँ इस वर्ष की होली का त्यौहार  ज्योतिषीय दृष्टि से खास महत्व रखता है, वहीं दूसरी तरफ खगोलीय एवं भोगोलिक दृष्टि से भी होली का दिन इस वर्ष खास है।

        हम जानते हैं कि पृथ्वी अपनी वार्षिक गति के अनुसार एक वर्ष में सूर्य की परिक्रमा पूरी करती है, जब कि पृथ्वी के दैनिक गति के कारण दिन एवं रात होते हैं। पृथ्वी की इन दैनिक गतियों के कारण ही पृथ्वी पर सूर्य तापमान के वितरण में भिन्नता देखने को मिलती है। सूर्यातप के वितरण में भिन्नता के कारण ही वायमण्डल के ऊपरी सतह पर सर्वत्र तापमान एक समान नहीं रहता है। ऐसी स्थिति मेंदो अवस्थाएँ बनती हैं- एक विषुव (Equinox - समरात्रि) एवं दूसरा अयनान्त( Solstic - असमरात्रि)। समरात्रि की स्थिति वर्ष में दो बार आती है- एक 23 सितम्बर को एवं दूसरा 21 मार्च को। इन दोनों तिथियों को दिन एवं रात की अवधि बराबर होती है। अर्थात इन तिथियों को 12 घण्टे का दिन एवं 12 घण्टे की रात होती है। इसका मुख्य कारण है कि इन तिथियों को भूमध्यरेखा पर सूर्य की किरणें मध्यान में लम्बवत पड़ती हैं। चूँकि भूमध्यरेखा गोलार्द्ध को दो बराबर भागों में बाँटती है, इस लिए उतरी गोलार्द्ध एवं दक्षिणी गोलार्द्ध में भी दिन एवं रात की अवधि बराबर होती है। इस वर्ष यह सुखद संयोग होली के दिन ही पड़ा है, क्योंकि होली 21 मार्च को मनाई जा रही है। इस तरह इस वर्ष प्रकृति भी होली सम भाव एवं सौहार्द्रपूर्ण वातावरण में मनाने में हमारा सहयोग कर रही है।

     इस सौहार्द्र एवं उल्लास के त्यौहार पर मेरी तरफ से सभी इष्ट - मित्रों को बधाई एवं हार्दिक शुभकामनाएं।