बलिया में प्राथमिक शिक्षा का हाल बेहाल ,मासूम धोते है वर्तन ,एमडीएम में घोटाले का प्रधान ने लगाया आरोप , प्राथमिक विद्यालय इसारी का है मामला
बलिया में प्राथमिक शिक्षा का हाल बेहाल ,मासूम धोते है वर्तन ,एमडीएम में घोटाले का प्रधान ने लगाया आरोप , प्राथमिक विद्यालय इसारी का है मामला
सुरेंद्र प्रसाद की रिपोर्ट
बलिया 10 मार्च 2019 ।। जैसे एक फ़िल्म का गाना लोगो की जुबान पर चढ़ा था कि " दिल है कि मानता नही " वैसे ही उसी तर्ज पर ,जब बलिया के ही बेसिक शिक्षा मंत्री रामगोविंद चौधरी थे तब से लेकर आज की तारीख में योगी सरकार में भी बलिया के प्राथमिक शिक्षक है कि अपनी हरकतों से बाज आ ही नही रहे है । कभी प्राथमिक विद्यालय में पढ़ाई के समय डीजे के साथ अश्लील डांस की इजाजत दे देते है , तो कभी प्रधानाध्यापिका बिना शिक्षामित्र की नियुक्ति के ही वर्षो शिक्षामित्र का मानदेय डकारती रहती है । अब ताजा मामला है जिसमे मासूम बच्चों से वर्तन धुलवाया जाता है । यही नही लगभग 70 बच्चों का रजिस्ट्रेशन होने के वावजूद परीक्षा में दस बच्चे भी नही मिलते है , प्रधानाध्यापक विद्यालय से गायब मिलते है । वही ग्राम प्रधान इस विद्यालय में वित्तीय अनियमितता का आरोप लगाते हुए जिले के आला अधिकारियों को भी शिकायत करने के वावजूद कार्यवाई न करने के कारण कटघरे में खड़ा कर रहे है ।
बता दे यह वाक्या है प्राथमिक विद्यालय इसारी शिक्षा क्षेत्र चिलकहर बलिया का । जब इस विद्यालय पर मीडिया कर्मियों की टीम पहुंची तो अपने कक्ष में आलीशान कुर्सी पर बैठने वाले प्रधानाध्यापक अच्छेलाल जी गायब मिलते है ।
वही लगभग 70 बच्चों के रजिस्ट्रेशन वाले इस विद्यालय में बमुश्किल 10 बच्चे परीक्षा देते हुए मिले । वही मासूम वर्तन धूल रहे थे । अब यही बात समझ मे नही आ रही है कि 70 बच्चों में से मात्र 10 ही क्यो परीक्षा दे रहे है ? क्या शेष बच्चे कागजी कोरम वाले है क्या ? उपस्थित शिक्षामित्र ने भी माना कि अधिकतम 20 से 25 बच्चे ही पढ़ने आते है । फिर सवाल यह खड़ा होता है कि एक प्रधानाध्यापक एक सहायक अध्यापक और एक शिक्षामित्र के रहते हुए ऐसी हालत क्यो है ? क्या प्रधानाध्यापक की जिम्मेदारी नही है कि अगर बच्चों की संख्या कम होती जा रही है तो उनके अभिभावकों के पास जाकर कारण पता करते और अगर समस्या का समाधान नही कर पाते तो उच्चाधिकारियों को सूचित करते ? लेकिन ऐसा कुछ भी नही होने से ग्राम प्रधान दीनानाथ राम की बातों में दम दिखता है कि यहां जमकर भ्रष्टाचार हो रहा है । एमडीएम का खाता एकल रूप से संचालित होने से प्रधानाध्यापक पर कोई दबाव नही है । ऐसी संभावना से इनकार नही किया जा सकता है कि एमडीएम मील में जमकर भ्रष्टाचार हो रहा हो ।
ग्राम प्रधान दीनानाथ राम की माने तो तहसील दिवस से लेकर जिलाधिकारी बलिया तक इस विद्यालय में हो रहे भ्रष्टाचार की शिकायत करने के बाद आजतक कोई भी कार्यवाई नही हुई । उल्टे बीआरसी ने साफ कह दिया है कि आप शिकायत करते रहिये हम जबाव देते रहेंगे , इस बात को साबित करने के लिये काफी है कि इस विद्यालय में व्याप्त भ्रष्टाचार की जड़ ऊपर तक जुड़ी हुई है ।
इस संबंध में जब बेसिक शिक्षा अधिकारी से मोबाइल पर सम्पर्क किया गया तो उनके द्वारा बताया गया कि इस प्रकरण की जांच के लिये खण्ड शिक्षा अधिकारी चिलकहर को आदेशित कर रहा हूँ । जांच के बाद निश्चित कार्यवाई की जाएगी ।
इस पूरे घटनाक्रम को वीडियो में स्वयं देखिये और विचार कीजिये कहां जा रही है यूपी की बेसिक शिक्षा ?
सुरेंद्र प्रसाद की रिपोर्ट
बलिया 10 मार्च 2019 ।। जैसे एक फ़िल्म का गाना लोगो की जुबान पर चढ़ा था कि " दिल है कि मानता नही " वैसे ही उसी तर्ज पर ,जब बलिया के ही बेसिक शिक्षा मंत्री रामगोविंद चौधरी थे तब से लेकर आज की तारीख में योगी सरकार में भी बलिया के प्राथमिक शिक्षक है कि अपनी हरकतों से बाज आ ही नही रहे है । कभी प्राथमिक विद्यालय में पढ़ाई के समय डीजे के साथ अश्लील डांस की इजाजत दे देते है , तो कभी प्रधानाध्यापिका बिना शिक्षामित्र की नियुक्ति के ही वर्षो शिक्षामित्र का मानदेय डकारती रहती है । अब ताजा मामला है जिसमे मासूम बच्चों से वर्तन धुलवाया जाता है । यही नही लगभग 70 बच्चों का रजिस्ट्रेशन होने के वावजूद परीक्षा में दस बच्चे भी नही मिलते है , प्रधानाध्यापक विद्यालय से गायब मिलते है । वही ग्राम प्रधान इस विद्यालय में वित्तीय अनियमितता का आरोप लगाते हुए जिले के आला अधिकारियों को भी शिकायत करने के वावजूद कार्यवाई न करने के कारण कटघरे में खड़ा कर रहे है ।
बता दे यह वाक्या है प्राथमिक विद्यालय इसारी शिक्षा क्षेत्र चिलकहर बलिया का । जब इस विद्यालय पर मीडिया कर्मियों की टीम पहुंची तो अपने कक्ष में आलीशान कुर्सी पर बैठने वाले प्रधानाध्यापक अच्छेलाल जी गायब मिलते है ।
वही लगभग 70 बच्चों के रजिस्ट्रेशन वाले इस विद्यालय में बमुश्किल 10 बच्चे परीक्षा देते हुए मिले । वही मासूम वर्तन धूल रहे थे । अब यही बात समझ मे नही आ रही है कि 70 बच्चों में से मात्र 10 ही क्यो परीक्षा दे रहे है ? क्या शेष बच्चे कागजी कोरम वाले है क्या ? उपस्थित शिक्षामित्र ने भी माना कि अधिकतम 20 से 25 बच्चे ही पढ़ने आते है । फिर सवाल यह खड़ा होता है कि एक प्रधानाध्यापक एक सहायक अध्यापक और एक शिक्षामित्र के रहते हुए ऐसी हालत क्यो है ? क्या प्रधानाध्यापक की जिम्मेदारी नही है कि अगर बच्चों की संख्या कम होती जा रही है तो उनके अभिभावकों के पास जाकर कारण पता करते और अगर समस्या का समाधान नही कर पाते तो उच्चाधिकारियों को सूचित करते ? लेकिन ऐसा कुछ भी नही होने से ग्राम प्रधान दीनानाथ राम की बातों में दम दिखता है कि यहां जमकर भ्रष्टाचार हो रहा है । एमडीएम का खाता एकल रूप से संचालित होने से प्रधानाध्यापक पर कोई दबाव नही है । ऐसी संभावना से इनकार नही किया जा सकता है कि एमडीएम मील में जमकर भ्रष्टाचार हो रहा हो ।
ग्राम प्रधान दीनानाथ राम की माने तो तहसील दिवस से लेकर जिलाधिकारी बलिया तक इस विद्यालय में हो रहे भ्रष्टाचार की शिकायत करने के बाद आजतक कोई भी कार्यवाई नही हुई । उल्टे बीआरसी ने साफ कह दिया है कि आप शिकायत करते रहिये हम जबाव देते रहेंगे , इस बात को साबित करने के लिये काफी है कि इस विद्यालय में व्याप्त भ्रष्टाचार की जड़ ऊपर तक जुड़ी हुई है ।
इस संबंध में जब बेसिक शिक्षा अधिकारी से मोबाइल पर सम्पर्क किया गया तो उनके द्वारा बताया गया कि इस प्रकरण की जांच के लिये खण्ड शिक्षा अधिकारी चिलकहर को आदेशित कर रहा हूँ । जांच के बाद निश्चित कार्यवाई की जाएगी ।
इस पूरे घटनाक्रम को वीडियो में स्वयं देखिये और विचार कीजिये कहां जा रही है यूपी की बेसिक शिक्षा ?
ग्राम प्रधान दीनानाथ राम की बाईट -