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बंगाल टिकट बंटवारे के बाद मचा बवाल , उपाध्यक्ष ने दिया इस्तीफा






23 मार्च 2019 ।।

लोक सभा चुनाव को लेकर बंगाल में भारतीय जनता पार्टी (BJP) के नेताओं और कार्यकर्ताओं में सियासी मनमुटाव सामने आने लगा है. टिकट बंटवारे को लेकर राज्य के कई जिलों में बीजेपी नेता बगावत के मूड में आ गए हैं. टिकट नहीं मिलने से नाराज बीजेपी के कुछ इन नेताओं ने धमकी दी है कि वो पार्टी को नुकसान पहुंचाने के लिए NOTA का इस्तेमाल कर सकते हैं.

बीजेपी ने होली के दिन 21 मार्च को अपने उम्मीदवारों की पहली लिस्ट जारी की थी. इसमें 184 प्रत्याशियों का नाम शामिल था. इसके एक दिन बाद ही बंगाल बीजेपी के उपाध्यक्ष राज कमल पाठक ने अपना इस्तीफा दे दिया, क्योंकि उन्हें पार्टी ने लोकसभा चुनाव का टिकट नहीं दिया था.

इस्तीफा देने का कारण बताते हुए पाठक ने कहा, 'मैंने 28 साल तक पार्टी के लिए काम किया, लेकिन एक बार भी चुनाव नहीं लड़ा. साल 2014 में मुझे हुगली सीट से टिकट देने की बात चल रही थी. बाद में पार्टी के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी ने चंदन मित्रा का नाम सुझा दिया और आखिर में मेरा नाम काटकर उन्हें टिकट दे दिया गया. पार्टी में आडवाणी जी के सम्मान के कारण मैंने खुशी-खुशी ये फैसला मान लिया. इसके पहले 2009 में भी उम्मीदवारी के लिए मेरे नाम पर चर्चा चल रही थी. लेकिन, तब पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष सत्यब्रत मुखर्जी ने मुझे चुनाव नहीं लड़ने को कहा, क्योंकि वो खुद चुनाव लड़ने में दिलचस्पी रखते थे. तब भी मैंने पार्टी के लिए त्याग किया.'

राज कमल पाठक आगे बताते हैं, 'दो बार के त्याग के बाद इस बार मुझे टिकट मिलने की पूरी उम्मीद थी. लेकिन, मुझे टिकट नहीं मायूसी मिली. हुगली से लोकेत चटर्जी को टिकट दे दिया गया. मैं इसके बाद बेहद अपमानित महसूस कर रहा था. मैंने पद से इस्तीफा दिया है लेकिन पार्टी नहीं छोड़ने का फैसला लिया है.'

हुगली के अलावा राणाघाट सीट पर भी टिकट बंटवारे को लेकर अंसतोष है. वैसे बीजेपी ने अभी इस सीट के लिए उम्मीदवार का नाम फाइनल नहीं किया है. लेकिन, पार्टी लाइन से इतर जाकर यहां की स्थानीय नेता अर्चना मजूमदार पहले से ही चुनाव प्रचार में जुट गई हैं. मजूमदार के समर्थकों की मांग है कि उन्हें राणाघाट सीट से टिकट मिलना ही चाहिए.

उधर, उत्तर 24 परगना के बाशिरहाट में भी बीजेपी के खिलाफ अंसतोष फैल रहा है. यहां बंगाल बीजेपी के महासचिव सायनतन बासु के खिलाफ पोस्टर लगाए गए हैं और उन्हें वोट नहीं करने की अपील की जा रही है. चौक बाजार में लगे एक पोस्टर में लिखा है, 'हम सायनतन बासु जैसा नेता नहीं चाहते.' कुछ पोस्टर में लिखा है, 'सायनतन बासु के लिए वोट करने से बेहतर तो NOTA का इस्तेमाल करना है.'

इसी तरह बोनोगांव और माल्दा में भी बीजेपी के खिलाफ पोस्टर लगाए गए हैं. यहां वोटर्स किसी बाहरी उम्मीदवार की जगह स्थानीय नेता को ही लोकसभा चुनाव के प्रत्याशी के रूप में देखना चाहते हैं. यहां पोस्टर के जरिए बीजेपी को आगाह करने की कोशिश की गई है कि टिकट बंटवारा करते वक्त वोटर्स की मांगों को नज़रअंदाज न किया जाए ।