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चितबड़ागांव बलिया : शहीद जवानों के शव पर आंसू बहाने वाले राजनेताओ ने एक साल में ही भुलायी शहीद की शहादत, पहली बरसी पर नही पहुंचे नेता न अधिकारी , क्या यही है शहीदों का सम्मान ?



शहीद जवानों के शव पर आंसू बहाने वाले राजनेताओ ने एक साल में ही भुलायी शहीद की शहादत, पहली बरसी पर नही पहुंचे नेता न अधिकारी  , क्या यही है शहीदों का सम्मान ?
मधुसूदन सिंह






बलिया 14 मार्च 2019 ।। शहीदों की चिताओ पर लगेंगे हर बरस मेले , वतन पर मरने वालों का बस यही एक बाकी निशां होगा ... यह गीत न जाने हम लोग कब से सुनते आ रहे है । सुनते ही नही देखते भी आ रहे है कि किसी जवान के शहीद होने पर पूरे देश मे , जवान के जनपद और पैतृक गांव में सहानुभूति और शहादत को सलाम करने के लिये लोगो का हुजूम उमड़ पड़ता है । इसी हुजूम को अपनी राजनैतिक बिरासत में शामिल करने के लिये राजनेता भी घड़ियाली आंसू बहाते हुए पहुंच जाते है ,कुछ लाख का मुआवजा और एक सरकारी नौकरी देने की घोषणा करके अपना वोट बैंक बढ़ाते है और चले जाते है । फिर चुनाव से पहले उस जवान के घर का हालचाल भी नही लेने जाते है और देश की रक्षा में अपनी जान की कुर्बानी देने वाले जवान की आत्मा अपनी पहली बरसी से ही जनाजे को कंधा देने वाले नेताओं की राह देखने लगती है जो चुनाव के पहले पूरी नही होती है । सवाल यह उठता है कि एक नेता की बरसी पर चाहे किसी भी दल के नेता हो आने से परहेज नही होता है और लंबे चौड़े भाषणों के द्वारा उनके आदर्शों पर चलने की बाते होती है , कसमे खाई जाती है तो फिर देश की सुरक्षा में अपनी जान देने वाले शहीदों की बरसी पर ऐसा क्यों नही ? पुलवामा में हुए आतंकी हमले में 40 +4 जवान शहीद होते है पर एक दिन का भी राष्ट्रीय अवकाश नही , जबकि किसी नेता जी के मरने पर तुरंत राष्ट्रीय/प्रांतीय अवकाश उनके कद के आधार पर घोषित होता है आखिर क्यों ? क्या देश की सुरक्षा करने से ज्यादे महत्वपूर्ण राजनीति करना है ?
यह बातें मैं इस लिये कह रहा हूँ कि अभी पिछले साल ही 13 मार्च 2018 को सुकमा में नक्सलियों द्वारा घात लगा कर किये गये हमले में शहीद हुए 13 जवानों की बुधवार को पहली बरसी थी । क्षेत्र के , आसपास , गांव गिरान, हित नात सभी अपने वीर शहीद को श्रद्धांजलि देने पहुंचे थे , अगर कोई नही पहुंचा था तो शहीदों की शहादत पर राजनीति करने वाले बड़े राजनेता(चाहे वो किसी भी दल के हो) । हम बात कर रहे है चितबड़ागांव के शहीद मनोज सिंह की , जिनकी बुधवार को बरसी थी । पिछले साल जिनकी सहादत पर खूब कशीदे गढ़ने के लिये नेताओ की फौज खड़ी थी , आज उनको देखने के लिये क्षेत्रीय लोगो और परिजनों की आंखे तरस गयी । यही नही प्रशासनिक अमले से भी किसी ने पहुंचकर श्रद्धांजलि देना गंवारा नही समझा ।
 खैर स्थानीय लोगो ने बांसडीह (नारायणपुर) के अभी हाल में ही शदीद हुए बृजेन्द्र बहादुर सिंह के पिता अशोक सिंह की अध्यक्षता में एक श्रद्धांजलि सभा आयोजित कर अपने लाल को याद कर उसकी यादों को नमन किये । अपने जाबांज के चित्र पर पिता निर्भय नारायण सिंह , माता जी , पत्नी सुमन सिंह ,नाबालिग पुत्र और शहीद की बहन रंभा सिंह , भाईयो प्रमोद , सुभाष , अंगद और रोशन ने रुंधे हुए गले से पुष्पांजलि अर्पित की । इस अवसर पर सभी वक्तताओ ने शहीद मनोज की जांबाजी की चर्चा की और देश को जब भी जरूरत पड़ेगी कुर्बानी देने की मनोज सिंह की राह का अनुसरण करने की शपथ ली । इस अवसर पर कार्यक्रम की अंतिम बेला पर नगर पंचायत चितबड़ागांव के चेयरमैन केशरीनन्दन त्रिपाठी पहुंचे । श्रद्धांजलि सभा मे पहुंचे अन्य लोगो मे चंद्रशेखर मैराथन समिति के सचिव उपेंद्र सिंह , धर्मेंद्र प्रताप सिंह और उपेंद्र यादव भी अपनी अपनी श्रद्धांजलियां अर्पित किये ।