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बलिया :लोकगीत गायकी के समस्त विधाओं के धुरन्धर गायक थे वीरेन्द्र सिंह " धुरान" -- डा० गणेश पाठक

लोकगीत गायकी के समस्त विधाओं के धुरन्धर गायक थे वीरेन्द्र सिंह " धुरान" 
           -- डा० गणेश पाठक
अपनी गायकी से सदैव हमारे बीच विद्यमान रहेंगे स्व धुरान जी -डॉ जनार्दन राय
 डॉ सुनील ओझा





बसंतपुर बलिया 14 मार्च 2019 ।। 
 बुधवार को बसन्तपुर, बलिया में "धुरान स्मृति महोत्सव" का आयोजन " वीरेन्द्र सिंह धुरान का व्यक्तित्व एवं कृतित्व तथा भोजपुरी लोकगीत में उनका योगदान" नामक संगोष्ठी तथा सम्पूर्ण भोजपुरी क्षेत्र से पधारे भोजपुरी के प्रसिध्द गायकों की गायकी से   समवेत रूप में किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रसिध्द साहित्यकार डा० जनार्दन राय ने किया । कार्यक्रम के मुख्य अतिथि जननायक चन्द्रशेखर विश्वविद्यालय बलिया के कुलपति प्रो० योगेन्द्र सिंह को रखा गया था, किन्तु परीक्षाओं में व्यस्तता के कारण वो नहीं पधार सके। विशिष्ट अतिथि के रूपमें अमरनाथ मिश्र स्नातकोत्तर महाविद्यालय दूबेछपरा, बलिया के पूर्व प्राचार्य डा० गणेश कुमार पाठक एवं योगेन्द्र नाथ आई टी आई के प्रबन्धक  अजीत मिश्र ने अपनी सहभागिता निभाई। कार्यक्रम का संचालन विवेकानन्द सिंह ने किया।
        सबसे पहले कार्यक्रम का शुभारम्भ माँ सरस्वती एवं स्व० वीरेन्द्र सिंह धुरान जी के चित्र पर माल्यार्पण एवं द्वीप प्रज्जवलित कर किया गया। गोष्ठी को संबोधित करते हुए डा०गणेश कुमार पाठक ने कहा कि लोकगीत गायकी के धुरन्धर गायक थे वीरेन्द्र सिंह धुरान।  धुरान जी ने सिर्फ गायकी में ही अपना लोहा नहीं मनवाया, बल्कि वे लोकगीतों का लेखन भी करते थे। लोकगीतों के ऐसे गायक एवं लेखक विरले ही जन्म लेते हैं। भोजपुरी क्षेत्र का यह सौभाग्य है कि वो बलिया की माटी के कलाकार थे। डा० पाठक ने बताया कि वीरेन्द्र सिंह धुरान लोकगायकी की सभी विधाओं में गायन करते थे । यद्यपि की धुरान जी नारदी शैली के गायक थे, किन्तु वो गायन के दौरान बीच - बीच में धोबिया गीत, गोड़ंऊ गीत, पचरा , सोहर एवं विरहा आदि विधाओं को बखूबी गाते थे। आज आवश्यकता है उनके द्वारा लिखे गए गीतों का संग्रह कर उसको प्रकाशित करने की।
      डा० राजेन्द्र भारती ने अपने विभिन्न स्मरणों द्वारा धुरान जी के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर प्रकाश डाला, जबकि रसराज जी ने स्वरचित गीत को गाकर अपनी श्रद्धांजलि अर्पित की । अजीत मिश्र ने धुरान जी कै एक महान लोकगीत गायक बताते हुए उनके द्वारा गाए हुए गीतों के संरक्षण पर बल दिया।
     अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में डा० जनार्दन राय ने कहा कि अपनी गायगी से वीरेन्द्र सिंह धुरान आज भी हमारे समक्ष विद्यमान हैं और वो सदैव हमारे समक्ष रहेंगे तथा लोकगीत गायकों दिशा प्रदान करते रहेंगे।
     धुरान स्मृति महोत्सव का दूसरा सत्र लोकगीत गायकी का रहा। जिसमें डा० गोपाल राय, भोजपुरी सम्राट श्री भरत शर्मा सहित पूरे भोजपुरी क्षेत्र से आए नामी - गिरामी गायकों ने अपने गाए हुए गीतों से श्रोताओं का मन मोह लिया।
      इस आवसर पर" धुरान सर्वोच्च सम्मान" से  लक्ष्मण दूबे लहरी जी को एवं "धुरान स्मृति सम्मान " से  भरत शर्मा व्यास को अंगलस्त्रम् एवं स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया गया। उक्त अवसर पर डा० जनार्दन राय , डा० गणेश कुमार पाठक, अजीत मिश्र, गोपाल राय, डा० राजेन्द्र भारती ,अनारी जी , विवेकानन्द सिंह, राधिका तिवारी, गीत प्रस्तुत करने वाली बालिकाओं, अनेक गायकों तथा वादन करने वाले कलाकारों को भी अंगबस्त्रम एवं स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया गया।
       कार्यक्रम के अंत में वीरेन्द्र सिंह धुरान जी के पुत्र निर्भयनारायण सिंह एवं पौत्र अनुज कुमार सिह द्वारा सभी अतिथियों , गायकों एवं श्रोताओं के प्रति आभार प्रकट किया गया।