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बलिया :जिले में पाये गए दो हजार से अधिक फ़ाईलेरिया के मरीज

बलिया :जिले में पाये गए दो हजार से अधिक फ़ाईलेरिया के मरीज

बलिया, 3 अप्रैल 2019 : जनपद में मल्टी ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (एमडीए) यानि फ़ाईलेरिया अभियान का आयोजन 10 फरवरी से 24 फरवरी तक संचालित किया गया, जिसमें लोगों को घर-घर जाकर फ़ाईलेरिया रोधी दवा खिलाई गयी तथा साथ ही सभी की जांच भी किया गयी। इस दौरान जिले भर में 2,443 व्यक्ति फाईलेरिया से ग्रसित पाये गये जिसमें 716 हाइड्रोसिल रोगी तथा 1,727 लिम्फोडेमा के रोगी पाए गये| इस संबंध में जिला मलेरिया अधिकारी आर पी निरंजन ने बताया कि हाइड्रोसिल रोगियों के ऑपरेशन के लिए कार्यवाही की जा रही है तथा लिम्फोडेमा रोगियों का रुग्णता प्रबन्धन कराया जा रहा है|
          उन्होने बताया कि फाईलेरिया रोग एक मच्छर जनित रोग है जो क्यूलेक्स प्रजाति के मच्छर के काटने से फैलता है| इस रोग को फील पाँव या हाथी पाँव भी कहा जाता है जो एक ‘निमेटोड बूचरेरीया बैक्रापटी’ परजीवी के कारण होता है| इस रोग के लक्षण शरीर के प्रभावित अंग में सुजन आ जाती है| प्राय: हाथ, पैर या अंडकोष में सूजन आ जाती है| अंडकोष में सूजन को हाइड्रोसील कहते हैं और हाथ या पैर में सूजन को लिम्फोडेमा की श्रेणी में रखा जाता है| वहीं शुरुआती स्टेज में सम्पूर्ण इलाज करने से इसको नियंत्रित किया जा सकता है। 
            इसके अलावा 10 से 24 मार्च तक चलाये गए अभियान के लिए करीब 28 लाख लोगों का लक्ष्य रखा गया था, जिसमें लगभग 25 लाख को दवा खिलाई गयी| यह लक्षित जनसंख्या का करीब 86 फीसदी परिणाम रहा| इस संबंध में मच्छर जनित नियंत्रण बीमारी कार्यक्रम के नोडल अधिकारी डॉ० जे० आर० तिवारी ने बताया कि जनपद में एम०डी०ए० का आयोजन 10 से 14 फरवरी तक तथा छूटे हुये व्यक्तियों को दवा खिलाने के लिए मॉप-अप राउंड 15 से 24 फरवरी तक चलाया गया था जिसमें एल्बेण्डाज़ोल तथा डी०ई०सी० टैबलेट घर-घर जाकर पर्यवेक्षकों के सुपरवीज़न में खिलाई गयी।
             उन्होने बताया कि यदि लगातार पाँच वर्ष तक स्वस्थ मनुष्य एम०डी०ए० के दौरान डी०ई०सी० एवं एल्बेनडाजॉल की गोली आयु वर्गानुसार एकल डोज लेता है तो भविष्य में उसको फाईलेरिया रोग होने की सम्भावना कम हो जाती है| घर-घर अभियान चलाने का उद्देश्य परजीवी के प्रभाव को शरीर में इतना कम कर दिया जाता है कि मच्छर, पीड़ित रोगी से स्वस्थ मनुष्य में संक्रमण नही कर पाता है जिससे फाईलेरिया रोग किसी अन्य के शरीर में संचारित नहीं होने पाता।
[4/3, 17:39] जय प्रकाश तिवारी स्वास्थ्य: *सात अप्रैल से पिलाई जाएगी ‘दो बूंद ज़िंदगी की’*
नए वित्तीय वर्ष का पहला चरण 7 से 15 अप्रैल तक
*बलिया, 3 अप्रैल 2019* - नए वित्तीय वर्ष 2019-20 के अंतर्गत पल्स पोलियो अभियान का पहला चरण जिले में 7 अप्रैल से 15 अप्रैल तक चलाया जाएगा, जिसके अंतर्गत 4.76 लाख बच्चों को दो बूंद ज़िंदगी की पिलाने का लक्ष्य तय किया गया है। 
पोलियो या पोलियोमेलाइटिस एक गंभीर और खतरनाक बीमारी है। पोलियो वायरस से होता है। यह वायरस एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति तक फैलता है। साथ ही यह वायरस जिस भी व्यक्ति में प्रवेश करता है उसके मस्तिष्क और रीढ़ की हड्डी को गंभीर रूप से नुकसान पहुंचाता है जिसकी वजह से लकवा भी हो सकता है। 
यह दवा पाँच वर्ष से कम उम्र के सभी बच्चोंं के लिये अत्यचन्ती आवश्यअक है। यह दवा जन्मख पर, छठे, दसवें व चौदहवें सप्ता्ह में फिर 16 से 24 माह की आयु में बूस्टर की खुराक दी जानी चाहिए। पाँच वर्ष तक की आयु के बच्चों को बार-बार खुराक पिलाने से पूरे क्षेत्र में इस बीमारी से लड़ने की क्षमता बढ़ती है, जिससे पोलियो के विषाणु को पनपने से रोकती है।  
जिला प्रतिरक्षण अधिकारी डॉ॰ विजय यादव ने बताया कि पिछले चरण की तरह इस चरण के लिए भी जन्म से पाँच वर्ष तक के 4.76 लाख सम्भावित बच्चों को पोलियो रोधी दवा पिलाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। पिछले चरण में जनपद की उपलब्धि 102 प्रतिशत रही थी। उन्होने बताया कि इस चरण के लिए जिले भर में 1601 बूथ बनाए गए हैं वहीं 7 अप्रैल को बूथ स्तर पर पोलियो अभियान चलाया जाएगा। इसके साथ ही अभियान के 834 टीमें और 320 सूपर्वाइज़र तैनात किया गए हैं जो 8 अप्रैल से 15 अप्रैल तक घर-घर जाकर बच्चों को पोलियो कि दवा पिलाने का काम करेंगे। 
उन्होने बताया कि वर्ष 2011 में पोलियो का अन्तिम प्रकरण प्राप्त हुआ था जिसके बाद पोलियो वायरस फिर से भारत में प्रवेश न करे, इसके लिए भारत सरकार द्वारा राष्ट्रीय पल्स पोलियो अभियान का आयोजन हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी 10 मार्च को किया गया। 
खास बात यह है कि भारत में पोलियो का अंतिम मामला 13 जनवरी 2011 को गुजरात और पश्चिम बंगाल में रिपोर्ट हुआ था। जबकि विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भारत को 27 मार्च 2014 को पोलियो मुक्त देश घोषित कर दिया था। हालांकि पड़ोसी देश जैसे पाकिस्तान, अफगानिस्तान में फैले पोलियो के वायरस आने का खतरा बना हुआ है जिस वजह से देश में नियमित टीकाकरण कार्यक्रम के अंतर्गत पल्सज पोलियो अभियान के दौरान पोलियो की दवा पिलाई जा रही है।