Breaking News

प्रथम पेज की खबर : बलिया से चली बदलाव की बयार , क्या अपने दम पर बीजेपी हो पाएगी 220 पार ? सभी एग्जिट पोल में एनडीए को दिखायी जा रही है बनती सरकार , क्या पूर्वांचल में सिर्फ पीएम की सीट ही होगी पार ?

 प्रथम पेज की खबर
-----------------------------
बलिया से चली बदलाव की बयार , क्या अपने दम पर बीजेपी हो पाएगी 220 पार ?
सभी एग्जिट पोल में एनडीए को दिखायी जा रही है बनती सरकार
क्या पूर्वांचल में सिर्फ पीएम की सीट ही होगी पार ?
मधुसूदन सिंह 
बलिया 19 मई 2019 ।। 
देश भर में चुनाव सम्पन्न होने के बाद विभिन्न चैनलों पर विभिन्न एग्जिट पोल दिखाने वाली एजेंसियों के सर्वेक्षण रिपोर्ट सामने आ गयी है । सबके सर्वेक्षण पर यकीन करें तो बीजेपी के नेतृत्व वाली एनडीए की  मोदी सरकार दुबारा सत्तासीन होती नजर आ रही है । अगर ये सर्वेक्षण या रुझान वास्तव में सही है तो यह विपक्ष के लिये बहुत ही दुखद समाचार है । पर मुझे ऐसा होता नजर नही आ रहा है, मतलब कि एनडीए को इतनी बड़ी मेजॉरिटी मिलेगी ? मेरा आकलन यूपी और पश्चिम बंगाल के बताये जा रहे आंकड़ो के बाद का है ।
 सभी सर्वेक्षणों पर अगर गौर किया जाय तो एनडीए 277 से 365 सीट जीतकर 273 के जादुई आकंड़े से अधिक होने के कारण केंद्र में दुबारा पीएम मोदी के नेतृत्व में सरकार बनाने जा रही है । यह अधिकतम प्राप्त सीटों के आधार पर है । अब अगर निम्नतम 277 सीट ही एनडीए जीतती है तब क्या समीकरण होंगे , किसी भी सर्वेक्षण एजेंसी ने नही बताया है । अगर ऐसी परिस्थिति आ जाती है तो क्या राजनैतिक हलकों में मौसम वैज्ञानिक के रूप में ख्याति प्राप्त बिहार के सीएम नीतीश कुमार और राम विलास पासवान मोदी जी के नेतृत्व को स्वीकार करेंगे ? पूरे पांच साल सरकार को कोसने वाली शिव सेना ऐसी स्थिति में मोदी जी को पीएम बनाने की हामी भरेगी ? इसका जबाब नही दिया गया है । सभी लोगो ने पश्चिम बंगाल में भाजपा को बेतहाशा बढ़त दिखायी है और वामपंथियों को खाता भी नही खुलेगा यह बताया है । वही इन लोगो ने यह भी कहा है कि ममता बनर्जी की पार्टी का वोट शेयर पहले से कम नही हुआ है । ऐसे में सवाल यह उठता है जब ममता का वोट शेयर कम नही हुआ है तो उसको इतना नुकसान कैसे दिखाया जा रहा है ? एजेंसियों की यह बात हजम नही हो पा रही है कि वामपंथी कैडर ने भाजपा को वोट कर दिया है । ऐसे में बंगाल में भाजपा को बड़ी बढ़त मिल रही है , यह कहना ठीक नही है , हां पिछले चुनाव की अपेक्षा सीट बढ़ेगी यह कथन ठीक होगा ।
 अब आइये यूपी के रुझान की तरफ । कहते है कि यूपी जिसके साथ उसकी सरकार बननी तय । सारे सर्वेक्षणों के अनुसार मोदी लहर है । मैं मानता हूं कि बिखरे हुए विपक्ष के कारण पीएम मोदी के सामने कोई बड़ा विकल्प देने वाला चेहरा न होना , भाजपा को फायदा पहुंचा रहा है । लेकिन यह भी ध्यान में रखना होगा कि यही वो प्रदेश है कि जो सिर पर बैठाता है तो अगली बार धूल भी चटा देता है । पिछली बार विकास , बेरोजगारी, महंगाई , भ्रष्टाचार , कानून व्यवस्था के नाम पर केंद्र की सत्ता में पहुंची मोदी सरकार भी यह चुनाव अपने पुराने मुद्दों पर लड़ने की हिम्मत नही जुटा पायी और पुलवामा हमले और एयर स्ट्राइक के बावजूद जातीय समीकरणों पर प्रत्याशी चयन कर मैदान में उतरी है । श्रीराम मंदिर का मुद्दा यूपी का होते हुए भी इसके सम्बन्ध में यहां चर्चा न करके बंगाल में की गयी । सबको पता है यूपी जातीयता की गिरफ्त में पूरी तरह से जकड़ा हुआ है । चाहे बीजेपी हो , सपा बसपा आरएलडी का गठबंधन हो , कांग्रेस हो या अन्य दल हो , सभी ने प्रत्याशियों के चयन में जातीयता के आंकड़ो को तरजीह दी है । ऐसे में सिर्फ एक चेहरा देखकर मतदान हुआ है कहना बेमानी होगा । हमारे यहां बलिया गाजीपुर में कहावत है यहां से जिसकी जीत उसी की सरकार बनती है । बलिया को बागी जिला कहा जाता है , समाजवादी इसे अपना गढ़ मानते है । बलिया में पूरे देश से हटकर जातियों धर्मो के लोगो मे एकता देखने को मिलती थी जो इसबार तितर बितर हो गयी है । जहां भाजपा ने एकबार फिर ठाकुर प्रत्याशी वीरेंद्र सिंह मस्त को उतारकर ठाकुर कार्ड के सहारे दूसरी बार इस सीट पर कब्जा करना चाहती है तो सपा बसपा गठबंधन ने इस बार ठाकुर की जगह ब्राह्मण प्रत्याशी सनातन पांडेय को लड़ाकर ब्राह्मण कार्ड खेला है । बता दे ब्राह्मण बीजेपी के एक मजबूत कैडर के रूप में उभरे थे लेकिन इस बार गठबंधन ने इसमें बड़ी सेंध लगा दी है । वही नीरज शेखर का टिकट कटने से गठबंधन से ठाकुरों का वोट बहक कर बीजेपी के सजातीय उम्मीदवार को मिला है , ऐसा बताया जा रहा है । इस चुनाव ने ब्राह्मणों और ठाकुरों के मध्य एक चौड़ी खायी खोदने का काम किया है । चुनाव के बाद मिले संकेतो के अनुसार अपने दलित मुस्लिम यादव कैडरों को जहां गठबंधन ने बचाकर अपने पक्ष में मतदान करा लिया है वही बनिया वर्ग (60 प्रतिशत ) को छोड़कर अन्य सभी पिछड़ी जातियों और ब्राह्मणों का अधिकांश मत गठबंधन प्राप्त करने में सफल हुआ है । गठबंधन की बलिया लोकसभा के बैरिया , फेफना, मोहम्दाबाद में बहुत मजबूत स्थिति बतायी जा रही है तो वही बलिया नगर और जहूराबाद में भी बराबरी की टक्कर बतायी जा रही है । मिल रहे रुझानों से लग रहा है कि बलिया से चली परिवर्तन की बयार गाजीपुर होते हुए वाराणसी को छोड़कर पूरे पूर्वांचल में बह रही है । अगर यह संकेत सही है तो  पूर्वांचल में 2014 की एकबार फिर पुनरावृत्ति होगी । पिछली बार पूरे पूर्वांचल में मात्र आजमगढ़ में सपा के मुलायम सिंह जीते थे , बाकी सभी जगह बीजेपी , तो हो सकता है कि इस बार सिर्फ वाराणसी की सीट से पीएम मोदी जीते और पूरे पूर्वांचल में गठबंधन का परचम लहराए क्योकि इस बार पूर्वांचल में कोई वाद नही चला है सिर्फ चला है जातिवाद । अगर बीजेपी यूपी में 40 सीट के नीचे गयी तो उसका 220 का आंकड़ा पार करना मुश्किल ही नही नामुमकिन हो जाएगा । ऐसे में सवाल तो उठता ही है कि क्या केंद्र की सत्ता तक पहुंचाने का रास्ता कहलाने वाला यूपी बीजेपी  की राह में अटकायेगा रोड़ा या देगा सीढ़ी ?






भाजपा के चाणक्य की भविष्यवाणियां भी हुई है फेल
भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह की भविष्यवाणियां भी अधिकतर फेल ही हुई है । आइये बताते है कि कब कब श्री शाह ने क्या कहा और कितनी सही हुई भविष्यवाणी --
बीजेपी का        मिशन  और प्रदर्शन
2015 बिहार    185         99(-86)
2019 बंगाल    150         03(-147)
2017 यूपी       203        325(+122)
2017 गुजरात  150           99(-51)
2017 हिमाचल 50             44(-6)
2018 कर्नाटक 150          104(-46)