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बलिया : नहरे पड़ी है सुखी , कैसे डाले धान की नर्सरी किसान , जनता पशु पक्षी हलकान, पर सिंचाई विभाग बेपरवाह


 बलिया : नहरे पड़ी है सुखी , कैसे डाले धान की नर्सरी किसान , जनता पशु पक्षी हलकान ,पर सिंचाई विभाग बेपरवाह
दिग्विजय सिंह





नगरा बलिया 22 मई 2019 ।।धान की नर्सरी डालने का समय  चल रहा है।पशु पक्षी मई की गर्मी से बेहाल है लेकिन सिचाई विभाग इससे बेखबर है और क्षेत्र की नहरे सुखी पड़ी है।

    सिचाई विभाग की इस बेरुखी पर एक कवि संजीव सारथी की कविता याद आ जाती है -
सोच की धरा पर कहीं,
नमीं नहीं,
पानी नहीं,
कटी फटी जमीं है बस,
प्यास ही प्यास है,
नींदों के जंगलों में,
कहीं कुछ भी हरा नहीं,
पेड़ कुबड़ा गए हैं,
नंगी शाखें आकाश को तकती हैं,
कोरा आकाश,
सर झुकाए खड़ा रहता है,
मौन, 
चुप ।।
 बता दे कि नगरा क्षेत्र में शारदा सहायक परियोजना दोहरीघाट की शाखा रजवाहा माइनर टिकुलिया, बलेसर, कसेसर, सिकन्दरा पुर, कसौन्दर, सरजापुर, पाल चन्द्रहा, वीर चन्द्रहा,ताड़ी बड़ा गांव, इंग्लिशिया, परशुरामपुर, पड़री, चचया, उरैनी, सोनाड़ी खैरा निस्फी होते हुए खनवर पहुँच कर ताल में समाप्त होती है।इस नहर से एक शाखा मलप, तियरा को भी जाती है।इन गॉवो के किसान धान की नर्सरी डालने हेतु खेत तो तैयार कर लिए है।मई माह में धान की नर्सरी डालने के वक्त नहर में पानी न छोड़ने से किसान परेशान है।माह जून के दूसरे पखवारे में मौसम के आधार पर किसान धान की रोपाई शुरू कर देता है।इसी आधार पर 15 मई के बाद किसान धान की नर्सरी डालना शुरू कर देता है।किंतु नहर में अब तक पानी नही आने से किसान अपनी नर्सरी नही डाल पाया है और नहर के तरफ टकटकी लगाए है।यदि समय से नर्सरी किसान नही डाल पाता है तो उसका असर धान की फसल पर पड़ता है।वही जिन किसानों ने नहर किनारे सब्जी आदि की खेती किए है।वे सूखने की कगार पर पहुँच गई है।वही गन्ने की फसल भी पानी के अभाव में मुरझा गई है।नहरों में जब पानी आता है तो पशु पक्षी को भी पानी की समस्या से रूबरू नही होना पड़ता है। क्षेत्र के ताल तलैया अधिकांस सूखे पड़े है और नहरे भी सुखी है।ऐसे में नहरों में पानी न होने से पशु पक्षी बेहाल है।