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कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने की सीडब्ल्यूसी की बैठक में इस्तीफे की पेशकश ,गांधी परिवार के बाहर के नेता को अध्यक्ष बनाने की पेशकश, कमेटी ने किया खारिज

 कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने की सीडब्ल्यूसी की बैठक में इस्तीफे की पेशकश ,गांधी परिवार के बाहर के नेता को अध्यक्ष बनाने की पेशकश, कमेटी ने किया खारिज

नईदिल्ली 25 मई 2019 ।।
कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने लोकसभा चुनाव में पार्टी की हार की जिम्मेदारी लेते हुए शनिवार को पार्टी की कार्य समिति (सीडब्ल्यूसी) की बैठक में पद से इस्तीफे की पेशकश की, लेकिन सदस्यों ने इसे ठुकरा दिया और प्रतिकूल परिस्थिति में उनसे नेतृत्व करते रहने का आग्रह किया। सीडब्ल्यूसी की बैठक में गांधी को पार्टी संगठन के पुनगर्ठन के लिए अधिकृत किया गया। पार्टी के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने यह जानकारी दी।
चुनाव में देश भर में कांग्रेस के खराब प्रदर्शन के कारणों पर मंत्रणा करने के लिए कांग्रेस कार्यकारिणी समिति (सीडब्ल्यूसी) की शनिवार को बैठक हुई। जहां लोकसभा चुनाव में मिले हार के कारणों और भविष्य में पार्टी की रणनीति पर चर्चा की गई। यह बैठक करीब तीन घंटे तक चली। कांग्रेस की सर्वोच्च नीति निर्धारण इकाई कांग्रेस कार्य समिति (सीडब्ल्यूसी) की बैठक में लोकसभा चुनाव में पार्टी की करारी हार के कारणों पर मंथन किया गया। इस बैठक में राहुल गांधी के अलावा संप्रग प्रमुख सोनिया गांधी, पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा और कार्यसमिति के अन्य सदस्य शामिल हुए। बताया जा रहा है कि राहुल गांधी ने अपने इस्तीफे की पेशकश के बाद यह भी सुझाव दिया था कि नया अध्यक्ष गांधी परिवार से न हो , यहां तक कि अपनी बहन प्रियंका को भी अध्यक्ष नही बनाने तक कि बात कही है ।
सीडब्ल्यूसी के 23 सदस्यों में हाल ही में हुए चुनाव में सिर्फ चार लोग- पार्टी प्रमुख राहुल गांधी, संप्रग अध्यक्ष सोनिया गांधी, गौरव गोगोई और ए. चेल्ला कुमार ही जीते हैं। लोकसभा चुनाव में हारने वाले 12 अन्य सदस्यों में वरिष्ठ नेता मल्लिकार्जुन खड़गे, उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत, दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित, पूर्व लोकसभा अध्यक्ष मीरा कुमार, ज्योतिरादित्य सिंधिया, रघुवीर सिंह मीना, जितिन प्रसाद, दीपेंदर हुड्डा, सुष्मिता देव, के.एच. मुनियप्पा और अरुण यादव हैं।

गौरतलब है कि इस लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को करारी हार का सामना करना पड़ा है। वह 52 सीटों पर सिमट गई है। 2014 के चुनाव में 44 सीटें जीतने वाली पार्टी को इस बार बेहतर की उम्मीद थी, लेकिन उसकी उम्मीदों पर पानी फिर गया।