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नईदिल्ली : अब मिड डे के साथ मिलेगा नाश्ता ,नई शिक्षा नीति 2019 में की गयी है सिफारिश


 नईदिल्ली : अब मिड डे के साथ मिलेगा नाश्ता ,नई शिक्षा नीति 2019 में की गयी है सिफारिश

नईदिल्ली 3 जून 2019 ।।
स्कूलों में मध्याह्न भोजन योजना की तर्ज पर अब सुबह के नाश्ते की योजना भी शुरू की जा सकती है। मानव संसाधन विकास मंत्रालय इस मुद्दे पर पहले से ही गंभीरता से विचार कर रहा है। अब नई शिक्षा नीति के मसौदे में भी इस बात की सिफारिश की गई है। 
आने वाले दिनों में जिन 12 लाख प्राथमिक और मध्य विद्यालयों में मध्याह्न भोजन योजना चल रही है, वहां नाश्ते की योजना भी शुरू हो सकती है। इसका लाभ करीब 12 करोड़ बच्चों को मिलेगा।

पोषण की कमी से सीखने की क्षमता पर असर

इसरो के पूर्व चेयरमैन के. कस्तूरीरंगन की अध्यक्षता वाली समिति ने दो दिन पहले ही नई सरकार को राष्ट्रीय शिक्षा नीति का मसौदा सौंपा है। इसमें प्राथमिक शिक्षा में सुधार के लिए कई बदलावों की सिफारिश की गई है। अभी बच्चों का स्कूलों में नामांकन तो बढ़ गया है, पर उनमें सीखने की क्षमता विकसित नहीं हो पा रही है। समिति ने इसके लिए शिक्षकों की पेशेवर कमी के साथ पोषण को भी जिम्मेदार माना है। 
              पौष्टिक नाश्ता जरूरी
समिति ने कई वैज्ञानिक अध्ययनों के हवाले से कहा है कि यदि बच्चों को सुबह पौष्टिक नाश्ता मिले तो उनके सीखने और समझने की शक्ति में काफी सुधार होगा। समिति ने कहा, इसलिए मध्याह्न भोजन योजना को जारी रखते हुए बच्चों को स्कूलों में सुबह का पौष्टिक नाश्ता भी दिया जाना चाहिए। इसमें उन्हें दूध व फल उपलब्ध कराए जाएं। न्यूयार्क समेत कई शहरों में बच्चों के सुबह का नाश्ता दिया जाता है।
               
                    कुछ ब्लॉक में परीक्षण 

 मानव संसाधन विकास मंत्रालय के सूत्रों ने बताया कि छत्तीसगढ़ के कुछ स्कूलों में जहां बच्चों की उपस्थिति कम है, वहां केंद्र एवं राज्य सरकारों ने मिलकर बच्चों को दोपहर के भोजन के अलावा सुबह का नाश्ता देने की योजना भी परीक्षण के तौर पर शुरू की है। इसके परिणामों का भी अध्ययन किया जाएगा। 
करीब दो दशक पहले शुरू हुई मिड डे योजना से बच्चों का स्कूलों में नामांकन बढ़ा है। स्वास्थ्य के आंकड़े बताते हैं कि इससे कुपोषण में कमी आई है। दूसरे, बड़े पैमाने पर देश में खाद्यान्न की भंडारण आदि के कारण क्षति होती थी, वह भी कम हुई है।


                   सुधार के लिए सुझाव

  • 1-तीन से छह साल के बीच की शिक्षा प्रणाली को विनियमित किया जाए तथा उसके लिए मानक और पाठ्यक्रम तय किया जाए

  • 2-नि:शुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा का दायरा तीन वर्ष से 18 वर्ष तक के बच्चों के लिए किया जाए जो अभी 6-14 वर्ष का है। 

  • 3-शिक्षकों के प्रशिक्षण में सुधार किया जाए। खासकर प्राइमरी पूर्व शिक्षा का प्रशिक्षण उन्हें प्रदान किया जाए ताकि बच्चे पहली कक्षा तक पहुंचने तक पूर्ण रुप से औपचारिक शिक्षा को तैयार हो सकें 

  • 4-पांचवी तक की कक्षाओं में भाषा एवं गणित पर ज्यादा ध्यान केंद्रित किया जाए। भाषा और गणित सप्ताहों और मेलों का आयोजन किया जाए। 

  • 5-महिला शिक्षकों की नियुक्ति की जाए तथा मातृभाषा में शिक्षण को बढ़ावा दिया जाए।
  • मसौदे में कहा गया है कि शिक्षकों की चयन प्रक्रिया गलत होने के कारण विषय के शिक्षकों की भारी कमी है। हिन्दी का शिक्षक स्कूलों में गणित पढ़ा रहा है तथा विज्ञान का शिक्षक इतिहास पढ़ा रहा है।